साहिबजादों का बलिदान और दीवान टोडरमल जैन का त्याग

आज दिनांक 30 दिसम्बर 2023 – साहिबजादों का बलिदान और दीवान टोडरमल जैन का त्याग विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन गुरूद्वारा श्री गुरु रामदास सत्संग सभा रामगंज, अजमेर परिसर में प्रातः 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक किया गया। इस गोष्ठी में सर्वधर्म मैत्री संघ और जैन समाज के अध्यक्ष प्रकाश जैन के नेतृत्व में जैन समाज के अनुयायियों ने भाग लिया।
यह जानकारी देते हुए प्रबन्धक जगदीष सिंह सोखी ने बताया कि गोष्ठी का प्रारंभ ज्ञानी सरवन सिंह के गुरुवाणी कीर्तन से हुआ। तत्पष्चात् सिख धर्म के प्रचारक सरदार दिलीप सिंह छाबड़ा ने अपने संबोधन में दिसंबर के आखिरी सप्ताह के शहीदी सिक्ख इतिहास का वर्णन किया जिसमें बताया कि 22 दिसम्बर को गुरु गोबिंद सिंह जी 40 सिक्ख फौजों के साथ चमकौर की गड़ी, एक कच्चे किले में 10 लाख मुगल सैनिको से मुकाबला करते है। एक-एक सिक्ख 10 लाख मुगलिया फौजों पर भारी पड़ता है। गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े बेटे 17 वर्षीय साहेबजादा अजित सिंह ने मुगल फौजों में भारी तबाही की, लेकिन 10 लाख मुगलिया फौजों के सामने शहीदी को प्राप्त करते है। छोटे 14 वर्षीय साहिबजादे जुझार सिंह ने बड़े भाई की शहादत को देखते हुए पिता गुरु गोबिंद सिंह जी से युद्ध के मैदान में जाने की अनुमति मांगी। एक पिता ने अपने हाथो से पुत्र को सजाकर युद्ध के मैदान में भेजा। वह भी लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए। गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे बेटे साहिबजादे 7 वर्षीय जोरावर सिंह और 5 वर्षीय फ़तेह सिंह अपनी दादी माता गुजरी जी के साथ युद्ध के दौरान पिता गुरु गोबिंद सिंह जी से बिछड़ जाते हैं। जो रसोइया गंगू ब्राह्मण की नमक हरामी की वजह से इनाम के लालच में सरहंद के नवाब वजीर खान के पास बंदी बना लिए गए। दोनों मासूम बच्चो को इस्लाम कबूल करवाने तरह तरह की तकलीफे दी जाती है। माता गुजरी जी व उनके पोतों को दिसम्बर माह की खून जमा देने ठड़ में किले के ठंडे बुर्ज में कैद कर रखा जाता है। 27 दिसम्बर को वजीर खान के दरबार में दोनों छोटे साहिबजादों को हाजिर करने का फरमान जारी होता है। दादी अपने पोतों को सजा कर माथे पर कलगी लगाकर भेजती है। कचहरी में घुसते ही नवाब के समक्ष शीश झुकाना होता है। जो सिपाही साथ जा रहे थे, वे पहले सर झुका कर खिड़की के द्वारा अन्दर दाखिल हुए। उनके पीछे साहबज़ादे थे। उन्होंने खिड़की में पहले पैर आगे किये और फिर सिर निकाला। थानेदार ने बच्चों को समझाया कि वे नवाब के दरबार में झुककर सलाम करें। किन्तु बच्चों ने इसके विपरीत उत्तर दिया और कहा कि, यह सिर हमने अपने पिता गुरू गोबिन्द सिंह के हवाले किया हुआ है, इसलिए इस को कहीं और झुकाने का प्रश्न ही नहीं उत्पन्न होता।
इसी क्रम में मुगलिया फरमान बच्चों को सुनाया गया, “मुसलमान बनना स्वीकार नहीं करोगे तो कष्ट दे देकर मार दिये जाओगे और तुम्हारे शरीर के टुकड़े सड़कों पर लटका दिये जायेंगे, ताकि भविष्य में कोई सिक्ख बनने का साहस न कर सके’’। इस्लाम कबूल करने की बजाय तो हमें सिक्खी जान से अधिक प्यारी है। दुनिया का कोई भी लालच व भय हमें सिक्खी से नहीं गिरा सकता। हम पिता गुरू गोबिन्द सिंह के शेर बच्चे हैं तथा शेरों की भाति किसी से नहीं डरते। हम इस्लाम धर्म कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। तुमने जो करना हो, कर लेना। हमारे दादा श्री गुरू तेग बहादुर साहिब ने शहीद होना तो स्वीकार कर लिया परन्तु धर्म से विचलित नहीं हुए। दोनों साहिबजादे धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गये खबर जब माता गुजरी जी तक पहुची तो उन्होंने भी अपने शरीर का त्याग कर दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पिता गुरु तेगबहादुर जी, चारों बेटों साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह जी और अपनी माता गुजरी कौर को देश धर्म की रक्षा की खातिर न्योछावर कर दिया।
कार्यक्रम में प्रकाश जैन व नए दीवान टोडरमल जैन द्वारा अपने धन और सोने की मोहरों के त्याग का वर्णन किया। क्योंकि यह शहीदी इतिहास दीवान टोडरमल जैन के बिना पूरा नहीं होता है. साहिबजादों के दाह संस्कार के लिए नवाब ने दीवान टोडरमल जैन के सामने शर्त रखी थी कि दाह संस्कार के लिए जमीन लेने के लिए जितनी जमीन पर सिक्के खड़े करके बिछा दिए जायेंगे,उतनी जमीन ले सकेंगे। दीवान टोडरमल जैन जो कि एक धनाढ्य व्यापारी थे और उन्हें दीवान पद दिया गया था, ने जमीन पर सिक्के खड़े करके जमीन खरीदी थी।
प्रकाश जैन ने बताया कि इस प्रकार की मानवता की और सर्वधर्म एकता की अद्भुत मिसाल और कहीं नहीं मिलती है. उन्होंने कहा है सरकार को दीवान टोडरमल जैन का स्मारक बनाकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
अंत में गुरूद्वारा अध्यक्ष सरदार बलबीर सिंह जी हुंजन ने आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी इस प्रकार की गोष्ठियां आयोजित की जांऐं। अंत में गोष्ठी का समापन अरदास के साथ किया गया।
(जगदीष सिंह सोखी)
प्रबन्धक
रामगंज गुरूद्वारा
मो. 9414173468

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