श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ अंतर्गत पुष्कर रोड़ स्थित श्री कलापूर्ण सूरि आराधना भवन के प्रांगण में पूर्वार्ध प्रवचन श्रृंखला के अंतिम प्रवचन पंचक की शुरूआत हुई, इस प्रवचन श्रृंखला का विषय पातंजल योग सूत्र है इस पंचक के प्रथम दिन पू. मुक्तिश्वर विजय महाराज के शिष्य पू. मुनीश्वर विजय महाराज ने बताया कि सारी धर्म आराधनाएँ मुक्ति की ही इच्छा से होनी चाहिए, सांसारिक इच्छाएँ से की हुई आराधनाएँ मोक्ष का कारण नहीं बन पाती है, ये आराधनाएँ आनन्द की अनुभूति नहीं करा पाती है, श्रावक का लक्ष्य सिर्फ मोक्ष प्राप्ति होना चाहिए, शास्त्रकार भगवंतों ने मोक्ष प्राप्ति की तीन व्याख्या की है, ममत्वरहितोयं मोक्ष: अर्थात् जो ममत्व से रहित है वह मोक्ष है, जिसमें राग नहीं है वह मोक्ष है, जब तक अंधेरा होता है प्रकाश नहीं आ पाता, इसीलिए जब तक राग है, आनंद नहीं आ पाता, आनंद की अनुभूति नहीं हो पाती। मंत्री रिखबचंद सचेती ने कहा जिनवाणी प्रवचन प्रतिदिन प्रात: 9.15 बजे से चालू है।
रिखबचंद सचेती
मंत्री