अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो द्वार पर गरीब सुदामा आया है

केकड़ी 19 अप्रैल(पवन राठी)संसार मे मित्रता ही एक ऐसा रिश्ता है जो पारिवारिक रिश्तों से भी बढ़कर है।वर्तमान में लालच के चलते बहुत ही कम लोग मित्रता का सही मतलब समझते है।
सच्चे मित्र और गुरु का जीवन में बहुत महत्व होता है।यह वर्तमान में शोभाग्यशाली व्यक्तियों को ही नसीब होते है।
आज लोभ लालच और काम के चलते मित्र मित्र को और शिष्य गुरु को धोखा देते है। परिणाम स्वरूप व्यक्ति
अकेला ही सब कुछ करना चाह रहा है और जीवन के अंत समय मे वह अकेला ही रह जाता है।
ये उद्गार महामंडलेश्वर जगदीश पुरी जी ने गीता भवन में चल रही भागवत कथा में व्यक्त किये।
इस अवसर पर “अरे द्वार पालो कन्हैया से कह दो द्वार पर गरीब सुदामा आया है—-प्रस्तुत किया गया जिसने सभी उपस्थित श्रद्धालुओ को भाव विभोर कर दिया।अनेक महिला श्रद्धालु भाव विभोर होकर पांडाल में झूमने लगी।
अंत मे आरती भगतानी परिवार द्वारा की गई।

error: Content is protected !!