*आत्मनिंदा सबसे बड़ा धर्म और परनिंदा सबसे बड़ा पाप -आचार्य सुंदरसागर महाराज*

*आचार्य ससंघ के सानिध्य में दशलक्षण महापर्व की आराधना रविवार से शुरू होगी*
*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में वर्षायोग प्रवचन*

भीलवाड़ा, 6 सितम्बर। जीव कभी अपनी प्रकृति नहीं बदलता है। सांप को दूध में गुण मिलाकर पिलाए तो भी वह काटेगा ओर जहर ही उगलेगा। भव्य जीव की वितराग व भगवान जिनेन्द्र देव पर आस्था है तो वह सम्यक है। सम्यक दृष्टि रखने वाला भव्य है। गुरू जिनवाणी के आधार पर भव्य ओर अभव्य बता सकते है। सामने वाले की परिणति देख अनुमान लगा सकते है। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत शुक्रवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रीतियां धर्म नहीं है पर उन्हें छोड़ने से इतिहास मिट जाएगा। कुरीति नहीं सुनीति बनाना है। रोट तीज धार्मिक पर्व नहीं पर मनाने की परम्परा है। आज के दिन रस त्याग कर आसक्ति कम करना तथा बड़ो का सम्मान देेने का दिन है। बड़ो का आशीर्वाद लेकर उनके हाथ से बना रोट खाते है। आचार्यश्री ने कहा कि कुछ लोग मुनियों की निंदा करते है,उन्हें पाप लगता है ओर दरिद्रता आती है। रोट तीज की कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि आत्मनिंदा सबसे बड़ा धर्म ओर पर निंदा सबसे बड़ा पाप है। इससे पूर्व प्रवचन में मुनि श्री सुधीरसागरजी ने कहा कि पूजन, प्रवचन व धर्मकक्षा में हम क्या ग्रहण कर रहे इस पर चिंतन करना चाहिए। सम्यक ज्ञान,दर्शन व चारित्र ही मोक्ष का मार्ग है। केवल सम्यक ज्ञानी होने से मोक्ष नहीं मिलता। सम्यक चारित्र भी होना जरूरी है। मिथ्यात्व संसार का कारण है,जब तक मिथ्या ज्ञान है सम्यक ज्ञान का विचार नहीं कर सकते है। दुख का कारण बाहरी वस्तुओं को अपना मानना ओर निज को भूलना है। पुण्य क्रिया करने से पाप की क्रिया बंद हो जाएगी। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में दसलक्षण महापर्व की आराधना रविवार 8 सितम्बर से 17 सितम्बर तक होगी। इस दौरान प्रतिदिन सुबह सुबह 5 बजे ध्यान, सुबह 6.15 बजे नित्य अभिषेक एवं शांतिधारा, सुबह 7.30 बजे से श्रीजी का पांडाल में आगमन, सुबह 7.45 बजे से संगीतमय पूजन एवं मंगल प्रवचन होंगे। आहारचर्या के बाद दोपहर 2 बजे से तत्वार्थसूत्र पूजन,सरस्वती पूजन व तत्वार्थ सूत्र वाचन होगा। शाम 6 बजे से प्रतिक्रमण एवं सामायिक, शाम 7.15 बजे से श्रीजी की आरती एवं शाम 7.40 बजे से आचार्यश्री की भक्तिमय आरती होगी। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।

*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
मो.9829541515

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