कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी, हिंदू समाज के मेलो मैं समुचित व्यवस्था नहीं करती – देवनानी

मेला प्राधिकरण गठन विधेयक महज कागजी खानापूर्ति = देवनानी
सरकारी अफसरों का ही प्राधिकरण बनकर रहेगा = देवनानी

वासुदेव देवनानी
अजमेर 19जुलाई। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री और अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने बुधवार को सदन में पेश हुए मेला प्राधिकरण गठन विधेयक में कई तकनीकी और व्यवहारिक खामियां बताई। देवनानी ने कहा की इस प्राधिकरण में कही भी जनप्रतिनिधियों को नहीं जोड़ा गया है जिससे यह प्राधिकरण सिर्फ सरकारी अफसरों का प्राधिकरण ही बनकर रह जायेगा। साथ ही देवनानी ने कहा की प्राधिकरण में आयोजन समिति को भी नही जोड़ा गया जिससे सजा के प्रावधानों का कोई औचित्य नहीं रहता। अगर मेले के दौरान किसी तरह की कोई गड़बड़ी या बड़ा हादसा हो जाए तो उसमे सजा के लिए आयोजन समिति को जिम्मेदार रखा गया है लेकिन क्या प्राधिकरण की जिम्मेदारी भी तय की गई है।
देवनानी ने कहा की भारतीय संस्कृति में मेले की अपनी एक अलग विशेष महत्वतता है लेकिन सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से महज 1करोड़ 15 लाख रुपए के खर्च का ही प्रावधान रखा है जो की न्यूनतम से भी निचले स्तर का है। प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा तो बड़े मेले हर साल लगते है जबकि छोटे स्तर पर लगने वाले मेलों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में इतने कम बजट में किस तरह का सांस्कृतिक प्रोत्साहन सरकार इन मेलों को देना चाहती है।
देवनानी ने विधेयक के माध्यम से सरकार पर मेलों में पक्षपात का भी आरोप लगाया स देवनानी ने कहा की हिंदू पर्व पर आयोजित होने वाले मेलों पर सरकार खास तवज्जो नहीं देती और वहां आवश्यक सेवाएं भी नियमित रूप से मुहैया नहीं होती। वही, अन्य मेलों में सरकार एक पांव पर खड़े होकर सभी व्यवस्थाएं चुस्त दुरस्त करती है। मसलन, उर्स के मौके पर सभी एजेंसियां दिन रात लगकर व्यवस्थाएं करती है। जहां पुष्कर मेला चेटीचंड मेला , और कल्प वृक्ष अनेक हिंदू मेलों में लोग पानी को तरस जाते है वही उर्स के मौके पर दिन में तीन चार बार सप्लाई दी जाती है। ऐसे में मेलों के माध्यम से भी सरकार तुष्टिकरण की नीति से बाज़ नही आती।

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