अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूचियों से उड़ा दिए 20 हजार 875 मतदाताओं के नाम

-विधायक वासुदेव देवनानी द्वारा पूछे गए सवाल पर विधानसभा से मिले जवाब में हुआ खुलासा
-देवनानी ने जिला निर्वाचन अधिकारी को सौंपा ज्ञापन, निष्पक्ष जांच कराने और दोषी बीएलओ व अधिकारियों पर कार्यवाही करने की मांग
-दिसम्बर, 2018 से दिसम्बर, 2021 तक हुआ सारा खेल, नाम जोड़ने की बजाय काटने पर रहा जोर
-जो लोग संबंधित बूथ क्षेत्रों में वर्षों से रह रहे हैं, उनके नाम भी काट दिए गए

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 18 मई। पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अभी तक यानी दिसम्बर, 2018 से दिसम्बर, 2021 तक अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूचियों से 20 हजार 875 मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं। कई बूथों में आधे से ज्यादा मतदाताओं के नाम उड़ाए गए हैं। इसका खुलासा पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी द्वारा पूछे गए सवाल पर विधानसभा से मिले जवाब में हुआ है।
देवनानी ने बुधवार को जिला निर्वाचन अधिकारी (जिला कलेक्टर) को दिए ज्ञापन में कहा है कि कई बूथ पर सौ से भी अधिक, तो कई बूथ पर तीन सौ से अधिक मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। कुछ पर तो चार सौ से अधिक मतदाताओं के नाम भी काटे गए हैं। कुछ बूथों पर कुल मतदाताओं की संख्या सात सौ, एक हजार या 11 सौ है, जिनमें से भी तीन सौ से चार सौ और इससे भी अधिक मतदाताओं के नाम काटे जाना भयंकर विसंगति की ओर इंगित करता है। सैकड़ों ऐसे मतदाताओं के नाम अनेक बूथों से काट दिए गए हैं, जो पिछले कई वर्षों से उन्हीं बूथ क्षेत्रों में रह रहे थे और वर्तमान में भी वहीं रह रहे हैं।
तो फिर मतदाताओं के नाम जोड़ने व जागरूक करने पर क्यों खर्च होते हैं लाखों रूपए
देवनानी ने कहा कि एक तरफ तो भारत का निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों में नाम जुड़वाने और मताधिकार का उपयोग करने की खातिर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाता है, प्रचार-प्रसार पर लाखों रूपए खर्च करता है। लेकिन दूसरी ओर इस तरह बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही चिंताजनक, दुर्भाग्यपूर्ण और सोचनीय स्थिति है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों में हेरफेर शासन-प्रशासन की विसंगतियों, दबाव और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।
क्या कैंपों में मतदाताओं के नाम जोड़ने की बजाय काटने पर जोर रहा
देवनानी ने कहा कि समय≤ पर मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण जारी कर और कैंप लगाकर मतदाताओं के नाम जुड़वाए जाते हैं, संशोधन कराए जाते हैं। इसके लिए बीएलओ की भी ड्यूटी लगाई जाती है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन कैंपों में मतदाताओं के नाम जोड़ने की बजाय नाम काटे जाते हैं। यदि ऐसा है, तो यह सब किसकी शह पर किया जाता है। उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर संबंधित दोषी बीएलओ और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है। उन्होंने इसके साथ ही अतिरिक्त जिला निर्वाचन अधिकारी और उप जिला निर्वाचन अधिकारी से भी मुलाकात कर सारी वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। उन्होंने इन अधिकारियों को विधानसभा से मिली उन सभी मतदाता सूचियों की प्रतियां भी दी हैं, जिनमें मतदाताओं के नाम काटे जाने की पुष्टि होती है। उन्होंने वहां रह रहे काटे गए नामों को फिर से मतदाता सूचियों में जुड़वाने की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया है, जो अभी भी उन्हीं बूथ क्षेत्रों में निवास कर रहे हैं।

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