अधीनस्थ न्यायालय ने RPS दिव्या मित्तल पर लगाया पचास हजार रु का जुर्माना ऊपरी अदालत ने जुर्माना के आदेश को किया अपास्त
अजमेर न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 2 अजमेर के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने दिनांक 7/4/2025 को आदेश पारित करते हुए RPS दिव्या मित्तल द्वारा प्रस्तुत फौजदारी परिवाद को खारिज करते हुए पचास हजार की कोस्ट अधिरोपित करने के आदेश पारित किए थे जिसे RPS दिव्या मित्तल द्वारा अपने अधिवक्ता विवेक पाराशर के जरिए ऊपरी अदालत ने चुनौती दी जहाँपर एडवोकेट विवेक पाराशर ने अदालत में तर्क प्रस्तुत करते हुए अदालत को बताया कि धारा 250 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान उक्त प्रकरण पर लागू नहीं होते है हस्तगत मामले में परिवाद धारा 203 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत परिवाद अस्वीकार किया है लिहाजा प्रकरण में प्रसंज्ञान लिए जाने की स्थिति नहीं रही थी और प्रसंज्ञान लेने के पश्चात ही उन्मोचित वो दोष मुक्ति का प्रक्रम उद्भूत होता हैं जबकि इस मामले में इसी स्थिति नहीं है जिसके चलते जुर्माना राशि पचास हजार रुपए के आदेश अपास्त करने की गुहार अदालत से की जिसपर अपर जिला न्यायाधीश संख्या 2 विकास चौधरी ने निगरानी याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए RPS दिव्या मित्तल के अधिवक्ता विवेक पाराशर से सहमत होते हुए पचास हजार राशि के जुर्माने के अधीनस्थ न्यायालय के फैसले को उलट दिया ओर जुर्माना हटाने के आदेश पारित किए।Advocate Vivek Parashar
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