चिकित्सा, शिक्षा, पानी, बिजली, रोडवेज सहित जनहित के ज्वलंत मसलों पर अजमेर के साथ सौतेला व्यवहार

-कैंसर अस्पताल नहीं खोला गया, मरीजों को मजबूरन जयपुर, दिल्ली अन्य जगह जाना पड़ता है
-नेहरू अस्पताल में कार्डियक सर्जन की नियुक्ति नहीं होने से धूल फांक रही हैं करोड़ों की मशीनें
-उच्च शिक्षा में अजमेर सबसे पीछे, जानबूझकर नहीं खोले जा रहे हंै नए उच्च शिक्षण संस्थान
-राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का बीकानेर में संभागीय कार्यालय खोलने का निर्णय रद्द किया जाए

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 13 मार्च। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार चिकित्सा, शिक्षा, पानी, बिजली, रोडवेज सहित जनहित से जुड़े मसलों पर अजमेर की पूरी तरह उपेक्षा और सौतेला व्यवहार कर रही है। ना अजमेर में कैंसर अस्पताल खोला गया है, ना ही जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में कार्डियो सर्जन की नियुक्ति की गई है, जिससे करोड़ों की मशीनें धूल फांक रही हैं। उच्च शिक्षा में अजमेर पूरे प्रदेश में सबसे पीछे है और जानबूझकर यहां नए उच्च शिक्षण संस्थाएं नहीं खोले जा रहे हंै। ऐसे में योग विश्वविद्यालय अजमेर में खोला जाना चाहिए। बीकानेर में संभागीय कार्यालय खोलकर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के विखंडन की तैयारी की जा रही है। अजमेर को पांच-पांच दिन में पेयजल सप्लाई की जा रही है।
देवनानी ने रविवार को अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने इन सभी ज्वलंत मुद्दों को विधानसभा में पुरजोर तरीके से उठाते हुए सरकार पर अजमेर की घोर उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अजमेर में दिनों-दिन कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में अजमेर में जल्द से जल्द कैंसर अस्पताल खोलने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। अभी अजमेर में ना तो कैंसर का अस्पताल है और इसके इलाज की कोई समुचित व्यवस्था है, जिससे मरीजों लेकर परिजन को मजबूरी में जयपुर, दिल्ली व अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि नेहरू अस्पताल में करोड़ों रूपए की लागत से कार्डियोलाॅजी विभाग में मशीनें तो हैं, लेकिन कार्डियक सर्जन नहीं होने के कारण इन मशीनों का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसलिए सरकार को तत्काल प्रभाव से यहां कार्डियक सर्जन की नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि मरीजों को इसका लाभ मिल सके। इसी प्रकार गैस्ट्रोलाॅजी में भी पूरा स्टाफ नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां सुपरस्पेशिलिटी को भी सरकार ने मजाक बना दिया है। उन्होंने कहा कि करीब-करीब सभी संभाग केंद्रों पर 5 से 6 सम्बद्ध अस्पताल हैं, जबकि अजमेर में केवल तीन ही हैं। इसलिए अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में सेटेलाइट अस्पताल खोला जाना चाहिए। इसी प्रकार कुंदन नगर, अजयसर व हाथीखेड़ा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जाने चाहिए।
एमडीएसयू की स्थिति सुधारी जाए, कर्मचारियों को मिले सातवां वेतनमान
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार उच्च शिक्षण में भी हमेशा से अजमेर की उपेक्षा करती आई है। सभी जगह पांच से 12 उच्च शिक्षण संस्थान हैं। जोधपुर में 12 हैं, तो जयपुर में इससे अधिक संस्थान हैं। उदयपुर, बीकानेर व कोटा में भी विश्वविद्यालयों की भरमार है, लेकिन अजमेर में केवल एक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय है। इसलिए योग विश्वविद्यालय की स्थापना अजमेर में की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की भी स्थिति दयनीय है। यहां शि़क्षकों के 48 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 14 पद भरे हुए हैं। इतने कम शिक्षकों के भरोसे विश्वविद्यालय कैसे चल रहा है, यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को अभी तक सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि जोधपुर और उदयपुर के कर्मचारियों को यह लाभ मिल चुका है। सातवां वेतनमान लागू करने से सरकार पर कोई आर्थिक भार भी नहीं पड़ेगा, इसके बावजूद सरकार द्वारा इसकी मंजूरी नहीं दी जा रही है।
बोर्ड का संभागीय कार्यालय खोलने पर लगे रोक
देवनानी ने कहा कि सरकार को तुरंत प्रभाव से राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का बीकानेर में संभागीय कार्यालय खोलने पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। सरकार संभागीय कार्यालय खोलकर बोर्ड का विखंडन करना चाहती है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का संभागीय कार्यालय बीकानेर ही नहीं, कहीं पर भी नहीं खोला जाए। यदि सरकार इस मांग को नहीं मानती, तो यह सरासर अजमेर के साथ धोखा और अन्याय होगा, जिसे अजमेर की जनता कदापि सहन नहीं करेगी।
सरकारी महकमों पर करोड़ों रूपए का बिजली बिल बकाया
देवनानी ने कहा कि सरकारी महकमों पर करीब 285 करोड़ रूपए बिजली बिल के बकाया हैं। यदि कोई साधारण व्यक्ति किसी परिस्थितिवश समय पर बिल जमा नहीं करा पाता है, तो उसका बिजली कनेक्शन तुरंत काट दिया जाता है, लेकिन सरकारी महकमों पर करोड़ों रूपए बकाया होने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। अकेले जलदाय विभाग पर करीब सौ करोड़ रूपए बकाया है। इसलिए सरकार को इन सभी सरकारी महकमों से बकाया बिल की वसूली के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
अजमेर को मिले 24 घंटे के अंतराल से पेयजल
देवनानी ने कहा कि अभी अजमेर को पांच-पांच दिन के अंतराल से पेयजल सप्लाई की जा रही है, वह भी बेहद कम प्रेशर से जिसके चलते शहरवासियों को अभी से ही पेयजल समस्या का सामना करना पड रहा है। जबकि गर्मी का मौसम भी शुरू हो गया है। अब पानी की ज्यादा मांग हो रही है। इसलिए शहर को 24 घंटे के अंतराल से पेयजल सप्लाई की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए 3.7 टीएमसी पानी रिजर्व रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अजमेर के 65 हजार जल उपभोक्ताओं को सरकार की घोषणा के मुताबिक 15 हजार लीटर पानी मुफ्त मिलना चाहिए, जो नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अजमेर में अभी तक स्मार्ट मीटर नहीं लगे हैं। सैकड़ों मीटर खराब पड़े हैं। रीडिंग और बिलिंग चार-चार माह से हो रही है, जिससे उपभोक्ता परेशान होते हैं।
चैरसियावास तालाब अतिक्रमण मुक्त हो, आनासागर की सफाई हो
देवनानी ने कहा कि अतिक्रमण के कारण चैरसियावास तालाब का अस्तित्व संकट में आ गया है। तालाब में मलबा डालकर लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए हैं और करते जा रहे हैं। कई खातेदारों ने मुआवजा लेने के बाद भी इस तालाब में खेती करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को अभियान चलाकर इस तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहिए। इसी प्रकार आनासागर में जलकुंभी पैर पसारती जा रही है। जलकुंभी की सफाई के लिए खरीदी गई डिविडिंग मशीन दूसरे शहरों का भला कर रही है और अजमेर खुद तरस रहा है। इसलिए प्रशासन को आनासागर से जलकुंभी साफ कराने का काम भी जल्द से जल्द शुरू कराना चाहिए, ताकि गर्मी के दिनों में इसकी बदबू से लोग परेशान नहीं हों।

रोडवेज बस स्टैंड में बने मल्टी लेवल पार्किंग
देवनानी ने कहा कि रोडवेज बस स्टैंड परिसर में प्राइवेट वाहनों के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। इस बस स्टैंड से रोजाना करीब साढ़े सात सौ रोडवेज बसों की आवाजाही होती है। यात्रियों को छोड़ने व लेने के लिए आने वाले लोगों को पार्किंग की सुविधा नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती है। इसलिए इस परिसर में मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जानी चाहिए।
नौसर प्राइवेट बस स्टैंड का उपयोग नहीं
देवनानी ने कहा कि नौसर में करीब एक अरब रूपए कीमत की जमीन पर प्राइवेट बस स्टैंड बनाया गया था, जिसका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। यहां केवल नगरीय परिवहन की बसें आती हैं। इसके लिए एक भी प्राइवेट बस इस स्टैंड पर आकर नहीं रूकती है। नागौर के दबंग बस मालिकों की मनमानी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि बसों को इस स्टैंड पर रोकने की बजाय बेखौफ शहर के अंदर तक ले आते हैं, जिससे आए दिन टैªफिक जमा होता है और अनेक लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं। इसलिए प्रशासन को सख्ती से प्राइवेट बसों को इस स्टैंड पर ही ठहराव कराने की व्यवस्था तुरंत प्रभाव से करनी चाहिए।
क्रिश्चियन गंज क्षेत्र में बने नया थाना, आनासागर चैकी नई बने
देवनानी ने कहा कि क्रिश्चियन गंज थाने का कार्यक्षेत्र काफी बढ़ा होने के कारण कानून-व्यवस्था नहीं संभल पा रही है। इसलिए सरकार को इस थाना क्षेत्र का नए सिरे से निर्धारण कर नया थाना खोलने की कार्यवाही करनी चाहिए। नया थाना बनने से इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हो सकेगा। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आनासागर पुलिस चैकी के लिए नए भवन का निर्माण भी कराया जाना चाहिए। मौजूदा भवन छोटा होने के कारण पुलिस कर्मियों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

नेहरू अस्पताल की लापरवाही की वजह से लगी आॅक्सीजन प्लांट में आग-देवनानी
-नगीना बाग के निवासी सावचेत नहीं होते, तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था
-घटना स्थल पर नहीं पहुंचा अस्पताल प्रशासन का कोई जिम्मेदार व्यक्ति
-देवनानी ने जिला कलेक्टर से बात कर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर जताई कड़ी नाराजगी

अजमेर, 13 मार्च। यदि नगीना बाग के नागरिक जागरूक व सावचेत नहीं होते, तो जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के आॅक्सीजन प्लांट में लगी आग के कारण बहुत बड़ा हो जाता और काफी जन-धन की हानि होती। प्लांट में आग लगने की सूचना मिलने के बाद नेहरू अस्पताल का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा, जो बहुत ही गंभीर बात है। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने घटना स्थल का मौका-मुआयना करने के बाद अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताते हुए जिला कलेक्टर से कार्यवाही करने का आग्रह किया है।
देवनानी ने कहा कि नेहरू अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से प्लांट में आग लगी। नगीना बाग के लोगों ने धुआं उठता देखकर अस्पताल प्रशासन को अवगत कराया। यदि नगीना बाग के निवासी सावचेत नहीं होते और बिजली की लाइन तुरंत नहीं काटी जाती, तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। उन्होंने प्लांट पर मौजूद एक कार्मिक से बात की, तो पता चला कि नए स्टेब्लाइजर की वजह से आग लगी है। स्टेब्लाइजर में क्या कमी थी, जिसकी वजह से आग लगी, इसकी जानकारी वह व्यक्ति नहीं दे सका। देवनानी ने देखा कि प्लांट के पीछे काफी कचरा इकट्ठा हो रखा है, जिसकी वजह से कभी भी आग लगकर भीषण हादसा हो सकता है। प्लांट पर ना फायर अलार्म सिस्टम लगाया हुआ है, ना प्रोटेक्शन है और ना ही इंसूलेशन की व्यवस्था है। प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने मौके पर ही फोन से जिला कलेक्टर से संपर्क कर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि प्लांट परिसर में फायर अलार्म सिस्टम, प्रोटेक्शन सिस्टम और इंसूलेशन की व्यवस्था की जानी चाहिए। परिसर की नियमित रूप से सफाई भी कराई जाए। उन्होंने अस्पताल प्रशासन के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति के नहीं पहुंचने पर नाराजगी जताते हुए कलेक्टर से कार्यवाही करने का आग्रह किया। कलेक्टर ने उन्हें कार्यवा

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