वरिष्ठ समाजसेवी हरीराम कोडवानी ने की मांग

अजमेर। वरिष्ठ समाजसेवी व पर्यावरणप्रेमी हरीराम कोडवानी ने कहा कि वर्तमान में शहर की सड़कों की मरम्मत व निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन इस संबंध में पारदर्शिता व समन्वय की कमी महसूस हो रही है। विकास कार्यों में पारदर्शिता लाएं, गुणवत्ता की गारंटी पाएं । शहर में आए दिन टूटती और बनने के बाद पुन: टूटती सड़़कें देखने का कटु अनुभव नागरिकों का बरसो से रहा है। क्या ये सड़कें मानसून का सामना कर पाएंगी या फिर यह वित्तीय वर्ष में लैप्स होते बजट को ठिकाने लगाने की कवायद है?
कोडवानी ने दैनिक मरु प्रहार से बातचीत करते हुए कहा कि सड़कों के समुचित रखरखाव में जनभागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग ने गत रविवार से श्रीगंगानगर से सड़़क गुणवत्ता निरीक्षण यात्रा प्रारंभ की है। अजमेर में यह यात्रा दो मई को पहुंचेगी। यात्रा के दौरान जनसहभागिता कितनी रहेगी, जनप्रतिनिधियों व नागरिकों की राय ली जाएगी या फिर यात्रा केवल एयरकंडीशन्ड कमरे में विभागीय विशेषज्ञों का शगल बनकर रह जाएगी यह तो अभी कहना मुश्किल है मगर नगर निगम, एडीए व अन्य एजेंसियों की देखरेख में बन रही सड़़कों की गुणवत्ता में जनभागीदारी महसूस नहीं की जा रही है।
कोडवानी ने कहा कि शहर में कचहरी रोड, एलीवेटेड रोड के नीचे, मित्तल हॉस्पिटल से टेलीफोन एक्सचेंज लिंक रोड, हाथी खेड़ा रोड सहित कई जगह पर सड़कों का काम चल रहा है। सड़क निर्माण की क्वालिटी पिछले कामों की तुलना में इस बार बेहतर है। संभवत: यह विधानसभा अध्यक्ष् व क्षेत्रीय विधायक वासुदेव देवनानी की सक्रियता का नतीजा हो? लेकिन सड़क व अन्य विकास कार्यों की गुणवत्ता में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम उठाए जाएं। पहली बात, नगर निगम की सीमा में सड़क निर्माण में किसी अन्य संस्था का हस्तक्षेप न हो। स्वतंत्र रूप से नगर निगम हर कार्य करे, ऐसा विधान सभा मे प्रस्ताव पारित हो। नगर निगम की जवाबदेही तय हो। वर्तमान में नगर निगम की सीमा में कहीं पीडब्लूडी तो कहीं एडीए भी काम करवा रहा है। तीनों के ठेकेदारों के काम की गुणवत्ता अलग-अलग है। जिसकी वजह से कहीं सड़कें ठीक बन रही हैँ तो कहीं कामचलाऊ बन रही हैं। इसके सरकार के स्तर पर हर सड़क के बारे में वेबसाइट पर तथा मौके पर बोर्ड पर विकास कार्य की लागत, काम की क्वालिटी जांच रिपोर्ट, बनवा रही एजेंसी, संबंधित ठेकेदार, गारंटी अवधि, शिकायत के लिए फोन नंबर आदि की जानकारी दी जाए। वर्तमान में हो यह रहा कि अखबार में खबर छपती है, अमुक विधायक या पार्षद ने इतने करोड़ व लाख के विकास कार्य का शिलान्यास व लोकार्पण किया। लेकिन वह विकास कार्य कितने में पूरा हुआ? कब पूरा हुआ? कितने ठेकेदार व उपठेकेदारों के हाथों से होता हुआ कितने में काम पूरा हुआ यह जनता जान ही नहीं पाती?
कोडवानी ने कहा कि संभव है कि सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध विभागीय जानकारी का दुरुपयोग हो लेकिन होने को तो दमकल व पुलिस के फोन नंबरों का भी समाजकंटक गलत सूचना देकर करते ही हें लेकिन इससे दमकल व पुलिस नंबर देना ही बंद तो नहीं कर सकती? इसके अलावा विकास कार्य की गारंटी अवधि बढ़़ाई जाए तथा ठेकेदार को बाध्य किया जाए।