केंद्रीय बजट 2023-24 के लिए महासंघ ने वित्तमंत्री सीतारमण को भेजे सुझाव

अजमेर शहर व्यापार महासंघ ने जीएसटी को यूजर फ्रेंडली करने की बताई आवश्यकता
अजमेर शहर व्यापार महासंघ के प्रवक्ता सीए विकास अग्रवाल व प्रवक्ता कमल गंगवाल ने आर्थिक मामलों का विभाग ‘जन भागीदारी’ की भावना को बढ़ावा देने के लिए, वित्त मंत्रालय की बजट बनाने की प्रक्रिया में सहभागी और समावेशी बनाने के लिए नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं जिसमें जरिए सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि “कृपया अपने विचार और सुझाव साझा करें, जो कि समावेशी विकास के साथ भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति में बदलने में मदद कर सकते हैं।” इसी संदर्भ में अजमेर शहर व्यापार महासंघ प्रवक्ता सीए विकास अग्रवाल व प्रवक्ता कमल गंगवाल द्वारा सुझाव देते हुए मांग की कि मध्यम वर्ग के ऊपर कर का बोझ कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए। शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाए व शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने पर जोर दिए जाने की अधिक आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में और अधिक तेजी लाई जाए। इसके अलावा, आगामी बजट में भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्रों में सुधार पर अधिक जोर दिया जाना जरूरी है। महासंघ के अध्यक्ष किशन गुप्ता वा महामंत्री प्रवीण जैन ने बताया कि विभिन्न आयकर दाताओं की उम्मीदें बजट को लेकर वेतनभोगी वर्ग की उम्मीदें हैं कि आगामी बजट में इनकम टैक्स सीमा में कुछ बदलाव करने चाहिए। वित्त वर्ष 2017-18 से कर दरों में संशोधन के लिए विचार नहीं किया गया है। सीए अग्रवाल के अनुसार एक नई कर व्यवस्था शुरू की गई थी, लेकिन पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में इसकी अव्यवहार्यता के कारण अधिकांश करदाताओं द्वारा इसे नहीं अपनाया गया है। इस प्रकार, अधिक क्रय शक्ति का लाभ उठाने के लिए और कुछ कर राहत प्रदान करने के लिए 30 प्रतिशत की उच्चतम कर दर को घटाकर 25 प्रतिशत करने की आवश्यकता है और उच्चतम कर दर के लिए सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर रुपये 20 लाख करने की आवश्यकता है। अतिरिक्त इसके लगातार दो वर्षों तक कोविड-19 के प्रभाव और वैश्विक मुद्रास्फीति और रेपो दरों में लगातार संशोधन के कारण ‘मध्यम वर्ग’ और ‘निम्न मध्यम वर्ग’ काफी हद तक प्रभावित हुए हैं। प्रवक्ता गंगवाल ने बताया कि बजट में धारा 80 सी के तहत सीमा बढ़ाने पर भी गौर करने की जरूरत है। धारा 80 सी के तहत सीमा को 2 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये के बीच कहीं भी बढ़ाया जा सकता है, जिससे बचत और निवेश उन्मुख अर्थव्यवस्था के प्रतिमान को स्थानांतरित किया जा सके। इसके अलावा, चिकित्सा उपचार और चिकित्सा बीमा की बढ़ी हुई दरों पर विचार करते हुए, धारा 80 डी के तहत 25,000-50,000 रुपये की मौजूदा सीमा की समीक्षा की जानी चाहिए और मुद्रास्फीति की वृद्धि के अनुरूप वृद्धि की जानी चाहिए। महासंघ के सचिव गिरीश लालवानी ने सुझाव दिया कि व्यापारियों को जीएसटी के सरलीकरण व यूजर फ्रेंडली की बहुत अधिक आवश्यकता है जिसके जटिल होने के कारण नए व्यवहारी जीएसटी की जटिलता के कारण व्यापार शुरू करने में भी कतरानें लगें हैं। महासंघ ने आगामी आम बजट को विकासोन्मुखी व आम जनता और व्यापारियों के हित में पेश करने की मांग की है।
सीए विकास अग्रवाल,
प्रवक्ता, अजमेर शहर व्यापार महासंघ
मो. 9829535678

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