![सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ख्वाजा साहब के 801 वे उर्स की महफिल की सदारत करते हुऐ](http://ajmernama.com/wp-content/uploads/2013/05/dargaah-dewan-300x213.jpg)
अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 801 वें उर्स की कुल की रस्म की पूर्व संध्या पर गुरूवार को दरगाह के सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान खानकाह शरीफ से सूफी परम्परा के मुताबिक दुआनामा जारी करेंगे। इस अवसर पर देश की विभिन्न चिश्तिया खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख एवं धर्म प्रमुख मौजूद रहेंगे।
दरगाह दीवान के सचिव एवं जांनशीन सैय्यद नसीरूद्दीन चिश्ती के अनुसार गुरूवार को सैकड़ों वर्षों की परम्परा के मुताबिक दरगाह स्थित ख़ानकाह (मठ) (ख्वाजा साहब के जीवनकाल में उनके बैठने का स्थान) पर दोपहर तीन बजे से शाम छः बजे तक कदीम महफिले समा होगी जिसकी सदारत दीवान साहब करेंगे यहां उनके साथ उनके पुत्र सैय्यद नसीरूद्दीन चिश्ती भी मौजूद होंगे, महफिल में देश के खानकाही कव्वालों द्वारा सुफियाना कलाम पेश किये जाऐगे। खास बात यह है कि इस पारम्परिक आयोजन में देश की प्रमुख चिश्तिया दरगाहों के सज्जादगान व धर्म प्रमुखों की उपस्थिती होगी।
नसीरूद्दीन ने बताया कि कव्वाली के बाद शाम छः बजे फातेहा और विशेष दुआ होगी। इस अवसर पर धर्म प्रमुख एवं सज्जदानशीन दीवान सैय्यद जैलुल आबेदीन अली खान देश और दुनियां में ख्वाजा गरीब नवाज में आस्था रखने वाले हर धर्म व संम्प्रदाय के जायरीनों के लिये ख्वाजा साहब की शिक्षाओं, उपदेशों, मजहबी एकता, मुल्क में अमन चैन तरक्की, एवं विश्व शान्ति, के लिये दुआनामा जारी करेंगे। दुआनामा जारी करने की यह परम्परा ख्वाजा से लेकर उनके उत्तराधिकारियों द्वारा पिछले 800 वर्षों से लगातार जारी रही है जिसका अनुसरण मौजूदा सज्जादानशीन गुरूवार को खानकाह से सभी धर्म प्रमुखों की मौजूदगी में करेंगे। इसके बाद जायरीनों को तबर्रूक तकसीम किया जाकर महफिल का समापन होगा। इसी दिन रात्री में ख्वाजा साहब के मजार पर दरगाह दीवान द्वारा अंतिम गुस्ल दिया जाऐगा।
-सैय्यद नसीरूद्दीन चिश्ती
सचिव एवं जांनशीन
दरगाह दीवान अजमेर