अजमेर। भूमि के बदले भूमि आवंटन मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एडीजी ने अजीत सिंह ने छुट्टी से लौटते ही मुकदमा दर्ज करने को हरी झंडी दे दी है। समझा जाता है कि मुकदमा बुधवार को दर्ज किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि एडीजी अजीत सिंह के अवकाश पर होने के कारण मामले की जांच रिपोर्ट का परीक्षण नहीं हो पाया था। ब्यूरो ने मामले में आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा करते हुए कहा कि भले ही ट्रैप में वह विफल हो गई हो, मगर उसके पास पुख्ता सबूत हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी भी होगी।
प्रॉपटी डीलर मनोज गिदवानी के आवास पर ट्रैप कार्रवाई में नाकामी के बाद प्रकरण के जांच अधिकारी भीम सिंह बीका ने संपूर्ण तथ्यों के साथ रिपोर्ट एसीबी मुख्यालय भेजी थी। इसमें न्यास अध्यक्ष सहित अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में तीन अलग-अलग मुकदमे की सिफारिश की गई थी। इस मामले में न्यास सदर नरेन शाहनी, प्रॉपर्टी डीलर मनोज गिदवानी व महेश अग्रवाल, सचिव निशु अग्निहोत्री और एटीपी साहिब राम जोशी के खिलाफ तीन अलग-अलग मामले दर्ज करने की सिफारिश की गई थी।
एंटी करप्शन ब्यूरो ने दावा किया कि उसके पास यूआईटी अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत सहित अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। मामले में शिकायतकर्ता अजमत खान से यूआईटी अध्यक्ष नरेन शाहनी, कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री, उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी की लेन-देन को लेकर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग एसीबी के पास है। एसीबी सूत्रों के अनुसार अजमत से शाहनी की सात बार, निशु अग्निहोत्री की चार बार और साहिब राम जोशी की दो बार बातचीत हुई थी। टेप की गई वार्ता से साफ है कि काम कराने के एवज में प्लॉट और रिश्वत राशि की मांग की गई है। शाहनी ने तो अपने साथ ही पूर्व सचिव पुष्पा सत्यानी को भी एक प्लॉट देने की डिमांड की थी। एसीबी के जांच अधिकारी टेलीफोन वार्ता की रिकार्डिंग को पुख्ता सबूत होने का दावा कर रहे हैं।
छन-छन कर आ रही खबरों के अनुसार एसीबी के पास मौजूद बातचीत की रिकॉर्डिंग में नरेन शाहनी भगत और परिवादी अजमत खान के बीच रिश्वत के लेन-देन को लेकर स्पष्ट संवाद है। दोनों के बीच सात बार बातचीत टेप की गई है। इसमें भगत ने अजमत को समझाया है कि भैया यह तो सिस्टम है, इसमें लेनदेन तो करना ही पड़ता है। मुझे दो प्लॉट और एक प्लॉट पुष्पा सत्यानी को देना पड़ेगा। सत्यानी अपने कई काम में मदद करेगी। उधर अजमत इस डिमांड को ज्यादा बताते हुए कम करने की गुजारिश बातचीत में कर रहा है। बातचीत में प्रॉपर्टी डीलर मनोज गिदवानी और महेश अग्रवाल की भूमिका का भी उल्लेख है। एसीबी के पास मौजूद नगर सुधार न्यास के उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी और परिवादी अजमत खान के बीच बातचीत की रिकार्डिंग में जोशी ने अजमत से साफ कहा कि उसे एक प्लॉट दे दो, अगर मकान बनवाना है। अजमत ने काम के बारे में साहिब राम जोशी से भी लंबी बातचीत की है। एसीबी के पास मौजूद नगर सुधार न्यास के कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री और अजमत के बीच बातचीत की रिकार्डिंग में अग्निहोत्री अजमत से पूछ रहे हैं कि ऐसी फाइलों के निस्तारण में पहले क्या व्यवस्था थी? जवाब में अजमत कहता है कि सर, 20 हजार रुपए एक फाइल के हिसाब से काम होता था, इस पर अग्निहोत्री कहते हैं कि नहीं यह तो कम है, उन्हें तो कम से कम एक लाख रुपए चाहिए। इस पर अजमत राशि कम कराने के लिए गिड़गिड़ाता है। बातचीत के एक टेप में अग्निहोत्री ने अजमत को घर का आदमी बताते हुए उससे कहा है कि वह कभी भी बेधड़क घर आकर उससे मिल सकता है। एक अन्य टेप में अग्निहोत्री से 35 हजार रुपए की रिश्वत राशि दिए जाने के बारे में दोनों के बीच बातचीत है। शेष राशि का भुगतान के बारे में भी दोनों के बीच बातचीत रिकार्ड है।
एसीबी के नरेन शाहनी भगत के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही उन्हें नगर सुधार न्यास सदर की कुर्सी छोडऩी पड़ सकती है।
ज्ञातव्य है कि एसीबी द्वारा अजमत नामक शिकायत कर्ता को पांच लाख रुपए के केमिकल लगे नोट लेकर मनोज गिदवानी नामक प्रॉपर्टी डीलर के घर भेजा गया। अजमत ने पांच लाख के बदले में भूमि के बदले भूमि दिलाने का उसका अटका हुआ काम कराने की गुजारिश की, लेकिन गिदवानी ने रुपयों को हाथ नहीं लगाया, अजमत ने नोट सोफे पर रख दिए। इस बीच उसने मोबाइल से मैसेज कर एसीबी टीम के सदस्यों को भीतर बुला लिया। भीम सिंह बीका सहित भीलवाड़ा और जयपुर के ब्यूरो दल के 18 लोगों ने गिदवानी और उसके परिजन को निगरानी में ले कर जांच शुरू कर दी। गिदवानी व उसके परिजनों के मोबाइल फोन कब्जे में ले लिए गए। गिदवानी के हाथ धुलवाए गए, लेकिन उनके हाथ में केमिकल्स का कलर नहीं आया। एसीबी दल ने गिदवानी के घर में करीब पांच घंटे जांच पड़ताल की। ब्यूरो ने उसके घर से जमीन के कागजात बरामद किए।
डीएसपी भीम सिंह बीका ने बताया था कि 28 जनवरी 2012 को चौरसियावास निवासी अजमत खान ने मामले में शिकायत दी थी। अजमत ने बताया था कि माकड़वाली रोड पर उसकी पुश्तैनी 20 बीघा जमीन राज्य सरकार ने अवाप्त कर ली थी। जमीन के बदले जमीन के लिए उसने नगर सुधार न्यास को आवेदन किया था। न्यास की पूर्व सचिव पुष्पा सत्यानी से उसने संपर्क किया, लेकिन उसने स्पष्ट किया कि चेयरमैन साहब से मिल लो, तभी काम होगा। इस मामले में वह न्यास चेयरमैन नरेन शाहनी से मिला। उन्होंने जमीन आवंटित करने के एवज में चार प्लॉट व 20 लाख रुपए की मांग की और उसे प्रॉपर्टी डीलर मनोज गिदवानी से इस बारे में संपर्क करने को कहा था। इसके बाद उसने कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री, उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी से भी संपर्क किया। सभी प्लाट और रुपए की डिमांड कर रहे थे। अग्निहोत्री ने एक लाख रुपए की मांग की थी, इसमें से 35 हजार रुपए वह दो दिन पहले उन्हें दे चुका है। तीन महीने पहले राज्य सरकार की एम्पॉवर्ड कमेटी में उसे 4800 वर्ग गज जमीन का आवंटन किया गया, जबकि 5200 वर्ग गज जमीन का आवंटन किया जाना था। शाहनी ने कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री और गिदवानी से मिलने को कहा। बातचीत में दो प्लॉट और 12 लाख रुपए में सौदा तय हुआ था। परिवादी अजमत खान ने भी ब्यूरो को बातचीत के टेप मुहैया कराए। इसके आधार पर शुक्रवार को ट्रेप की कार्रवाई का प्लान बनाया गया था।
जानकारी के अनुसार जयपुर ब्यूरो दल ने नगर सुधार न्यास के उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी को स्वतंत्र गवाह बनाने का फैसला किया। ब्यूरो के जांच अधिकारी भीम सिंह बीका ने स्वीकार किया कि एसीबी ने जोशी को गवाह बनाने का फैसला गलत किया था। इस मामले में जोशी पर भी आरोप हैं।
दूसरी ओर नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा है कि चुनावी वर्ष के दौरान राजनैतिक द्वेष के चलते उन्हें बदनाम करने की साजिश रची गई है। शाहनी ने बताया कि अजमत खान का जमीन के बदले जमीन का मामला राज्य सरकार की एम्पॉवर्ड कमेटी ने निस्तारित कर दिया था। उनकी कोई बातचीत अजमत या अन्य से नहीं हुई। अजमत का न्यास प्रशासन के कर्मचारियों या अधिकारियों से क्या विवाद चल रहा है, इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। पूरा मामला उन्हें बदनाम करने की साजिश है।