तन मन धन प्रभु परमात्मा की देन – बहन आशा

nirankari satsang 01केकड़ी। तन मन धन प्रभु परमात्मा की देन हैं इसे परमात्मा का ही समझ कर जीवन यापन करना चाहिए। ये उदगार बहन आशा ने अजमेर रोड़ स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किये।
निरंकारी मण्डल प्रवक्ता रामचन्द्र टहलानी ने बताया कि अपने प्रवचन में बहन आशा ने यह भी कहा कि सम्मान सौ बरस का पल का पता नहीं इंसान को अपने जीवन में अहंकार का त्याग करना चाहिए। क्या भरोसा जिंदगानी का, आदमी बुलबुला हैं पानी का। इंसान को अपनी औकात और परमात्मा ऽी सौगात को कभी नहीं भूलना चाहिए। चार दिनों की काया पाकर भूल गया हैं हस्ती को, इक दिन वह भी आ जायेगा जब तजना होगा मस्ती को। शरीर से इंसान कितना की सुंदर को बलशाली हो परन्तु शरीर तो श्मशान की अमानत हैं। अश्टावक्र जी,शबरी शरीर के सुंदर नहीं थी परन्तु वे ज्ञान व कर्म से महान थे इसलिये वे आज भी पूजनीय हैं। इसलिये इंसान को हर पल प्रभु परमात्मा का स्मरण करते हुए जीवन जीना चाहिए। इंसान जीवन भर कितना ही धन वैभव प्राप्त कर ले वह साथ नहीं जाने वाला हैं क्यों कि कफन में जैब नहीं होती,साथ अगर जाता हैं तो वह हैं प्रभु नाम,इंसान के मरने के बाद उसका सुंदर व्यवहार उसका धर्म-कर्म ही याद किया जाता हैं धन पूजन नहीं। सत्संग के दौरान दादन देवी टहलानी, कोमल रंगवानी, गौरव धनजानी, गोपाल, सरीता, बालूराम, कन्हेयालाल साहू, रामचन्द्र, मोहित धनजानी,गीता वासवानी आदि ने गीत विचार प्रस्तुत किये। बहन आशा का स्वागत संगीता टहलानी ने तथा कार्यक्रम का संचालन प्रेम जेठवानी ने किया।

 

पीयूष राठी

 

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