विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने दिए जिले में जर्जर स्कूल भवन सर्वे और मरम्मत के निर्देश
जिला कलक्टर और शिक्षा संयुक्त निदेशक को दिए निर्देश
जिले के प्रत्येक स्कूल का तत्काल कराया जाए गहन सर्वे

अजमेर, 25 जुलाई। विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि अजमेर जिले में स्थित स्कूल व अन्य सार्वजनिक भवनों का गहन सर्वे कर जर्जर इमारतों, कक्षों व स्थानों का पता लगाया जाए। उनकी मरम्मत तुरंत करवाई जाए। जो भवन अत्यधिक खराब है, वहां से विद्यार्थियों को दूर रखा जाए। जहां आमजन का आना-जाना ज्यादा रहता है वहां भी इन निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाए।
विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने झालावाड़ में शुक्रवार को घटित विद्यालय भवन हादसे को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस संबंध में शुक्रवार को जिला कलक्टर एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक से बात की। उन्होंने चर्चा कर जिले में संचालित सभी विद्यालयों की भवन संरचना की सुरक्षा जांच को सर्वाेच्च प्राथमिकता पर लेते हुए समस्त विद्यालय परिसरों का गहन सर्वे करवाने के निर्देश दिए। जर्जर, क्षतिग्रस्त अथवा असुरक्षित भवनों को तत्काल प्रभाव से उपयोग के लिए प्रतिबंधित किया जाए।
उन्होंने कहा कि यदि किसी विद्यालय के कक्षा कक्ष, शौचालय अथवा अन्य किसी भी भवन का भाग जर्जर, क्षतिग्रस्त अथवा खतरनाक अवस्था में पाया जाए तो उसे तुरंत प्रभाव से विद्यार्थियों एवं विद्यालय स्टाफ के उपयोग के लिए वर्जित कर दिया जाए। उन्होंने इस कार्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता पर लेकर तत्काल प्रभाव से सम्पादित करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही विद्यार्थियों की सुरक्षा से खिलवाड़ के समान होगी जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विधानसभा अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को सार्वजनिक निर्माण विभाग सहित अन्य संबद्ध निर्माण एजेंसियों एवं विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर कार्य को प्राथमिकता के आधार पर करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि समस्त अधिकारियों को फील्ड में जाकर स्वयं विद्यालय परिसरों की भौतिक स्थिति का अवलोकन करना चाहिए। भवनों की जांच केवल औपचारिकता नहीं होनी चाहिए़ जमीनी हकीकत के आधार पर गहन सर्वे करवाया जाए। इससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सकेगी।
श्री देवनानी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय की भवन स्थिति का निष्पक्ष एवं तकनीकी मूल्यांकन कराया जाए। आवश्यकता होने पर तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता ली जाए तथा जिन विद्यालयों में भवन की स्थिति अत्यधिक खराब हो वहां वैकल्पिक स्थानों या भवनों में शिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।