माननीय गजेंद्र सिंह जी शेखावत,
केंद्रीय मंत्री: संस्कृति,कला एवं पर्यटन मंत्रालय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली।
माननीया दिया कुमारी जी,
उप मुख्यमंत्री व मंत्री पर्यटन ,कला संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार,
जयपुर।
माननीय महा निदेशक महोदय,
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण,( संस्कृति मंत्रालय)
24, तिलक मार्ग,
नई दिल्ली।
माननीय जिला कलेक्टर महोदय,
अजमेर।
विषय: श्री पुष्कर तीर्थ ब्रह्मलोक कॉरिडोर एवं सर्वांगीण विकास किया जाना असंभव ?

बाधक बने भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय प्राचीन संस्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958( संशोधन एवं विधिमान्यकरण) 2010 में निहित नियम शर्तों के तहत राष्ट्रीय संरक्षित स्थल व इसके आस पास प्रतिषिद्ध क्षेत्र के 100 मीटर परिधि में किसी भी प्रकार का नव निर्माण,चाहे वह लोक परियोजना ही क्यों न हों, नहीं होने देने के सरकार के दृढ़ निश्चय के साथ शत प्रतिशत अनुमति नहीं दिए जाने की बाध्यता , यानि जब नव निर्माण अनुमत ही नहीं हों सकते तो विकास के सपनों को पूर्ण विराम लगना तय?
पुष्कर जिला अजमेर राजस्थान स्थित श्री ब्रह्मा जी मंदिर एवम बादशाही महल ( जहांगीर महल) को राष्ट्रीय महत्व का नहीं रहने के कारण इन्हें केंद्रीय सरकार प्राचीन संस्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम ,1958 राष्ट्रीय महत्व अनुसूची से हटाएं जाने के क्रम में मांग पत्र:
संदर्भ: भारत का राजपत्र : संस्कृति मंत्रालय
( भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण)अधिसूचना नई दिल्ली,दिनांक 4 मार्च,2005
मान्यवर,
श्री पुष्कर राज तीर्थ की महिमा एवं पौराणिक मान्यता अनुसार यह सृष्टि का प्रथम आदि अनादि तीर्थ है जहां जगत पिता श्री ब्रह्मा जी का मृत्युलोक में एक मात्र मंदिर होने से विश्व विख्यात है। इस विश्व विख्यात तीर्थ के धार्मिक, आध्यात्मिक, पौराणिक महत्व को वैश्विक स्तर पर महिमा को पुनर्जीवित करने के निमित्त इसे काशी, उज्जैन,अयोध्या की तर्ज पर विकास हेतु श्री पुष्कर ब्रह्मलोक कॉरिडोर योजना के रूप में धार्मिक तीर्थ स्थल पर यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए बुनियादी सुख सुविधाओं को विकसित किए जाने की मंशा के साथ राज्य सरकार द्वारा अति महत्वाकांक्षी विकास योजना की 2025 26 के बजट में घोषणा की गई है।
यह भी सर्व विदित है कि इस मोक्ष दायिनी पवित्र धरा पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में अंतरराष्ट्रीय श्री पुष्कर पशु मेला एवं धार्मिक पंच दिवसीय महास्नान का वृहद आयोजन होता है इस पावन अवसर पर दस लाख के करीब सनातन हिंदू धर्मावलंबी ब्रह्म सरोवर में आस्था की डुबकी लगा दान पुण्य कर पुण्य कमाने आते हैं वहीं 10 हजार के करीब विदेशी पर्यटक भी पशु मेले के आकर्षण को आत्मसात कर लुत्फ उठाने आते है। ऐसे ही यहां पूरे वर्ष महा पर्व त्योहारों आदि धार्मिक अवसरों पर लगभग 60 लाख देशी तीर्थ यात्रियों और एक लाख के करीब विदेशियों पर्यटकों का आना जाना बना रहता है।यहां यह बताना भी उचित होगा कि अन्य तीर्थों की तुलना में इस तीर्थ नगरी में धार्मिक यात्री, पर्यटक सुविधाओं की नितांत कमी दिखाई देती है इस कारण पवित्र पावन तीर्थ स्थल की वैश्विक स्तर पर विशेष पहचान का अभाव सा प्रतीत होता है इसलिए जरूरी है कि इस पौराणिक धरा का प्रसिद्ध श्री ब्रह्मा मंदिर जो कि आज पूर्ण रूपेण जर्जर, जीर्ण क्षीर्ण होकर क्षतिग्रस्त अवस्था में आ चुका है।जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है,ऐसे ही ब्रह्म सरोवर के जीर्ण शीर्ण घाटों का हाल है तो वहीं इसके आध्यात्मिक परिक्षेत्र में स्थित अन्य दर्शनीय स्थलों पर भी आवश्यक बुनियादी सुख सुविधाओं का भारी अभाव ही दिखाई पड़ता है।
इन सभी परिस्थितियों में ध्यान में रखते हुए इसका संपूर्ण सर्वांगीण विकास किया जाना श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए तथा पुरातन तीर्थ कोअक्षुण्ण एवं संरक्षित बनाएं रखने की दृष्टि से भी आवश्यक हो गया है।
श्री पुष्कर तीर्थ का सर्वांगीण विकास तब संभव होगा जब नीचे दिए जा रहे सभी महत्पूर्ण तथ्यों की जांच करवा इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम की बाधाओं से पूर्ण मुक्त किया जावे।
उपरोक्त विषय में विनम्र निवेदन है कि पुष्कर जिला अजमेर राजस्थान स्थित श्री ब्रह्मा जी का मंदिर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण,संस्कृति मंत्रालय केंद्रीय सरकार द्वारा प्राचीन संस्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 ( 1958 का 24) की धारा 4 की उपधारा (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्राचीन संस्मारक मानते हुए श्री ब्रह्मा जी का मंदिर को भारत का राजपत्र,संस्कृति मंत्रालय ( भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) नई दिल्ली,गजट अधिसूचना द्वारा दिनांक 4 मार्च, 2005 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया था। जो कि सरासर गलत आधार पर आनन फानन में बिना किसी प्राचीन तथ्य, सबूत को आधार बनाएं श्री ब्रह्मा मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर दिया गया था। परिशिष्ट अ
हां यह तथ्य बिल्कुल सत्य माना जा सकता है कि गर्भ गृह में भगवान ब्रह्मा जी की कमलासन पर विराजित मूर्ति अति प्राचीन काल से स्थापित होकर सनातन हिंदू धर्म संस्कृति की वैदिक परंपरा से आदि शंकराचार्य जी द्वारा संवत 713 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाकर निरंतर पूजित हो रही है।
जहां तक सवाल मंदिर परिसर पर गर्भ गृह की प्राचीनता व इनके स्वरूप में गत 100 वर्षों में बीसियों बार दान दाताओं द्वारा मंदिर महंत और1983 में नव गठित ट्रस्ट प्रबंधन तथा राज्य सरकार द्वारा अनेकानेक नव निर्माण करवाएं जाते रहे है जो कि स्पष्टतया नव निर्माण की श्रेणी में दिखाई दे रहे है जैसे मुख्य मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां 70 वर्ष पूर्व सामान्य पत्थर की बनी थी अब मार्बल की बनी दिखाई दे रही है ,मंदिर गर्भ गृह परिसर व मंदिर शिखर पर ऑयल पेंट किया हुआ है इसी प्रकार मुख्य मंदिर के सामने वरांडा में पूर्ण रूप से ऑयल पेंट काम में लेकर चित्रकारियां उकेरी हुई है। ऐसे ही मंदिर महंत जी की गद्दी व निवास स्थल सहित मंदिर परिक्रमा में स्थित कमरों, रसोई घर,गौ शाला परिसर, वरांडे के कई बार नवीनीकरण कार्य में सीमेंट चुना पत्थर ऑयल पेंट का ही उपयोग किया जाता रहा है। इसी प्रकार मंदिर के पीछे महिला पुरुष शौचालय का निर्माण 22 वर्ष पूर्व राज्य पर्यटन विभाग द्वारा ही करवाया गया है वह भी नव निर्माण ही है ,मंदिर सीढ़ियों में कुड़की दरबार की हवेली गत 70 वर्ष पूर्व ही बनाई हुई है जहां गत 25 वर्षों से मूर्ति भंडार का शो रूम संचालित है संचालक द्वारा इस परिसर में इन 25 वर्षों में कई बार अपनी सुविधा अनुसार नव निर्माण किया जाता रहा है। मंदिर परिक्रमा परिसर में अम्बे माता जी का मंदिर नवनिर्माण भी गत 25 वर्ष पूर्व ही हुआ है।मंदिर के पीछे सीढ़ियों में कर्मचारियों के लिए कमरों का नव निर्माण किया गया है एवम् मंदिर के मुख्य द्वार के पास चौकीदार रूम का नव निर्माण 22 वर्ष पूर्व ही हुआ है। मंदिर परिसर भूमि पर दुकानों का नव निर्माण भी 27 वर्षों पूर्व ही हुआ है।परिशिष्ट ब
सबसे महत्वपूर्ण नव निर्माण तो श्री ब्रह्मा मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का प्राचीन संस्मारक घोषित किए जाने के बाद राज्य के पर्यटन विभाग ने 12 करोड़ की बजट राशि से एंट्री प्लाजा योजना के लिए आपके विभाग द्वारा जारी मरम्मत / नवीनीकरण कार्य स्वीकृति की आड़ में योजना का संपूर्ण नव निर्माण के रूप में कर दिया गया है।
जिस पर आपके अजमेर ,जोधपुर, दिल्ली कार्यालय ने अधिनियम 1958 के उल्लघंन व मरम्मत /नवीनीकरण अनुमति में दर्शाई गई शर्तों व नियमों के अनुरूप नही करवाया जा रहा है बताकर अनुमति को वापस लेकर अनुमति से हटकर करवाएं जा रहे कार्य को हटाने के नोटिस पत्र क्रमांक2719/2721 दिनांक 04/12/19 जोधपुर व फा. स 50 / 2017/ 2018/ 766 दिनांक 8 जनवरी 2018 अजमेर। अधीक्षण पुरातत्वविद् ,जोधपुर कार्यालय से निदेशक पर्यटन विभाग जयपुर को नोटिस पत्र क्रमांक 3459/3464 दिनांक 25 /01/2018 नोटिस क्रमांक अजमेर / स्मा 882 दिनांक 15/ 02/2018. अंत में राज्य पर्यटन विभाग द्वारा एंट्री प्लाजा योजना के लिए दी गई अनुमति की शर्तों के विपरीत नियम विरुद्ध किए गए संपूर्ण एंट्री प्लाजा के नव निर्माण को रोक कर रिमूव किए जाने के आदेश अधीक्षण पुरातत्वविद् जोधपुर ने जिला कलक्टर अजमेर को पत्र क्रमांक mon/ 2180/83 दिनांक 30/08/2018 को दिए जा चुके है ।परिशिष्ट द
हाल ही में श्री ब्रह्मा जी के मंदिर के ठीक पीछे संरक्षित प्रतिषिद्ध क्षेत्र में एक निजी दानदाता द्वारा अस्थाई प्रबंध कमेटी श्री ब्रह्मा मंदिर से अनुमति लेकर वरिष्ठ वृद्ध जन एवं दिव्यांगों के लिए बड़ी क्षमता की लिफ्ट लगवाई जा रही है इस संबंध में भी आपके विभाग कार्यालय से अनुमति ली गई है जो मरम्मत / नवीनीकरण की दी गई थी। उसके विपरीत नव निर्माण कर दिए जाने से इस मामले में भी मरम्मत/ नवीनीकरण अनुमति के विपरीत किए जा रहे नव निर्माण को नियमों के विरुद्ध बताकर अवैध निर्माण का नोटिस देकर किए गए लिफ्ट के नव निर्माण को नियम, शर्तों के विरुद्ध मानते हुए हटाये जाने के आदेश आपके विभाग कार्यालय के द्वारा अध्यक्ष श्री ब्रह्मा मंदिर अस्थाई प्रबंधन समिति को स्मरण पत्र के साथ पत्र क्रमांक 2610/2615 दिनांक 20/10/23 व पत्र क्रमांक 2842 दिनांक 29/11/23 को दिये जा चुके है। परिशिष्ट य
ऐसे कई नव निर्माण प्रतिबंधित संरक्षित श्री ब्रह्मा मंदिर परिसर क्षेत्र तथा 100 मीटर प्रतिषिद्ध क्षेत्र व आस पास के 100 से 300 मीटर विनियमित क्षेत्र में अनेको नव निर्माण निरंतर हो रहे है जिन्हें भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण अजमेर,जोधपुर कार्यालय द्वारा केवल नोटिस देकर खानापूर्ति की रस्म मात्र निभाई जा रही है।
उपरोक्त वर्णित नव निर्माण व समय समय पर मूल स्वरूप में होते रहे अनेकोबार परिवर्तनों के अनगिनत तथ्य और सबूत साक्ष्य के रूप सामने आ जाने के पश्चात श्री ब्रह्मा जी के मंदिर को अब राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारक की श्रेणी में रखे जाने का कोई आधार और औचित्य किसी भी स्तर से शेष नहीं रह जाता है।
इसी प्रकार से एक और खामखा का पुष्कर में संरक्षित स्थल है जिसे मुगल काल के शासक जहांगीर द्वारा 16 वीं सदी में बनवाएं गए बादशाही महल के रूप उल्लेख है जो कि आज किसी भी रूप से महल की परिभाषा के आस पास भी कहीं से दिखाई नहीं देता और देखने को मात्र गहरे गड्ढे में दबा 300 वर्ग मीटर एरिया में दो टूटे फूटे कमरे या इनके सामने जर्जर अवस्था में चबूतरा अवशेष की तरह दिखाई पड़ता है। जिसका इस मुगल काल के कलंक की निशानी का आजादी के बाद होना कोई महत्व किसी भी रूप से सनातन हिंदू धर्म संस्कृति के इस पावन ब्रह्म तीर्थ पुष्कर की पवित्र धरा पर होना एक अभिशाप सा प्रतीत होता है। इस मुगल काल के काले कलंक खंडहर ( बादशाही महल) पर पूरे वर्ष में एक भी विजिटर रिकार्डेड इसे देखने नही आता। यह स्थल अब पूर्णत: खंडहर में तब्दील हो चुका है साथ ही जिसकी अब भौतिक रूप से भी कोई उपयोगिता और पहचान शेष दिखाई नहीं देती। जो स्थल आज लुप्त पर्याय हो चुके है उन्हें भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारक के रूप में संरक्षित बनाएं रखना और ऐसी प्रयोजन विहीन तथा मात्र पत्थरों के खंडहर अवशेष पर लाखों रुपए मरम्मत वेतन आदि पर व्यर्थ सरकारी धन को बर्बाद करना किसी स्तर से जायज नहीं ठहराया जा सकता।परिशिष्ट र
मान्यवर हमारा आपसे विनम्र आग्रह और निवेदन है कि उक्त श्री ब्रह्मा जी के मंदिर में विराजित ब्रह्मा जी की चतुर्मुख मूर्ति आदि अनादि अनंत काल से प्राचीन महत्व की ही है लेकिन मंदिर परिसर में गत 60 से 70 वर्षों में बीसियों बार नव निर्माण और मूल स्वरूप में बदलाव होता रहा है तथा दूसरे खामखा के बादशाही महल की वर्तमान में टूटे फूटे, जर्जर अवस्था व खंडहर नुमा भौतिक स्थिति को देखते हुए तथा प्राचीन संस्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 में कठोर नियम शर्तों के होने से संरक्षित स्थल के प्रतिषिद्ध क्षेत्र 100 मीटर की परिधि में नव निर्माण पर पूर्ण पाबंदी और 100 से 300 मीटर परिधि में शर्तों के साथ अनुमति के कारण पुष्कर तीर्थ के धार्मिक और सामाजिक विकास कार्यों के करने करवाने में बड़ी भारी बाधाओं और विवादों का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण पुष्कर तीर्थ का सर्वांगीण विकास अवरूद्ध पड़ा हुआ है जो कि वर्षों पूर्व ही हो जाना चाहिए था।
हमारे द्वारा उल्लेखित इन सब महत्पूर्ण तथ्यों पर गंभीरता से विचार कर तथा वर्णित तथ्यों और व्याप्त बाधाओं की जमीनी हकीकत ,वास्तविकता की अविलंब जांच करवाकर व्यापक जनहित को सर्वोपरि रखते हुए इन दोनों स्थलों को (श्री ब्रह्मा जी का मंदिर व बादशाही महल )भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण अधिनियम,1958 (1958 का 24) की धारा 35 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए,अब इन्हें प्रस्तुत उपरोक्त तथ्यानुसार राष्ट्रीय महत्व के नही रह जाने के आशय का नोटिस जारी करने के आदेश करवाएं जाने तथा इन्हें संरक्षित राष्ट्रीय महत्व के स्मारक स्थल की सूची से हटाए जाने की कृपा करवा,श्री पुष्कर तीर्थ के ब्रह्मलोक कॉरिडोर एवं सर्वांगीण विकास की राह में आ रही नियमों की बाधाओं को हमेशा के लिए पूर्ण विराम देकर आदि अनादि सनातन पुष्कर तीर्थ के धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक,भौगोलिक बुनियादी विकास का मार्ग प्रशस्त कर इस ब्रह्म पुष्कर आध्यात्मिक परिक्षेत्र तीर्थ क्षेत्र के रूप में वैश्विक स्तर पर विशेष पहचान स्थापित हो सके के प्रयास में भारत सरकार के माध्यम से सार्थक सहयोग, योगदान अर्पित कर कृतार्थ करें।! शुभम ! इति।
अरूण पाराशर सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं सचिव श्री ब्रह्मा गायत्री तीर्थ विकास संस्थान, पुष्कर।