पर्युषण के छठे दिन जप दिवस के रूप में मनाया गया

जैन धर्म के तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की शिष्याओं मुमुक्षु बहनों राजुल बाई, मुमुक्षु खुशी बाई, मुमुक्षु भावना बाई, मुमुक्षु कनिष्का बाई की उपस्थिति में इस वर्ष सामुहिक रूप से सुंदर विलास स्थित तेरापंथ भवन में त्याग तपस्या के पावन पर्व पर्युषण महापर्व को मनाया जा रहा है। पर्युषण के छठे दिन को जप दिवस के रूप में मनाया गया।
जप दिवस पर प्रातःकालीन प्रवचन में मुमुक्षु संयोंजिका, मुमुक्षु राजुल ने जप दिवस के अवसर पर बताया कि मंत्र (शब्द) अजीव होते हुए भी हमारे जीवन की दिशा को बदल सकते हैं, दुख को सुख में बदल सकते हैं, और हमें हर परिस्थिति में स्थिर रहने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं, और चमत्कार को भी घटित कर सकते हैं। मुमुक्षु कनिष्का ने आगम स्वाध्याय के दौरान बताया कि अज्ञान ही दुख का कारण है और हम जिन कर्मों को बांधते हैं उन्हें भोगना ही पड़ता है। परंतु दलित और निकाचित कर्मों में से दलित कर्मों को अपने सम्यक् पुरुषार्थ के द्वारा परिवर्तित भी किया जा सकता है और एक दिन संपूर्णतया क्षय भी किया जा सकता है।
मुमुक्षु खुशी ने महावीर जीवनी के दौरान बताया कि भगवान स्वयं ही दुर्गम पथ पर आगे बढ़ते हैं और अपनी क्षमताओं को परखने की कोशिश करते हैं। पूर्व भवों में तो महावीर का जीव अपना आपा बैठते और विचलित हो जाते, पर अंतिम भव में हर परिस्थिति (शूलपाणी यक्ष का उपसर्ग, चंडकौशिक सर्प का विष, कठपुतना का उपसर्ग) में भगवान ने अपनी बेजोड़ सहनशीलता का परिचय दिया।
सांयकालीन कार्यक्रम के दौरान प्रतिक्रमण, अर्थात वंदना, ध्यान के प्रयोग के पश्चात एक डॉक्यूमेंट्री के द्वारा लाडनूं में स्थित परमार्थिक शिक्षण संस्था में रहने वाली मुमुक्षु बहनों की जीवनशैली पर प्रकाश डाला गया। यह संस्था वैराग्य का भाव रखने वाले मुमुक्षु भाई-बहनों के प्रशिक्षण का एक सशक्त माध्यम है, दीक्षा से पूर्व यहां शिक्षा का सुव्यवस्थित रूप से संचालन होता है। अंत में उनके संयम की ओर बढ़ाए गए कदमों के अनुभवों को अभिव्यक्त किया गया।

अशोक छाजेड़,
अध्यक्ष तेरापंथ भवन
+91 95093 06237

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