अजमेर, 17 मार्च, 2024 / अष्टानिका महापर्व पर श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन जिनालय सर्वोदय कॉलोनी में सिद्ध चक्र महामंडल विधान प्रारंभ हुआ, जिसमें देवाधिदेव 1008 श्री शांतिनाथ भगवान के प्रथम कलश एवं शांति धारा का पुण्यार्जन नवीन नीलिमा पाटनी, मोहनलाल पुनीत लुहाडिया, कमल इंदिरा कासलीवाल परिवार को मिला।
मंत्री श्री विनय गदिया ने बताया कि 9 दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान जिनालय की स्थापना से लगभग 30 वर्षों में प्रथम बार आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लगभग 60 धर्मावलंबी विधान में हिस्सा ले रहे हैं। सिद्धचक्र विधान मंडल एक ऐसा अनुष्ठान है, जो हमारी जीवन के समस्त पाप-ताप और संताप को नष्ट कर देता है। इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। ‘सिद्धचक्र’’ का अर्थ है सिद्धों का समूह है। तीनलोक के अग्रभाग पर अनन्तानन्त सिद्ध विराजमान रहते हैं। उन सबको सिद्धचक्र विधान के माध्यम से नमन किया गया है। मैना सुन्दरी ने अष्टान्हिका में इसकी विधिवत् आराधना करके अपने पति एवं सात सौ कुष्ठियों का कुष्ठ रोग दूर किया था। ‘‘सिद्ध’’ विशेष मंगलसूचक है।
व्यवस्थापक अभय जैन एवं धनकुमार लुहाड़िया ने बताया कि सायंकाल में महाआरती का आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भक्तामर का पाठ नित्य प्रतिदिन किया जाएगा। प्रथम दिन आरती कमल कासलीवाल परिवार द्वारा लाई गई। इस विधान में अशोक सुरलाया, सुभाष पाटनी, अनिल गंगवाल, अशोक गोधा, सुभाष गंगवाल, भागचंद बड़जात्या, माणकचंद गंगवाल सहित कई परिवार भाग ले रहे हैं। विधान 25 मार्च तक आयोजित होगा।
अनिल कुमार जैन
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