-राज्यसभा चुनाव में मुख्यमंत्री द्वारा पुलिस-प्रशासन का जमकर किया जा रहा है दुरूपयोग
-निर्दलीय विधायक के घर कड़ा पुलिस पहरा बिठाना लोकतंत्र के खिलाफ
-सरकारी एजेंसियों के गैरसंवैधानिक उपयोग, कांग्रेस को भुगतने होंगे दुष्परिणाम
देवनानी ने जारी बयान में कहा कि प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में मुख्यमंत्री गहलोत अनन्य प्रकार के दबावों एवं प्रलोभन के दम पर कांग्रेस के पक्ष में समर्थन लेना चाहते हैं। उन्होंने अपनी और पुलिस-प्रशासन की पूरी ताकत इस काम में झोंक दी है। यहां तक कि निर्दलीय विधायकों के घरों पर भी पहरा लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। देवनानी ने कहा, किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक के घर के बाहर पुलिस जाप्ता लगाकर गहलोत ने साबित कर दिया है कि उनके और कांग्रेस के लिए संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने और मर्यादा बनाए रखने की बजाए चुनाव में इज्जत बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
देवनानी ने कहा कि भले ही प्रदेश में गहलोत पुलिस, प्रशासन और तानाशाही का जमकर उपयोग कर लें, परंतु कांग्रेस और गहलोत सरकार निर्दलीय विधायकों के मन में कांग्रेस सरकार के प्रति उपजे असंतोष को नहीं पाट सकती है। मुख्यमंत्री गहलोत के इस असंवैधानिक रवैये से निर्दलीय विधायकों के मन में कांग्रेस के प्रति मोहभंग हुआ है। जिस प्रकार गहलोत निरंकुशता बरपा रहे हैं, उसके चलते न केवल प्रदेश के निर्दलीय विधायकों, बल्कि आमजन में भी कांग्रेस सरकार के प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है, जिसका प्रकटीकरण समय आने पर निश्चित ही होगा। निर्दलीयों ने राज्यसभा के दौरान और जनता ने आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाने का पूरा मन बना रखा है।