आरएएस सिलेबस के लिए हुई आरपीएससी में कार्यशाला

अजमेर। राजस्थान  राज्य  एवं  अधीनस्थ  सेवा परीक्षा  के  नवीन पाठ्यक्रम निर्धारण हेतु उच्च स्तरीय कार्यषाला आयोजित की गई। इसके अन्तर्गत  आयोग  के  पूर्व  अध्यक्ष एवं  सदस्यगण  विभिन्न विष्वविद्यालयों  के कुलपति  तथा  विषय  विषेषज्ञों की  राय ली गई। पाठ्यक्रम निर्धारण हेतु आयोजित यह कार्यषाला अब तक की सबसे बड़ी कार्यशाला थी। जिसमें सम्मिलित सहभागीजन की सूची संलग्न है। प्रारम्भ में  सर्वप्रथम समस्त  सहभागीजन को राज्य सरकार द्वारा गठित  समिति  से  अनुमोदित  पाठ्यक्रम  के  अनुरूप  विषेषज्ञों  की समिति  द्वारा  दिये  गये  प्रारूप  से  अवगत  कराया  गया,  जिसके अन्तर्गत प्रष्नपत्रवार विषयवस्तु व बिन्दुओं का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया गया।
परिचर्चा में यह सुस्पष्ट रूप से यह सहमति व्यक्त की गई कि नवीन पाठ्यक्रम में प्रषासन की वर्तमान चुनौतियों एवं समस्याओं से जुड़े विषयों को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही यह भी सुनिष्चिित किया जाए कि अलग-अलग संकायों एवं विषयों का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके मानविकी के विषयों में वर्तमान समस्याओं एवं उनके सामाजिक आयामों पर विषेष बल दिया गया विज्ञान में न केवल प्रौद्योगिकी के विषय पर बल दिया गया बल्कि कृषि, बागवानी, वानिकी एवं पशुपालन जैसे आधारभूत विषयों को भी समाहित किये जाने पर सहमति व्यक्त की गई। वर्तमान प्रशासनिक आवश्यकताओं को देखते हुए लोक प्रशासन एवं प्रबन्धन के नवीनतम बिन्दुओं को भी पाठ्यक्रम में समाहित करने की आवश्यकता अनुभूत की गई। भारतीय सिविल सेवाओं के पाठ्यक्रम से एकरूपता लाने का ध्यान रखते हुए तार्किक दक्षता एवं मानसिक योग्यता के परीक्षण के प्रश्नों को भी आवश्यक रूप से सम्मिलित किया जाना आवश्यक माना गया। अर्थशास्त्र के साथ वाणिज्य के भी व्यवहारोपयोगी बिन्दुओं को सम्मिलित किये जाने पर चर्चा हुई। समसामयिक घटनाओं एवं संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के समय उनके समाधानों और अभ्यर्थी को एक स्वस्थ दृष्टिकोण प्रस्तुत करने में सक्षम बनाने हेतु कतिपय नवीन बिन्दुओं का समावेश किया जाएगा। प्रत्येक प्रश्न पत्र में राजस्थान से जुडे हुए विषयों को पर्याप्त महत्व दिया गया है। यह प्रयास किया गया है कि पूछे जाने वाले प्रश्नांे में न्यूनतम 20 प्रतिशत या उससे अधिक प्रश्न राजस्थान से संबंधित हों। यही नहीं भाषा से संबंधित हिन्दी एवं अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में भी ‘‘राजस्थानी भाषा एवं साहित्य‘‘ से जुडे प्रश्नांे को पहली बार रखे जाने का प्रस्ताव रखा गया। प्रशासनिक परीक्षाओं की आवश्यकता एवं विभिन्न पृष्ठभूमियांे के अभ्यर्थियांे के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए जन-सामान्य से जुड़ी समस्याओं पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही यह भी अपेक्षा की गई है कि अभ्यर्थी राज्य सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों एवं योजनाओं का भी यथावश्यक ज्ञान रखें।
प्रथम सत्र में विशेषज्ञों से सामान्य टिप्पणी लेने के उपरांत विशेषज्ञों का समूह गठित कर उनसे पृथक से लिखित रूप में राय ली गई।
अंत में समस्त सहभागीजन ने लोक सेवा आयोग द्वारा इस संबंध में किये गये प्रयासों की सराहना की गई। इस कार्यशाला में विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त सुझावों पर आयोग स्तर पर विशेष बैठक कर गहन विचार विमर्श कर पाठ्यक्रम का औपचारिक निर्धारण किया जाएगा, जिससे समस्त अभ्यर्थियों को यथासमय अवगत करा दिया जाएगा।

-डॉ. के. के. पाठक
सचिव

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