मसूदा । विहार यात्रा के दौरान एक दिवसीय प्रवास के अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण के शुशिष्य मुनि चैतन्य कुमार अमन ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से कहा विद्या प्राप्ति का लक्ष्य जीवन का सर्वांगीण विकास हो । एकांगी विकास घातक होता है । शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक और भावनात्मक । जीवन विज्ञान जीवन को अच्छे ढंग से जीने की कला है , जीने की कला का प्रथम आयाम है श्वास । जब तक श्वास प्रश्वास की समुचित कला नहीं सीख पायेंगे तब तक जीना नहीं आएगा । केवल श्वास का आना-जाना ही जीवन नहीं होता । जीवन के मूलभूत गुणों का समावेश ही जीवन है जैसे अनुशासन,विनम्रता, सहिष्णुता, सौहार्द आदि ।
मुनि अमन ने कहा शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका निर्माण नहीं अपितु जीवन निर्माण होना चाहिए । आज पढ़ने वाले विद्यार्थियों का उपदेश पढ़ लिखकर अच्छी जॉब लग जाए । पैसे का अच्छा स्रोत मिल जाए, घर परिवार में भौतिक साधन उपलब्ध हो जाए, इतना पर्याप्त मानते हैं किंतु यह सोच ऊंची नहीं है । अच्छे व्यक्तित्व के लिए चार बातें अति महत्वपूर्ण है शरीर का विकास, मानसिक व्यवहार, वाणी संयम और श्वास की कला । यदि यह विकास अच्छे ढंग से हो जाए तो जीवन की सार्थकता– सफलता सुनिश्चित हो सकेगी । अध्यापक वर्ग का कर्तव्य है कि वह विद्यार्थियों को पुस्तकिय ज्ञान के साथ उन्हें जीवन मूल्यों का बोध पाठ करें ताकि इनका भविष्य अच्छा हो सके ।
विद्यालय परिवार की प्रिंसिपल रेखा शर्मा ने मुनिवर का स्वागत अभिनंदन किया । अध्यापक राजेंद्र जैन, निर्मल खींचा ,विकास चौधरी, सोनिका मीणा, निर्मला परिहार, सरिता चौहान आदि उपस्थित थे । अंत में बौद्धिक विकास के लिए महाप्राण ध्वनि का प्रयोग करवाया । तथा विद्यार्थियों ने नशा मुक्त रहने का संकल्प किया । लगभग 300 विद्यार्थी एवं 14 अध्यापक परिवार उपस्थित थे । मुनिवर की सेवा में मुकेश, सोनाराम, रोहित भी निरंतर साथ रह रहे हैं । रास्ते की सेवा में तेरापंथ युवक परिषद किशनगढ़ व ब्यावर से अजय गेलड़ा,निखिल संचेती, मनीष रांका, रमेशचंद श्री श्री माल, अमित चोपड़ा, मुकेश रांका आदि साथ रहे ।
