नागौर के मूंडवा में भरता था अंतरराष्ट्रीय गधा मेला

पिछले दिनों ये डंकी रूट क्या है, शीर्षक से एक न्यूज आइटम दिया तो दूसरा दशक के डायरेक्टर सुपरिचित बुद्धिजीवी जनाब प्रिंस सलीम ने प्रसंगवश नई जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के नागौर जिले के मूंडवा नामक गांव में 18 वीं शताब्दी से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर का गधा मेला आयोजित किया जाता रहा था। यह मेला गधों की खरीद-फरोख्त के लिए जाना जाता था और यहां दूर-दूर से व्यापारी और किसान आते थे। इस मेले में अलग-अलग नस्लों के गधे लाए जाते थे, और उनकी विशेषताओं के आधार पर उनकी कीमत तय की जाती थी। यह विभिन्न प्रकार की मार्केटिंग सुप्रबंधन के जरिए तत्कालीन व्यापारिक आवश्यकता की पूर्ति करता था। मध्य एशिया सेन्ट्रल एशिया आदि से हुंडी व्यापार का उदाहरण इस मेले के रिकार्डों में दिखाई देगा। हालांकि, समय के साथ इस मेले का महत्व कम होता गया और अब यह उतनी धूमधाम से नहीं लगता। अब नागौर का मुख्य पशु मेला, जो फरवरी में लगता है, ऊंटों, घोड़ों और मवेशियों के व्यापार के लिए अधिक प्रसिद्ध हो गया है। इस मेले में पशुओं के साथ-साथ लोक संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

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