अव्यवस्थाओ का शिकार ब्यावर का रेलवे स्टेशन

beawar 1अजमेर के स्मार्ट सिटी बनने की थोड़ी बहुत ख़ुशी ब्यावर को भी हुई थी की हम सबसे बड़े पडोसी रेलवे स्टेशन हे । शायद थोड़ा बहुत उद्धार हमारे यहाँ के स्टेशन का भी हो जाए ।
किन्तु ब्यावर के नसीब में दुर्भाग्य की काली छाया ही हमेशा मंडराती रहती हे । नई सुविधाओ की आस लगाये बेठी ब्यावर की जनता को क्या मालुम की जो सुविधा उन्हें मिल रही उनका भी मेंटिनेंस और रख रखाव समय पे होगा की नहीं ।
वर्तमान में जो स्टेशन का हाल हे उसका वर्णन एक शहर वासी ने किया के में अपने 80 वर्षीय माता पिता को लेकर ट्रेन में बिठाने गया तो रात का 9 / 9.30 का समय था स्टेशन पे ट्रेन के कोच की स्थिति बताने वाले डिस्प्ले बोर्ड आधे से ज्यादा बंद पड़े थे । यह स्थिति देख के उन्होंने स्टेशन में मोजूद व्यस्थापक से बात की और उनको अपने बुजुर्ग माता पिता को बैठाने के लिए कहा पे जाकर डिब्बे का इन्तजार करू ये कैसे पता लगेगा की मुझे जिसमे बैठाना हे वो कोच कहा आकर रुकेगा क्यों की उनकी अवस्था ऐसी नहीं हे की ट्रेन आने पे इधर उधर दौड़ के जा सके क्योकि ट्रेन मात्र 1 या 2 मिनट ही रूकती हे । उस रेलवे कर्मचारी ने उनको अंदाजे से जगह बता दी फिर उसके बताये अनुसार वो खड़े हो गए किंतु ट्रेन आने पे वो कोच बताये गए उक्त स्थान पे ना आकर अन्यत्र आया । उनको 5 डिब्बे का रास्ता क्रॉस करके ले जाकर बड़ी मुश्किल से कोच में बिठा पाया । इस 2 मिनट के दौरान जो पीड़ा उसने और उनके माता पिता ने भुगती उसकी कल्पना केवल वही कर सकते हे । फिर वो रेलवे की व्यवस्था को कोसते हुए घर आ गए ।
यह तो एक उदाहरण हे ऐसे किस्से ब्यावर स्टेशन पे रोजाना होते हे सुनवाई करने वाला कोई नहीं ।

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
कभी लास्ट समय में गाडी के आने का प्लेटफ़ार्म बदलने की सुचना देकर रेलवे यात्रियों की जान जोखम में डाल देता हे । बुजुर्ग लोगो को और महिलाओ और छोटे बच्चे तो परेशान हो जाते हे की सामान लेके अब कैसे प्लेटफार्म चेंज करे वो भी तब जब गाडी आने में कुछ ही समय बाकी हो ।
एक तरफ तो रेलवे के बड़े बड़े अफसर दौरा करते वक्त बड़ी बड़ी डींगे हाकते हे लेकिन हकीकत में स्थिति कुछ और ही नजर आती हे ।
हेमेन्द्र सोनी @ bdn ब्यावर

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