अजमेर/ वर्तमान युग में युवा और बच्चे केवल अंक प्राप्ति में जुटे हुए हैं, उन सबको अजमेर का गौरवशाली इतिहास और संस्कृति बताने की आवश्यकता है ताकि वे अपने शहर का मूल्य समझ सकें और इतिहास से सीख लेकर जीवन को श्रेष्ठ बना सकें। ये विचार भारतीय सांस्कृतिक निधि ‘इन्टैक‘ के अजमेर चैप्टर द्वारा आयोजित अजमेर के 910वें स्थापना दिवस समारोह में ‘अजमेर की सांस्कृतिक विरासत‘ विषय पर मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में बोलते हुए धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के पूर्वअध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने व्यक्त किये। उन्होंने गढ़ बीठली, नसियां, अजयपाल,सरस्वती कंठाभरण आदि अजमेर के ऐतिहासिक स्थलों की महत्वपूर्ण जानकारी भी दी।
मुख्य अतिथि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सचिव मेघना चौधरी ने कहा कि भारत की सभ्यता, संस्कृति को समझने के लिए धरोहर संरक्षण बहुत जरूरी है। बच्चों में संस्कार स्थापित करने में हमारी विरासत का महत्वपूर्ण योगदान है। कार्यक्रम संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने अजमेर की स्थापना के इतिहास के बारे में बताया कि विक्रम संवत 1170 ईसवी सन् 1113 के लगभग चैहान अजयपाल ने अजयमेरू नगर की स्थापना की थी। आरंभ में कन्वीनर राजेश गर्ग ने इन्टैक की विविध गतिविधियों का परिचय दिया। कार्यक्रम में संगीतज्ञ रजनीश चारण ने सरस राजस्थानी लोकगीतों की प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया जिसमें साहित्यकार उमेश चौरसिया रचित अजमेर का गीत मुख्य आकर्षण रहा। तबले पर राजकुमार ने संगत की तथा हृदयांशी ने सहगायिका के रूप में सहभागिता की। इन्टैक हितैषी श्रीमती मंजू सिंह का अभिनन्दन किया गया तथा अनंत गनेरिवाल, बसंत सोलंकी, मुकेश भार्गव, जेपी भाटी, एसपी कटारिया, महेंद्र सिंह चौहान, विजय शर्मा, कुलदीप सिंह रतनू, अनिल माथुर आदि ने नये सदस्यों का स्वागत किया तथा निर्णायकों का सम्मान किया। पूरनसिंह चौहान को धरोहर मित्र बनाया गया। प्रियंका सक्सेना ने किया तथा योगिता टंडन, रमेश पात्र , अरविंद राठौड़, सोनी आदि का सहयोग रहा।
इस अवसर पर इंटेक द्वारा आयोजित ‘आनासागर के प्रवासी पक्षी चित्र प्रतियोगिता के 27 विजेताओं एवं श्रेष्ठ सहभागिता के लिए सात विद्यालयों को भी पुरस्कृत किया गया। सभी 33 विद्यालयों के 169 प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिये गए। श्रेष्ठ सहभागिता केे लिए सात विद्यालयों को भी सम्मानित किया गया।