काँग्रेस अनुसूचित जाति विभाग ने दिया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

 जिला कांग्रेस कमेटी अजमेर अनुसूचित जाति विभाग के जिला उपाध्यक्ष सौरभ यादव के नेतृत्व में सर्व समाज के कांग्रेसी एवं अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति भारत सरकार को जिला कलेक्टर अजमेर के माध्यम से ज्ञापन दिया।ज्ञापन देते समय राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य प्रताप सिंह यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप तुगारिया, मीनाक्षी यादव, मंजू बलई,मुकेश सबलानिय, नितिन जैन,योगेश जाटोलिया,ऋषि बंसिवाल,हुमायूं खान,नरेश सोरिवाल ने उल्लेख किया कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुख्य न्यायाधीश श्री बी.आर. गवई पर जो जूता फेंकने की घटना हुई है अति निंदनीय है एवं संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई किए जाने की सभी ने बात रखी।य़ह घटना अत्यंत चौंकाने वाली और निंदनीय है।सर्वोच्च न्यायालय के प्रांगण में एक अधिवक्ता द्वारा भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री बी आर गवई पर जूता फेंकने जैसा शर्मनाक और जातिगत भेदभाव से प्रेरित मनुवादी सोच को दर्शाने वाला है, ज्ञापन में विशेष रूप से उल्लेखित किया गया कि हमारे माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय जब इस पद पर बैठे हैं तो किसी एक समाज के नहीं है मुख्य न्यायाधीश सर्व समाज के होते हैं परंतु एक दलित समाज से आने की वजह उनके साथ इस प्रकार की घटना हुई है।इस प्रकार की घटना उनके पद और गरिमा के प्रति अपमानजनक है।भारत की स्वतंत्रता के 78 वर्ष बाद भी यदि देश के दलित समुदाय के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय में भी सुरक्षित नहीं है तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि देश के सबसे सुदूर क्षेत्र में रहने वाले एक सामान्य दलित पुरुष या महिला की सुरक्षा की क्या स्थिति होगी? दूसरी तरफ ध्यान दिलाते हुए ज्ञापन में हरियाणा कैडर के 2001 बैच के सीनियर आईपीएस स्व. वाई पी.कुमार के द्वारा आत्महत्या करने पर भी बड़ा सवाल उठाया है। आज देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद भी दलित समाज के बड़े अधिकारी अपमान और उपेक्षा झेल रहे हैं।उन्हें इस प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है कि उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।भारत के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक द्वारा उनको प्रताड़ित करना,जाति के आधार पर नियुक्ति न देना व बार-बार स्थानांतरण करना यह दर्शाता है कि आज भी मनुवादी सोच देश पर दलितों के खिलाफ हावी है।यह सोच कहीं ना कहीं आज भी समझ में स्थित है। यह घटना समाज में व्याप्त गहरी जातिगत पूर्वाग्रह को उजागर करती है।माननीय मुख्य न्यायाधीश मामले मे न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचती है,बल्कि यह पूरे देश के लिए एक अपमानजनक क्षण भी है। हम मानते हैं कि न्यायपालिका के प्रति इस तरह की अनादर पूर्ण व्यवहार अस्वीकार्य है और इसके लिए कठोरता कार्रवाई आवश्यक है। यह घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं बल्कि पूरे गरीब जरूरतमंद समुदाय की गरिमा और हमारे संविधान के मूल मूल्यों पर गहरा आघात है आते हैं। ज्ञापन में मांग की गई की उक्त अधिवक्ता के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर मामले में उचित कार्रवाई करेंगे। जिससे देश में भविष्य में कभी कोई इस प्रकार की घटना घटित नहीं कर सके।
सौरभ यादव 
उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस

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