गणिनी आर्यिका 105 यशस्विनी माताजी ने कहा कि कर्म व्यवस्था को प्रासंगिक रूप से समझिए जैन आगम के सिद्धांतों में कर्म सिद्धांत को प्रबल माना गया है जैसा हमने कर्म किया है वैसा फल हमको मिलेगा हो सकता है चक्रवर्ती ब्याज की तरह ज्यादा भी मिल सकता है बातों बातों में किसी भी वार्तालाप में तर्क वितर्क में मनुष्य तीव्र पाप कर्म का उदय कर लेता है जाने अनजाने में भी किया हुआ कर्म फल अवश्य देता है पार्श्वनाथ कॉलोनी में प्रवचन देते हुए माताजी ने कहा कि जो बोएगा वही तो पाएगा अगर आम का पेड़ लगाया है तो आम ही लगेंगे नींबू नहीं उसी तरह जीवन रूपी व्यवस्था में जिस तरह की धारणा हम मन में बना लेते हैं या कर लेते हैं उसी तरह की गति भी तय हो जाती है हमें यह समझना चाहिए कि संसार सागर को पार करना हो तो जीवन बहुत व्यवस्थित रूप से चलाना पड़ता है
श्री दिगंबर जैन मुनि संघ सेवा जागृति मंच के तत्वाधान में चल रहे माताजी के अभूतपूर्व कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रतिदिन 8:30 बजे मार्मिक प्रवचन होते हैं आज की प्रवचन सभा में सुनील जैन माणक बड़जात्या इंदू पाटनी किरण जैन आदि उपस्थित थे