*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में दशलक्षण महापर्व की आराधना आज से*
भीलवाड़ा, 7 सितम्बर। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में दसलक्षण (पर्युषण) महापर्व की आराधना शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में रविवार से शुरू होगी। दस दिवसीय आराधना अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर 17 सितम्बर को पूर्ण होगी। दशलक्षण महापर्व के तहत प्रतिदिन धार्मिक भक्ति से ओतप्रोत विभिन्न कार्यक्रम होंगे ओर प्रतिदिन धर्म से सम्बन्धित अलग-अलग विषय पर प्रवचन होंगे। दशलक्षण महापर्व की पूर्व संध्या पर शनिवार को चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन में राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने कहा कि दशलक्षण पर्व मन की सफाई करने का अवसर है। यह पर्व आकर हमारे अंतःकरण में दया,क्षमा ओर मानवता को जगाने का कार्य करते है। इसीलिए हमे अपने जीवन में धर्म के दस सौपानों को धारण करना चाहिए। इन्हीं दस सौपानों को समझने का अवसर दशलक्षण पर्व हमे देता है। क्षमा का अर्थ सहन करना,शांत करना है। क्षमा वास्तव में एक अलंकरण है जो शत्रु या मित्र होने पर सहिष्णुता का पाठ पढाता है। उन्होंने कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है। मन की गांठ खोलने को ही क्षमा कहते है। क्रोध पर अंकुश लगाने का उत्तम उपाय क्षमा धर्म है। जो झुकना सीखाता है व मद का नाश ओर अहंकार का विनाश करता है उसे मार्दव कहते है। किसी भी प्रकार के मान या अभिमान को समाप्त करने का नाम मार्दव धर्म है। जो विनम्रता सीखाता है ओर विनयशीलता लाता है उसे उत्तम मार्दव धर्म कहते है। आचार्यश्री ने गणेश चतुर्थी पर्व की चर्चा करते हुए कहा कि जब भी तीर्थंकर होंगे गणेश साथ में होंगे। चतुर्विद संघ के नायक आचार्य गणेश होते है। भगवान की वाणी गणधर ही झेलते है। गणेश शब्द एक है लेकिन जिनशासन में मान्यता अलग है। गणेश की आराधना करने पर ही लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। उनका हाथ पकड़ने से केवल ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में दसलक्षण महापर्व की आराधना रविवार 8 सितम्बर से 17 सितम्बर तक होगी। इसके तहत पहले दिन सितम्बर को उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे दिन उत्तम शौच, पांचवे दिन उत्तम सत्य, छटे दिन सुगंध दशमी को उत्तम संयम, सातवें दिन उत्तम तप, आठवे दिन उत्तम त्याग, नवें दिन उत्तम आकिंचन्य एवं अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी पर उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस मनाते हुए आराधना की जाएगी। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि इस दौरान प्रतिदिन सुबह सुबह 5 बजे ध्यान, सुबह 6.15 बजे नित्य अभिषेक एवं शांतिधारा, सुबह 7.30 बजे से श्रीजी का पांडाल में आगमन, सुबह 7.45 बजे से संगीतमय पूजन एवं मंगल प्रवचन होंगे। आहारचर्या के बाद दोपहर 2 बजे से तत्वार्थसूत्र पूजन,सरस्वती पूजन व तत्वार्थ सूत्र वाचन होगा। शाम 6 बजे से प्रतिक्रमण एवं सामायिक, शाम 7.15 बजे से श्रीजी की आरती एवं शाम 7.40 बजे से आचार्यश्री की भक्तिमय आरती होगी। सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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