पत्रकारों पर हमले की मुस्लिम मीडियाकर्मीयों ने निंदा की

reaction newsअजमेर । देश के विभिन्न क्षेत्रो मे पत्रकारो पर हमलों की बढती घटनाओं की अजमेर के मुस्लिम मीडियाकर्मीयों ने निंदा की है और साथ ही राज्य व केन्द्र सरकार से पत्रकारों की जानमाल की सुरक्षा हेतु कोई ठोस कानून बनाए जाने की मांग की है । शनिवार कोअजमेर जिले में पत्रकारिता के क्षेत्र मेंसक्रिय मुस्लिम मीडिया कर्मीयों ने कहा है कि अपनी जान पर खेलकर पत्रकारिता मे जुटे पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई अलग से कानून नहीं बना है जिसकी वजह से हर कोई संगठन व पुलिस व असमाजिक तत्व पत्रकारोपर हमले कर बैठते है । किसी भी अदना पुलिसकर्मी भी राजकार्यमें बाधा का कानून का इस्तेमाल कर लेता है । लेकिन लोकतंत्र का चैथा स्तंभ माने जाने के बावजूद पत्रकारोंके लिए कार्यमें बाधा पहुंचाने वाले के विरुद्व कोई कानून की धारा नहीं है । यही कारण है कि पिछले कई समय से पत्रकारों पर अनावश्यक हमले हो रहें है जिसमें हाल ही मे मुंबई में महिला पत्रकार से बलात्कार की घटना हो या उत्तर प्रदेश में भूमाफियाओं द्वारा पत्रकारोंपर हमला । इसी प्रकार राजस्थान के जोधपुर में भंवरी कांड के समय पत्रकारों पर हमला होया शनिवार को आसाराम बापू के आश्रम में कवरेज केलिए गए जोधपुर में पत्रकारों पर असमाजिक तत्वों द्वारा हमला कर मारपीट की घटना । इन घटनाओं की कडी निंदा करनेवालोंमें वरिष्ठ पत्रकार याद हुसैन कुरैशी , आरिफ कुरैशी , जाकिर हुसैन , मौहम्मद रईस खान , मुजफफर अली , शाकिर रहमान , डा आदिल ,रहमान खान , नवाब हिदायतुल्ला , मोइन कादरी , मोइन शेख , नजीर कादरी , हबीब खान , अमान खान , हाफिज अंजुम , साहिल रजा , मौहम्मद यूनुस , हाफिज तनवीर , एम अली , एस एफ हसन चिश्ती व शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती शामिल है ।

4 thoughts on “पत्रकारों पर हमले की मुस्लिम मीडियाकर्मीयों ने निंदा की”

  1. Dear all,

    Muzaffar’s classification of Ajmer scribes on communal colours while condemning Jodhpur incident needs to be rejected and condemned. His unwarranted act is an attempt to paint a picture as if journalists in Ajmer works as representatives of two different religions.He has wrongly mentioned my name in the list based on wrong notion. I there for present my clarification that I am not an associate of his wrongful classification of us Ajmer journalists.

    It would have been correct and his attempt may have attracted applauds journalism fraternity if he had said that “we the Journalist of Ajmer condemn the attack on journalists in Jodhpur by the supporters of rape accused self styled godman Asaram.

    Zakir Hussain
    Correspondent
    Hindustan Times

  2. प्रिय साथियों
    जोधपुर में पत्रकारों पर हुए हमले के संबध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के जवाब में जनाब जाकिर हुसैन साहब का मेल प्राप्त हुआ है । जाकिर हुसैन साहब को एतराज है कि प्रेस विज्ञप्ति अजमेर के पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय मुस्लिम मीडियाकर्मीयों की तरफ से क्यूं जारी की गई । इसे वह बांटने वाली सज्ञां बताते है । ऐसे में सवाल उठता है कि जोधपुर में जो हमला पत्रकारों पर हुआ क्या किसी मुस्लिम पत्रकारों पर हुआ था । क्या जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में मुस्लिम पत्रकारों पर हुए हमले की निंदा की गई थी । यदि नहीं तो फिर बांटने वाली बात कहां आती है । इसी प्रकार आप की सवाल के बाद दूसरा सवाल उठता हैकि अजमेर के किसी पत्रकार संघ ने जोधपुर में पत्रकारों पर हमले की निंदा नहीं की । तीसरी बात जब अजमेर के कुछ मीडियाकर्मीयों ने राज्य व केन्द्रसरकार से पत्रकारों के हित व सुरक्षा के लिए ठोस कानून बानाने की मांग उठाईतो किसी समाचार पत्र ने उसे प्रकाशित क्यू नहीं किया ।

  3. अली मुज्जफर साहब ,
    जाकिर भाई द्वारा उठाए गए सवाल पर मै सहमत हूँ ,पत्रकार की कोई कौम और जाती नहीं होती ,वो पत्रकार ही होता है ,फिर मुस्लिम मिडिया कर्मी की बात कहा से आ गई ?क्या पत्रकारो को भी आप जाती और धर्म में बांटना चाहते है ?भाई ये काम राजनैतिक दलों को ही करने दे. रहा सवाल निंदा करने का तो जोधपुर में पत्रकारों पर हमले की निंदा अजमेर इलेक्ट्रोनिक मिडिया पूर्व में ही कर चूका था,आप भी निंदा प्रस्ताव जारी करते यह कहते हुए जारी करते की अजमेर के मिडिया कर्मियों ने इस घटना की निंदा की तो समझ में आता लेकिन मुस्लिम मिडिया कर्मी क्या होता है ,ये आप भी बेहतर जानते है समाचार प्लस चेनल में दिन भर अजमेर के नाम से स्क्रोल चल रहा था।
    अब आपके तीसरे सवाल का जवाब यह है की घर बैठे छपास रोग से पीड़ित होकर प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से क्या कोई समाधान निकलेगा ?क्या आपने इस सम्बन्ध में मुख्य मंत्री के नाम कोई जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा?क्या आपने शहर के अन्य मिडिया कर्मियों से इस सम्बन्ध में चर्चा की ? यदि नहीं तो आपको यह प्रश्न उठाने का अधिकार भी नहीं है रहा सवाल समाचार पत्रों में छापने का तो इसका जवाब आपकी विज्ञप्ति में ही छिपा हुआ है “मुस्लिम मिडिया कर्मी “शब्द का इस्तेमाल कर के आपने अपनी घटिया मानसिकता का परिचय दिया है इसलिए न सिर्फ जाकिर भाई बल्कि आपके द्वारा दी गई विज्ञप्ति में छपे कई पत्रकारों ने भी इस पर एतराज उठाया है,क्या आपने विज्ञप्ति जारी करने से पहले उन्हें बताया की इस प्रकार हम इस घटना की निंदा करते हुए आपका नाम विज्ञप्ति में भेज रहे है ?अपनी मनमर्जी से आपने नाम दे दिए सिर्फ छपास के कारण। आपके द्वारा विज्ञप्ति में दिए नामो में कई लोग तो पत्रकार ही नहीं है ,फिर भी हमने इस बात को नजर अंदाज किया लेकिन भगवान् के लिए पत्रकारों को मजहब में बांटने की घटिया मानसिकता से ऊपर उठे और मिल कर इस बात के लिए प्रयास करे की ऐसी घटना की पुनरावृति न हो.बात कड़वी जरुर है लेकिन सच्चाई भी है उम्मीद करता हूँ की हम सब मिल कर केवल विज्ञप्ति जारी करने तक सिमित नहीं रहेंगे बल्कि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने के लिए प्रयास करेंगे
    धन्यवाद
    संतोष कुमार सोनी
    ब्यूरो अजमेर ,समाचार प्लस राजस्थान

  4. प्रिय साथियों
    पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय मीडियाकर्मी को किसी जात धर्म वर्ग विशेष संप्रदाय को लक्ष्य में रखकर रिपोट्र्रिग नहीं करनी होती है । इसी प्रकार मुस्लिम वर्ग से आने वाले कुछ युवा मीडियाकर्मी जिनका अनुभव ज्यादा नहीं है लेकिन इस क्षेत्र में उर्जावान है और अपनी पहचान लेकर यदि पूरे पत्रकार जगत के हित की बात करना चाहते है तो गहन अनुभवी पत्रकारों को क्यूं आपत्ती होनी चाहिए । सिर्फ इसलिए िक वे अपनी पहचान को जाहिर कर रहे है ! जिस कौम को हमेशा पिछडा अशिक्षित ंिहसंक माना गया उसी कौम से निकल कर मीडिया में अपनी पहचान बनाने निकले शिक्षित युवाओं की प्रेस विज्ञप्ति को संप्रदायिक करार देने बटवारे वाली बात करना कहा जा रहा है । पत्रकारिता क्षेत्र में अनुभवी लोग उनके भी साथ खडे होकर हौसला देते तो अजमेर में सिर्फ धर्म आधारित ही नहीं बल्कि बौद्विक क्षेत्र में भी कौमी एकता की एक मिसाल बनती । साथियों आप जानते है कि मैं पिछले पंद्रह वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं मेने कभी अपने आपको किसी से अलग नहीं माना और ना ही अपने धर्म के कार्यकर्ता के रुप में रहा लेकिन कुछ युवाओं के आग्रह पर उनके लिए उनसे बातकर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी तो यह उनका हौसले को बढाने वाला काम था ना कि जरुरत से ज्यादा सोचकर किसी बटवारे पर चलने वाला काम जैसा कि मेरे अपने ही कुछ साथियों ने सोच लिया । मेरे साथ वर्षो से मीडिया क्षेत्र में काम करने वाले अजीज दोस्तों ने मुझे गलत समझ लिया इसका मुझे अफसोस रहेगा ।

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