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अजमेर। उत्तरप्रदेश के राज्यपाल बी.एल.जोशी ने कहा है कि बिना लाभ के लोगों के दुख दर्द बांटना, दुखी मानव का हाथ थामना तथा उसके चेहरे पर खुशियां लाना ही सही मायने में सेवा है जो अजमेर का सेवा मंदिर कर रहा है।
जोशी प्रातः अजमेर स्थित सेवा मंदिर में आयोजित ‘‘सर्विस विदाउट गेन’’ विषय की संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि असली सेवा तो बिना लाभ के ही होती है , यदि सेवा के बदले में किसी प्रकार का अर्जन किया जाता है तो वह वास्तविक सेवा नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि सेवा का कार्य पूरी तरह भावना से जुड़ा हुआ है और बिना लाभ के सेवा करना आत्म संतुष्टि देता है । सेवा करने वाले ऐसे व्यक्तित्व की एक ही कामना रहती है कि दुख से पीड़ित व्यक्ति का किस प्रकार दुख दूर हो जाये । उन्होंने यह भी कहा कि प्रभु यीशु, भगवान गौतम बुद्ध ने भी हमेशा यही सोचा कि व्यक्ति को कोई कष्ट नहीं हो। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का कहना था कि ‘‘ वो इंसान नहीं जो खुद पेट भर कर खाये और पडौसी भूखा रहे ’’। ‘‘बहुजन हिताय’’ ‘‘बहुजन सुखाय’’ इसका मूलमंत्रा है।
जोशी ने सेवा मंदिर के प्रबंध ट्रस्टी सतीश वर्मा की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये इस संस्था के प्राण है । 40 वर्ष पूर्व जब वे अजमेर में थे तब इनकी सेवा का जज्बा देखने को मिला तब ये दयानंद महाविद्यालय में प्राध्यापक थे । इस संस्था की स्थापना करके इन्होंने मानव की वास्तविक सेवा करने का बीड़ा उठाया जो ‘‘सर्विस विदाउट गेन’’ है । वर्मा संवेदनशील, करूणामय और सहानुभूति रखने वाले ऐसे इंसान हैं जो दूसरों की खुशी के लिए जीते हैं।
जोशी ने राजस्थान के ही सुप्रसिद्ध व्यक्तित्व डी.आर.मेहता की सेवा की भी प्रशंसा की और कहा कि 15 लाख अपंगों को उन्होंने निशुल्क जयपुर फुट लगाकर नया जीवन प्रदान किया है। सेवा उनकी भावना से जुडी हुई है, उनका मानना है कि जितनी वे सेवा करते हैं उससे ज्यादा पुण्य ईश्वर उन्हें दे रहा है और इसी बलबूते पर वे सेवा के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मनोविज्ञान की दृष्टि से चेतना पत्थर में सोती है, वनस्पति में जगती है,पशु में चलती है और मनुष्य में चिंतन करती है। इसी चिंतन का यह परिणाम है कि परमार्थता मनुष्यत्व का अपरिहार्य अंग है । परमार्थ से युक्त मानव जीवन उर्जावान और कांतिवान होता है और डॉ. सतीश वर्मा इसका सजीव उदाहरण है ।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने कहा कि अजमेर में चेतना रही है। यहां चेतना जागृत होती है और चिंतन होता है । यहां के लोगों में कुछ करने की इच्छा रहती है । हमें भी समाज के प्रति हमारी सामाजिक जिम्मेदारियां समझकर इन्हें निभाना चाहिए । हम हमेशा बनावटीपन का बोझ ढोते हैं, हमें अपनी कथनी और करनी में अंतर नहीं रखना चाहिए जो कहते हैं उसे यदि करना शुरू कर दें तो हमारा आचरण भी पूरी तरह से पारदर्शी हो जायेगा ।
सेवा मंदिर के प्रबंध ट्रस्टी सतीश वर्मा ने कहा कि सेवा मंदिर से बी.एल. जोशी का लम्बा जुडाव है और उसी जुडाव के फलस्वरूप की यह संगोष्ठी का आयोजन है। उन्होंने कहा कि सेवा मंदिर उनका कोई लक्ष्य या भविष्य नहीं रहा बल्कि इसकी स्थापना से ही वे इसे अपना सच्चा रास्ता मानते हैं जो मानवीय सेवा की ओर बिना किसी लाभ और फल के आगे बढ़ रहा है। इस रास्ते पर उनका यह सफर इसीलिये शुरू हुआ कि ‘‘हम क्यों भुगतें , क्यों हमें दर्द हो और क्यों यहां कड़वाहट है’’। सच्चाई वह जमीन है जिसका कोई रास्ता नहीं है। सेवा मंदिर में सेवा करते हुए वे किसी मुकाम पर पहुंचे ऐसा उनका लक्ष्य भी नहीं है ये उनकी निरंतर चलने वाली सेवा की यात्रा है। वर्मा ने कहा कि वे सेवा के बदले कुछ भी नहीं चाहते और यही सेवा मंदिर की मुख्य विचारधारा है।
सेवा मंदिर के ट्रस्टी रवि तोषनीवाल ने सेवा मंदिर की उपलब्धियों और सेवा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस संगोष्ठी में पूर्व केन्द्रीय रक्षा सचिव अजय विक्रम सिंह, अजमेर के पूर्व संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा, श्रीमती मंजू तोषनीवाल, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी सत्येन्द्र कुमार नामा, अजमेर के प्रमुख शिक्षाविद्, विभिन्न सेवा संस्थाआसें से जुडे व्यक्ति मौजूद थे।
उत्तरप्रदेश के राज्यपाल बी.एल.जोशी का सेवा मंदिर पहुंचने पर डॉ. सतीश वर्मा एवं उनकी पत्नि ने आत्मीयता से स्वागत किया। जोशी ने सेवा मंदिर की विभिन्न चिकित्सा सेवाओं का निरीक्षण भी किया । श्रीकृष्णगोपाल कालेड़ा आयुर्वेद संस्थान द्वारा उन्हें आयुर्वेदिक उत्पाद भेंट किये ।
वर्षा से पूर्व नालों की सफाई और तालाबों की मरम्मत करायें- गालरिया
जिला कलक्टर वैभव गालरिया ने कहा है कि नगर निगम वर्षा से पूर्व अजमेर के सभी नालों की सफाई कराकर मलबा भी तत्काल हटवायें। उन्होंने विभिन्न विकास अधिकारियों और जल संसाधन विभाग को निर्देश दिये कि वे उनके क्षेत्र के तालाबों की मरम्मत का कार्य भी समय रहते करवा लें जिससे वर्षा के समय में किसी प्रकार की समस्या नहीं हो।
गालरिया कलेक्ट्रट के समिति कक्ष में संभावित बाढ़ बचाव व्यवस्था की बैठक ले रहे थे। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी संबंधित विभाग अपनी कार्य योजना तैयार कराकर उसे मूर्त रूप दें।
जिला कलक्टर ने सार्वजनिक निर्माण विभाग से कहा कि वर्षा के समय में सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती है और आवागमन में बाधा उत्पन्न होती है इसके लिए सूचना मिलते ही कार्य कराना होगा इसके लिए अभी से ही कंटीजेन्सी प्लान तैयार कर लें। उन्होंने ऐसे सरकारी भवनों को भी चिन्हित कर मरम्मत कराने को कहा जो वर्षा में गिरने की स्थिति में हो। अनउपयुक्त ऐसे जर्जर मकानों को गिराने को कहा। उन्होंने जल संसाधन विभाग से कार्य योजना बनाने, वायरलैस सैट तैयार रखने, क्षतिग्रस्त बांध, नहर,तालाब की मरम्मत कराने, वर्षाकाल में बांध और तालाबों पर लगातार भ्रमण करने,खाली कट्टे और मिट्टी के कट्टे रखवाने की व्यवस्था करने को कहा।
जिला कलक्टर ने बैठक में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी,खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, स्थानीय निकाय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, भारत संचार निगम, डाक एवं तार, पुलिस, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, मतस्य, ऊर्जा, पशुपालन, मौसम विभाग आदि को उनसे संबंधित कार्यों एवं संभावित व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी।
समाज कल्याण विभाग के अभियंता ने बताया कि 15 जून से उनका नियंत्राण कक्ष प्रारंभ हो जायेगा। बैठक में अतिरिक्त कलक्टर जुल्फिकार बेग मिर्जा,विभिन्न उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी मौजूद थे ।