आर्य समाज ने वैदिक मंत्रोच्चार से किया नव संवत्सर का स्वागत

केकड़ी 2 अप्रैल(पवन राठी)
आर्य समाज केकड़ी द्वारा भारतीय नववर्ष संवत 2079 एवं आर्य समाज का 148 वां स्थापना दिवस वैदिक मंत्रों से अग्निहोत्र कर मनाया।
आर्य वीर दल अधिष्ठाता सत्यनारायण सोनी ने बताया कि हमारी संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है भारत वर्ष सृष्टि के उत्पति के एक अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हजार 123 वां वर्ष मना रहा है। चैत्र मास की प्रतिपदा को विक्रमसंवत 2079 सम्राट विक्रमादित्य परमार के सुशासन के प्रतिक पर्व के रूप में मना रहे है। प्रधान रतन लाल पंवार ने बताया की हमारे सभी पर्व व त्योहार विज्ञान व संस्कृति पर आधारित है। इस मास में प्रकृति अपने नव जीवन का श्रंगार करती है किसानों के घर धन धान्य से भरे होतो है हर परिवार में खुशहाली, प्रसन्ता और आनंद का माहौल रहता है। आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के उप प्रधान अशोक आर्य ने बताया कि भारतीय नव वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा को मनाया जाता है इसी दिन महर्षि दयानंद सरस्वती ने मुंबई में प्रथम आर्य समाज की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य है वैदिक संस्कृति का प्रचार प्रसार अपने उद्बोधन में आचार्य जनक आर्य ने बताया कि हमारी संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो पर्व और त्योहार हम मनाते हैं वह सब विज्ञान पर्यावरण और हमारी संस्कृति के अनुसार बने हैं जो मानव मात्र के लिए उपयोगी है कार्यक्रम में प्रधान रतन लाल पंवार, अशोक आर्य,सत्यनारायण सोनी, पूर्व प्रधान छोटू लाल कुमावत, मूलचंद महावर,कपूरचंद सोनी, फूलचंद नागोरिया, कैलाश चंद महावर, बजरंग सिकलीगर, गोपाल शर्मा, कमलेश कुमार माली, शंभू सिंह चौहान ,अशोक जेतवाल, रघुवीर प्रसाद टेलर, चिरंजीलाल सोनी, कालूराम सामरिया, भानू पंवार, नवनीत पंवार, आदित्य सोनी, सौम्य कुमार शर्मा, सहित सभी आर्यजन उपस्थित रहे।

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