युवा पीढी को नवसम्वतसर व चेटीचण्ड की जानकारी होना आवश्यक – प्रो. बहरवाल

पखवाडे़ के 12वें दिवस पर ऑनलाइन संगोष्ठी

अजमेर, 1 अप्रेल 2025, पूज्य झूलेलाल जयंती समारोह समिति की ओर से आयोजित चेटीचंड पखवाडे़ के 12वें दिन सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान डिजीटल प्लेटफार्म पर चेटीचंड व नवसम्वतसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी के मुख्य वक्ता सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. मनोज बहरवाल, वक्ता साहित्यकार व वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवाणी, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी द्वारा अपने विचार प्रकट किये गये।
सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान के अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी ने संचालन करते हुये कहा कि अंग्रेजी कलेण्डर व विक्रम सम्वंत नवसम्वतसंर के अन्तर की जानकारी युवा पीढ़ी को कैसे पहुंचे इस संगोष्ठी का मुख्य उद्धेश्य रहा।
प्राचार्य प्रो. मनोज बहरवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय सांस्कृतिक गौरव की स्मृतियां समेटे हुए अपना नववर्ष (संवत्सर) युगाब्द 5127, विक्रम संवत् 2082 की चौत्र शुक्ल प्रतिपदा, तद्नुसार 30 मार्च 2025 को प्रारंभ हुआ है। नवसम्वतसर ऐतिहासिक महत्व से मर्यादा-पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम राज्याभिषेक, ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ, नवरात्र स्थापना, सनातन धर्म की रक्षा के लिए वरुणावतार झूलेलाल अवतरित, स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज स्थापना, सामाजिक समरसता के अग्रदूत डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक पूजनीय डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म प्रतिपदा के दिन हुआ।
उन्होनें वैज्ञानिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय कालगणना के अनुसार सृष्टि का निर्माण हुए अब तक अरबों वर्ष बीत चुके हैं। भारतीय कालगणना विशुद्ध वैज्ञानिक प्रणाली है, इसमें सृष्टि के प्रारंभ से लेकर आज तक सैकण्ड के सौवें भाग का भी अंतर नहीं आया है। भारतीय कालगणना के समय की सबसे छोटी इकाई का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। सृष्टि का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सूर्य के प्रथम प्रकाश के साथ हुआ। रवि चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि का हो गया, जिन पर सातों दिनों का नामकरण किया गया, जिन्हें आज सम्पूर्ण संसार मानता है। चन्द्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण जैसी घटना अचूक रूप से पूर्णिमा एवं अमावस्या को ही होती हैं। प्राकृतिक महत्त्व पर जानकारी देते हुये कहा कि इस तिथि के आस-पास प्रकृति में नवीन परिवर्तन एवं उल्लास दिखाई देता है। रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं। वृक्ष एवं लताएं पुष्पित-पल्लवित होती दिखाई देती हैं। खेतों से फसल कटकर घर में आना प्रारंभ हो जाती है। सूर्य की किरणें पृथ्वी को ऊर्जामयी करने लगती हैं। नक्षत्र शुभ स्थिति में होने से नए कार्यों के प्रारंभ का शुभ मुहूर्त होता है। समाज में उत्साह एवं आनंद का वातावरण दिखाई देता है।
साहित्यकार गिरधर तेजवाणी ने कहा कि चेटीचंड व वर्ष प्रतिपदा के आस-पास ही पड़ने वाले अंग्रेजी वर्ष के मार्च-अप्रेल से ही दुनिया भर के पुराने कामकाज समेट कर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती है, चाहे फिर व्यापारिक संस्थानों का लेखा-जोखा हो, करदाता का कर निर्धारण हो या सरकार का बजट। जब हमारे पास राष्ट्र की दृष्टि से विजयी, विज्ञान की दृष्टि से समयोचित, प्रकृति की दृष्टि से समन्वयकारी, खगोलशास्त्र की दृष्टि से पूर्ण और धार्मिक दृष्टि से पंथ निरपेक्ष एवं स्वदेशी कालगणना है तो विदेशी, अपूर्ण, अवैज्ञानिक एवं पांथिक कालगणना की ओर अंधाधुंध क्यों भागें? आइए, अपनी श्रेष्ठ परम्पराओं का अनुसरण करते हुए फिर से एक बार उठें और समूचे विश्व में भारतीय गौरव को प्रतिष्ठित करें।
तीर्थाणी ने बताया कि नववर्ष का स्वागत नववर्ष व चेटीचंड की पूर्व संध्या पर घरों के बाहर दीपक जलाकर स्वागत, नवप्रभात का स्वागत शंख ध्वनि व शहनाई वादन, घरों, मंदिरों पर ऊ अंकित पताकाएं लगानी चाहिए तथा प्रमुख चौराहों, घरों को सजाना, यज्ञ-हवन, संकीर्तन, सहभोज आदि का आयोजन, अपने मित्रों व संबंधियों को नववर्ष बधाई संदेश सहित सभी सनातन धर्म प्रेमी पूरे हर्षोउल्लास से पूजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम व कुटुम्ब प्रबोधन के आयोजन कर बधाईयां दे रहे हैं। देश दुनिया में यह सभी आयोजन हुये हैं।
कल बुधवार 2 अप्रेल को होने वाले कार्यक्रम
एक शाम झूलेलाल जी के नाम स्वर्गीय श्री कन्हैयालाल जी की पुण्य स्मृति में पार्वती उद्यान, अजय नगर में श्री चन्द्र प्रकाश एण्ड पार्टी, चन्द्र प्रकाश भगत, राजेन्द्र कुमार रूपाणी व ललित कुमार रूपाणी द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा।

महेन्द्र कुमार तीर्थाणी,
9414705705

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