अजमेर। राजस्थान कर बोर्ड, अजमेर के द्वारा एडवोकेट सुचिर भारद्वाज की ओर से डाली गयी निगरानी याचिका में निर्णय दिया गया है कि क्रयशुदा भूमि का पंजीयन के समय जो उपयोग हो उप पंजीयक उसी अनुसार मुद्रांक राशि एवं पंजीयन राशि की गणना कर राशि प्राप्त करके दस्तावेज पंजीयन कर लौटाये।
उप पंजीयक कार्यालय अजमेर प्रथम में श्रीमती अरूणा अग्रवाल द्वारा एक भूखण्ड का बेचान श्री मनोज शर्मा के पक्ष में दिनांक 12-10-2018 को किया गया, जो भूखण्ड मुख्य मार्ग माकडवाली रोड पर स्थित था एवं दौराने पंजीयन अजमेर विकास प्राधिकरण से अपावासीय प्रयोजनार्थ नियमनशुदा था। जिसको पंजीयन हेतु प्रस्तुत किये जाने पर उप पंजीयक अजमेर प्रथम द्वारा पंजीयन कर लौटा दिया गया, लेकिन उसके पश्चात उसकी मालियत व्यावसायिक दर से निर्धारित करके कमी सरचार्ज की अतिरिक्त कुल राशि 34,42,810/रूपये अक्षरे चौतीस लाख बयालीस हजार आठ सौ दस रूपये की वसूली निकाली गयी, जिसकी राशि जमा नहीं करवाये जाने पर उप पंजीयक ने वसूली हेतु रेफरेन्स कलक्टर मुद्रांक को प्रषित किया, कलक्टर मुद्रांक ने भी प्रकरण में एकपक्षीय कार्यवाही अमल में लाकर अतिरिक्त ब्याज राशि 21,42,073/-रूपये एवं शास्ति 21,43,073/-रूपये कुल राशि 77,28,956/-रूपये की मांग श्री मनोज कुमार शर्मा से की गयी, जिसके विरूद्ध श्री मनोज कुमार शर्मा की ओर से उनके अभिभाषक श्री सुचिर भारद्वाज की ओर से निर्धारित 25 प्रतिशत राशि जमा कराकर राजस्थान कर बोर्ड, अजमेर में निगरानी संख्या 2024/126/अजमेर प्रस्तुत की गयी एवं उसमें तथ्यपूर्ण बहस करते हुए यह बताया गया कि बरवक्त विक्रयपत्र पंजीयन उक्त भूखण्ड आवासीय प्रयोजनार्थ था, अतः उस पर व्यावसायिक दर निर्धारित किया जाना न्यायोचित नहीं है, जिन तथ्यों को माननीय सदस्य राजस्थान कर बोर्ड, अजमेर द्वारा स्वीकार किया जाकर उप पंजीयक अजमेर प्रथम को आदेशित किया गया कि प्रार्थी पर दुबारा मुद्रांक शुल्क का आरोपण किया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है एवं प्रार्थी द्वारा निगरानी प्रस्तुत करने हेतु कर बोर्ड में जमा करवाई गई राशि पुनः प्रार्थी को तीस दिवस में लौटाने के भी आदेश पारित किये।
भवदीय
एडवोकेट सुचिर भारद्वाज
अंजनी विहार, पुलिस लाईन, अजमेर।