श्रीजी महाराज ने सामाजिक व्यवस्था पर जताई चिंता
ब्यावर, 26 दिसंबर। शहर के देलवाड़ा रोड बाइपास स्थित पर्ल कॉलोनी में स्वर्णगंगा परिवार की ओर से श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन जगद्गुरु निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्यामशरण देवाचार्य श्रीजी महाराज ने कहा कि आजकल सभी को अकेले रहना पसंद है। एकल परिवारों का प्रचलन बढ़ने के कारण वृद्धाश्रम भी बढ़ते जा रहे हैं। यह वृद्धाश्रम भारतीय संस्कृति पर कलंक है।
आचार्यश्री ने इस बात पर चिंता जताई कि हिंदू समाज में परिवार नियोजन बढ़ने से देश में विधर्मी बढ़ रहे हैं। पहले हम दो हमारे दो की सोच थी और अब तो एक ही संतान चाहते हैं। इसी सोच के कारण राष्ट्र को हानि पहुंचाने वालों की संख्या बढ़ रही है। सनातन संस्कृति को बचाने के लिए वंश वृद्धि होनी चाहिए। अगर सक्षम हैं तो चार-पांच संतान करें। यदि लालन-पालन नहीं कर सकें तो उन्हें किसी संत के आश्रम में भेज देना। जब बड़ा होकर वो संत बनेगा तो आपको गर्व होगा। बच्चों को बाल्यावस्था और किशोरावस्था से ही भगवद भक्ति करनी चाहिए। जब वृद्धावस्था में स्वास्थ्य साथ नहीं देगा तो भजन नहीं कर सकोगे। लोग कहते हैं कि भजन में मन नहीं लगता। इसकी वजह है कि भजन का अभ्यास नहीं किया। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए बचपन से ही प्रभु भक्ति का अभ्यास करें। बच्चों को मंदिर साथ ले जाएं। सुबह-शाम संध्या वंदन और भजन करवाएं। यदि बचपन में संस्कार नहीं दिए तो बुढ़ापे में उनसे सेवा की उम्मीद नहीं करें। आजकल बच्चों का अध्ययन भी स्टेटस बनता जा रहा है। बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाइए लेकिन उनमें संस्कार भी दीजिए। दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना.., मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों में., पहले स्कूलों में ऐसी प्रार्थना होती थी और अब बच्चे अंग्रेजी की अर्थहीन प्रार्थनाएं करते हैं। कथा में श्रीजी महाराज ने महाभारत का द्रोपदी चीरहरण प्रसंग सुनाया तो भावुक श्रोताओं की आंखों से अश्रु छलक आए। उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्त का संकट हरने अवश्य आते हैं। द्रोपदी ने पुकारा तो भगवान ने ऐसा चमत्कार दिखाया कि दुष्ट दुशासन हैरान रह गए। कथा में जालंधर से आए संकीर्तनाचार्य पंडित विनोद शर्मा ने सह कलाकारों के साथ भजनों की प्रस्तुति दी। मंच संचालन सुमित सारस्वत ने किया। कथा प्रारंभ होने से पहले आयोजक गणपत सर्राफ, अफ्रीका के ओमप्रकाश मूंदड़ा, हैदराबाद के श्याम राठी, नेमीचंद सर्राफ, माणकचंद अग्रवाल, भागचंद सर्राफ, संदीप सिंहल, प्रदीप डागा, गोपाल शर्मा, जयकिशन बल्दुआ, घनश्याम जगवानी, सतीश राठी, सुनील मूंदड़ा, हरविलास झंवर, सुनील जैथल्या, अर्जुन टेलर व अन्य भक्तों ने व्यासपीठ का पूजन कर आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। गणपत सर्राफ ने बताया कि मंगलवार को भक्त प्रहलाद चरित्र, नृसिंह अवतार एवं वामन अवतार की कथा होगी। बुधवार को श्रीराम अवतार व श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग सुनाया जाएगा। सभी भक्त धूमधाम से प्रभु का जन्मोत्सव मनाएंगे।
गायों की दुर्दशा चिंताजनक
संतश्री ने कहा कि गाय के लिए दान देने से श्रेष्ठ है स्वयं गौ सेवा करें। अगर सक्षम हैं तो घर में गाय अवश्य पालें। घर में गाय होगी तो शुद्ध दूध मिलेगा। बच्चों को गाय का दूध पिलाने से उनकी बुद्धि श्रेष्ठ होगी। गाय का इतना महत्व है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से गौ चारण किया। उनके पास नौ लाख गाय थी। वर्तमान में देश का दुर्भाग्य है कि गायों की दुर्दशा हो रही है। जो गायें भगवान को अतिप्रिय थी, उन्हें आज संभालने वाला कोई नहीं। गायों को भगवान का स्वरूप मानकर पालन और पूजन करें।