फ़नकारों ने प्रभावपूर्ण गायकी से समां बांधा

*इंडिया इंटरनेशनल म्यूजिक लवर्स सोसाइटी द्वारा भव्य गज़ल संध्या तरन्नुम का आयोजन*
अजमेर । 03.12.2024 / इंडिया इंटरनेशनल म्यूजिक लवर्स सोसाइटी द्वारा पहली बार एक भव्य गजल संध्या तरन्नुम का आयोजन किया गया । वैशालीनगर स्थित रेस्टोरेंट में आयोजित कार्यक्रम में फ़नकारों ने प्रभावपूर्ण गायकी से चार चांद लगा दिए और संस्था को नई ऊंचाइयां प्रदान की ।

महासचिव कुंजबिहारी लाल ने साउंड और भव्य साज सज्जा की सम्पूर्ण व्यवस्था संभाली । उन्होंने जानकारी दी कि विभिन्न महकमों से डॉक्टरों , अधिकारी , शिक्षकों और नए पुराने सदस्यों ने तरन्नुम ग़ज़ल कार्यक्रम में साज सज्जा व परिधान का भी विशेष ख्याल रखा जिसका प्रभाव सम्पूर्ण कार्यक्रम में स्पष्ट दिखाई दिया।

गाये जाने वाली गज़लों में जहां जगजीत सिंह को अपने अपने अंदाज़ में महासचिव कुंजबिहारी लाल ने होश वालों को खबर क्या, उपाध्यक्ष डाॅ दीपा थदानी ने होठों से छू लो तुम , विजय हलदानिया ने मेरी देरो हरम में बसने वालों, शरद शर्मा तुमको देखा तो ये ख्याल आया, आजाद अपूर्वा ने बात निकलेगी तो दुर तलक जायेगी, डाॅ एसएन भट्ट और नवल भाभड़ा ने प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है, डॉ महेश मेहता मीना खिलयानी ने तेरे आने की जब खबर महके, दिलीप लोंगानी ने तुम इतना जो मुस्करा रही हो, मोहन किशोर मिश्रा ये दौलत भी ले लो सुनाकर तालियां बटोरी ।

हुसैन ब्रदर्स की बहुचर्चित गजल को उनके जन्म दिन पर लता लखयानी ने चल मेरे साथ ही चल ऐ मेरी जाने गजल की प्रस्तुति पर उनकी हर लाईन पर तालियों व वाहवाही की गुंज सुनाई दी।

चित्रा सिंह की मशहूर गज़ल सांस्कृतिक सचिव रशिम मिश्रा ने क्यो जिन्दगी की राह मे मजबूर हो गये को श्रोताओं ने खूब सराहा व खड़े होकर करतल ध्वनि से अभिवादन किया। आलोक वर्मा चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल पर सबने मिलकर सुंदर नृत्य भी किया।

लता मंगेशकर के दर्द भरी ग़ज़लों को उषा मित्तल ने रहते थे कभी जिनके दिल में , कुमकुम जैन है इसी में प्यार की आबरू, मीना कंजानी तुझसे नाराज नहीं जिंदगी ज्योति खोरवाल ए दिले नादान सुनाकर अपना ध्यान आकर्षित किया । सलमा आगा के जिस गीत से उन्हें पहचान मिली को
वंदना मिश्रा ने फजाॅ भी है जवां जवां , दिव्या एंव डाॅ विकास सक्सेना ने दिल की ये आरजू थी कोई दिलरूबा गाकर फिर यादें जिंदा की ।

अध्यक्ष गणेश रानी चौधरी और सुनीता मोहन मिश्रा ने उस मोड से शुरू करें और संस्थापक डाॅ लाल थदानी लता लखयानी ने देख के तुमको होश में आना भूल गए युगल ग़ज़लों में खासा प्रभावित किया । तलत अजीज़ की मखमली आवाज को निभाते हुए हेमचन्द गहलोत ने जिंदगी जब भी तेरी बज्म में की मधुर प्रस्तुति दी।

रविन्द्र माथुर ने तलत महमूद की फिर वो ही शाम वो ही गम की, नरेश रतनानी ने चंदनदास की ना जी बार के देखा ना कुछ बात की और गणेश चौधरी ने गुलाम अली की हम तेरे शहर में आए है मुसाफिर की तरह प्रस्तुति देकर वाह वाही लूटी। डॉ अभिषेक माथुर ने हमारी ऑखो में आज तक से गुलाम अली और नूरजहां की आवाज़ को साकार किया ।

पंकज उधास की श्रृंखला में नीरज मिश्रा ने ऐ गमें जिंदगी कुछ तो दे मशवरा, प्रहलाद चन्द तिवाड़ी ने जिस दिन से जुदा वो हम से हुए, राकेश गौड ने दिवारों से मिलकर रोना की ग़ज़लें सुनाई । इसी कड़ी में चंदन सिंह भाटी ने सबको मालूम है मैं शराबी नहीं , अनिल जैन ने उसने बडे अंदाज से सरका के दुपट्टा और लछमण हरजानी निकलो ना बेनकाब जमाना खराब है के साथ पूरा न्याय किया।

भूपिंदर सिंह की बेहतरीन गजलों में से एक
दिव्या गोपलानी एंव आजाद अपूर्वा और डॉ लाल थदानी ने किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी है

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