कलाकारों के सशक्त व दमदार अभिनय से दर्शकों नाटक से बांधे रखा
अजमेर, 28 जिंदगी की भागदौड़ में कुछ पल ऐसे थे, जो खाली रह गए। जिन्हें जीना चाहिए था। यही खाली पल बाद में बहुत खलते हैं। कुछ इसी तरह का संदेश देता नजर आया सतगुरू इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में मंचित नाटक खांचे। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर अपना थियेटर, कलाअंकुर, आधुनिक नाट्यकला संस्थान्, आप-हम संस्था, इंडियन लेडिज क्लब, न्यू आदर्श शिक्षा समिति, द टर्निग पॉईट स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में सतगुरू इंटरनेशनल स्कूल के सहयोग से चार दिवसीय नाट्य फेस्टिवल के द्वितीय दिन अभिनय गुरूकुल संस्था द्वारा अरू स्वाति व्यास के निर्देशन में नाटक खांचे मुख्य किरदार विनायक आचार्य के इर्द-गिर्द बुनी गई है। विनायक एक ऐसा व्यक्ति है, जो अपने जीवन को धीर-गंभीर और अनुशासित रूप से में जीना पसंद करता है। इस बीच वह अपने अति अनुशासित स्वभाव के कारण जीवन के उन पलों का आनंद लेने से महरूम हो जाता है। जो उनको जीने के लिए मिले थे। बचपन, युवा या वृद्ध आयु में वह आनंद से दूर रहता है। पतंगबाजी हो या सितौलिया खेलना या फिर होली के रंग और दोस्तों के साथ मटरगश्ती, विनायक इन सभी से महरूम रहता है। अंत समय में उनके जीवन में एक रिक्त स्थान रह जाता है। इन्हीं रिक्त स्थान को खांचे नाम दिया गया है। इस नाटक की कहानी मूल रूप से रघुनंदन त्रिवेदी की है। इसका नाट्य रूपान्तरण अरु व्यास ने तैयार किया है। नाटक को स्वाति अरु व्यास ने निर्देशित किया है। मुख्य किरदार विनायक के बचपन, युवा और वृद्धावस्था को तीन अलग-अलग कलाकारों सुधांशु मोहन, कमल, व कृष्णकांत व्यास ने मंच पर अपने अभिनय से जीवंत किया है। नाटक में लड़की (स्वरू व्यास), ख्वाहिश (खुशी व्यास), पत्नी (ऋतु चौहान, स्वाति व्यास), शिक्षक (कमल) टीनू (आदित्य नारायण व्यास), पोस्टमैन (पंकज पुरोहित), सूत्रधार (तनुज टांक) दोस्तों की भूमिका में, राहुल सेन, योगेश विश्नोई, द्रवित सिंह, लवजीत ने अपनी प्रभावी प्रस्तुति पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। फेस्टिवल के प्रारंभ में अजमेर फेस्टिवल व प्रथम दिन मंचित नाटक के बारें मंे जानकारी दी गई। अंत में कलाकारों का सम्मान व नाट्य निर्देशक को माला पहनाकर आयोजकों की ओर स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर शहर के रंगकर्मी, साहित्यकार व प्रबुद्धजन उपस्थित थे, जिनमें राजा डी थारानी, सुनील दत्त जैन, कंवल प्रकाश किशनानी, डॉ. हरबस दुआ, गिरधर तेजवानी, एस.पी.मित्तल, सुरेन्द्र चतुर्वेदी, सोमरत्न आर्य, रमेश अग्रवाल, प्रीति तोषनीवाल, रास बिहारी गौड़, अनंत भटनागर, पवित्र कोठारी, श्रीमती श्वेता आनंद, हमेन्त भाटी, अनिल जैन, प्रहलाद पारीक,,, प्रशान्त अग्रवाल, पुष्पा लोढ़ा, डॉ. लाल थदानी, नरेश अगवानी, स्नग्धा, मेघा, पद्मा, विमलेश, भामिनी, वरिष्ठ रंगकर्मी लाखन सिंह, यॉबी जॉर्ज, निरंजन कुमार, राजेन्द्र सिंह, उज्जवल मित्रा, विष्णु अवतार भार्गव, नरेन्द्र भारद्वाज, विकल्प सिंह, हरीश बेरी, अरविंद, रतन, अंशुल, शैलूष, मुकेश, सतीश कुमार, जुम्मा खान, तरूण, मोहित, शब्बीर, तरूण कुमार, गिरराज, गोपाल बंजारा, कृष्ण गोपाल पाराशर, मृदुल भारद्धाज, सुचिर भारद्धाज, आदि समाजसेवी व प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
संस्था के राजेन्द्र सिंह ने बताया प्रथम दिवस की इस सफलता ने नाट्य फेस्टिवल के प्रथम दिन दर्शकों में जो उत्सुकता थी वही दूसरे दिन भी देखने को मिली। निश्चित रूप से यह समारोह अजमेर में नाट्कला को स्थापित करने में मददगार होगा। अगले दो दिन तक विभिन्न प्रकार की नाट्य प्रस्तुतियाँ अजमेर कला प्रेमियों को देखने को मिलेगी।
कल शनिवार को मंचित नाटक
29 मार्च को शाम 6ः30 बजे रसधारा सांस्कृतिक संस्थान् भीलवाड़ा के जाने-माने रंगकर्मी गोपाल आचार्य द्वारा नाटक भोपा भैरूनाथ का मंचन किया जायेगा। जो लोककथा पर आधारित यह नाटक, पारंपरिक नाट्य शैलियों के संगम से एक अद्भुत रंगमंचीय अनुभव प्रदान करेगा