जहां हुआ भ्रष्टाचार,वहां की होटल नहीं टूटेंगे

चाहे दो मंजिल के जगह 10 मंजिल के होटल बना लो
अजमेर / अजमेर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पार्षद प्रताप सिंह यादव ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर दरगाह बाजार क्षेत्र में व दिल्ली गेट बाहर हो रहे अनेकों खतरनाक रूप से आठ आठ मंजिला तक बिना किसी सही स्वीकृति के बन रही अवैध होटलों की और सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए पत्र में लिखा है की पचासों शिकायतें करने के बाद भी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारी जब उन पत्रों पर नियमानुसार कार्रवाई न करते हैं व सिर्फ टाल मटोल की नीति अपनाते  हैं तो इन सब प्रकरणों की जांच राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कराई जाए। ऐसे ही उदाहरण वैशाली नगर, पड़ाव, सिनेमा रोड,केसरगंज, डीग्गी बाजार, अंदर कोट, खादिम मोहल्ला व नला बाजार आदि क्षेत्रों में खुलेआम सकड़ी गलियों में बहु मंजिला अवैध होटल बनती हुई देखी जा सकती है इनकी भी शिकायत सरकार से की गई है।
 उदाहरण के लिए दो होटलों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है एक तो होटल शोभराज के पीछे कोई नवीन पारवानी पुत्र जय किशन पारवानी द्वारा नगर निगम के वार्ड 07 मेँ अवैध रूप से बन रही होटल का जो 7 नवंबर को हुई सिर्जिंग की कार्रवाई में शामिल था लेकिन उसे बड़ी चालाकी से एडवांस में सूचना देकर माननीय न्यायालय की शरण में भेजा गया और वह नगर निगम की ओर से कमजोर पैरवी के चलते वह अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने में सफल  रहा।
ध्यान रहे उक्त स्थान पर आवासीय मकान को तोड़कर, आवासीय क्षेत्र में अवैधानिक रूप से बिना वैधानिक नक्शा पास कराए,1+2 के बजाय 1+7 मंजिल का व्यावसायिक निर्माण,अवैधानिक रूप से नगर निगम अजमेर के पार्षद एवं अधिकारियों की शह व मिली भगत से, बिना तीन तरफ सेटबैक व बिना मार्गाधिकार  छोड़ें ,तीव्र गति से बिना किसी भय के चल रहा है । जो अब समाप्ति की ओर है । होटल के सामने मात्र 20 25 फीट का भीड़भाड़ वाला रास्ता है, अवैध निर्माणकर्ता इतना निडर है कि उसने किसी प्रकार का सूचना पट भी अपने निर्माणधीन भवन के सामने लगाना उचित नहीं समझा। इसमें इतनी अनियमितता है की यह निर्माण राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 के तयशुदा प्रावधानों के विपरीत जाकर बनाया जा रहा है ,जो पूरी तरह तुड़वाने योग्य है ।
  इसी के साथ अग्नि के बचाव हेतु होटल के अंदर दीवारों पर लगाए जाने वाले अग्निशमन यंत्र एवं पानी की लाइन नहीं लगी है , जिससे इस भीड़भाड़ वाले इलाके में कभी भी आग लगने का खतरा पैदा हो सकता है।
20 25 फीट चौड़े रास्ते पर आठ मंजिला ऊंची इमारत व्यावसायिक कार्य हेतु बनाया जाना वह भी बिना पार्किंग का स्थान व मार्गाधिकार छोड़ें, बनाया जाना पूर्ण रूप से अवैध है
           अतः आपसे निवेदन है कि इस प्रकरण की न्याय पूर्वक निष्पक्ष जांच कर, इसे तुड़वाया जाए एवं अवैधानिक कार्य की जानकारी होने बाद भी अवैध निर्माणकर्ता को मदद करना भारी अपराध है।
 होटल मालिक आठवीं मंजिल पर बार बनाना चाहता है, ऐसी चर्चा है । जिससे शराबी घनी आबादी के चारों ओर निहार सके और गलती से अगर कांच की बोतल नशे में फेंक दें तो कुछ भी दुर्घटना घट सकती है।
 वार्ड 7 में ही दूसरा प्रकरण तो इससे भी ज्यादा खतरनाक है वहां पर पुरातत्व एवं संरक्षण विभाग के स्मारक दिल्ली गेट से मात्र 60 मीटर दूर 6 मंजिला होटल बिना किसी सेटबैक मार्गअधिकार एवं पार्किंग के छोड़े होटल के सामने प्राइवेट लैंड होते हुए पर्याप्त रास्ता ना होते हुए भी होटल खड़ी कर दी गई,2 मंजिला नक़्शे  की जगह 6 मंजिला होटल।
        सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि इन निर्माणकर्ता पूनम मोटवानी व जयकिशन मोटवानी उर्फ कारा ने चार टुकड़ों में अलग-अलग मालिकों से यह जगह खरीदी और इसके बीच में आम नागरिकों के आवागमन हेतु 12 फीट चौड़ी सड़क जो यतीम खाना,गुरनानी मोहल्ला को दिल्ली गेट से मिलाती थी उसके 32 फीट लंबे भाग को पूरी तरह अपने कब्जे में लेकर मिला लिया और भ्रष्टाचार के चलते नगर निगम के अधिकारियों ने पचासों शिकायतों के बाद भी इस और कोई ध्यान नहीं दिया। मात्र सीज किया गया व सार्वजनिक रास्ते पर जो कब्जा किया था उसे वापस नहीं खुलवाया गया और ना ही होटल को तोड़ा गया।
यहां पर भी अग्निशमन विभाग से अग्नि सुरक्षा हेतु कोई स्वीकृति प्राप्त नहीं की।
       इसकी भी शिकायत राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पास सरकार के माध्यम से भिजवाई गई है।
 इन दोनों प्रकरणों की समाचार पत्रों में, न्यूज़ एवं सोशल मीडिया में अनेकों बार समाचार प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन होटल मालिकों को तनिक भी भाई नहीं है नहीं है । कहते हैं सैया भाई कोतवाल तो डर काहे का ।
 प्रताप सिंह यादव ने बताया कि अब जब यह प्रश्न भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पास सरकार के पास भिजवाया है तो हो सकता है अजमेर में सभी जगह हो रहे अवैध निर्माणों पर रोक लगा सके वह अधिकारी भी नियमों की पालना की ओर ध्यान दे सके ।
 आश्चर्य की बात है की अवैध निर्माण में अतिक्रमण के विरुद्ध सूचना के अधिकार के तहत अगर जानकारी हेतु आवेदन किया जाए तो उसे किसी न किसी बहाने शून्य जवाब दिया जाता है अगर इसकी महापौर के यहां अपील की जाए तो वहां भी अधिकारी जैसा चाहते हैं वैसा ही आवेदक के विरुद्ध फैसला निकालकर आता है नगर निगम अजमेर में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
 इस प्रकरण की एसीडी से जांच करके दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने का प्रकरण बनता
(प्रताप सिंह यादव)
पूर्व पार्षद एवं उपाध्यक्ष अजमेर शहर जिला कांग्रेस कमेटी, 
दिनांक 29/01/2025
मो. 9929533341

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