ब्यावर (हेमन्त साहू)। निकटस्थ राजियावास में पंचायत समिति व ग्राम पंचायत प्रशासन की अनदेखी के चलते वर्ष 1997 से एक ही बीपीएल नम्बर से दो अलग-अलग राशन कार्ड बना दिए। लेकिन,अब दोनों परिवारों के राशन कार्ड को प्रशासन ने डिफाल्टर बताकर राशन की दुकान से राशन सामग्री भी बंद कर दी। ग्राम सेवक राजीव दुबे ने बताया कि कालिंजर गांव के सवाईसिंह पुत्र मोतीसिंह नाम के दो अलग-अलग एकसे नाम वाले चयनित परिवार के मुखिया का राज्य सरकार ने वर्ष 1997 में बीपीएल के राज्य क्रमांक एस/21/003/79/2678 के बीपीएल नम्बर 8169 पर दर्ज किया। वहीं वर्ष 2002 के सर्वे में क्रमांक 6123747 पर दर्ज है। लेकिन,दोनों ही परिवारों की यूनिट में अंतर होने के चलते विकास अधिकारी ही अंतिम निर्णय करेंगे। वहीं पीड़ीत दोनों परिवार की राशन सामग्री भी बंद कर दी। इधर मामले को लेकर पूरा प्रशासन भी स्वयं सवालों के गहरे में आ गया। ऐसेमें मामले का खुलासा तब हुआ जब ग्राम पंचायत में गत दिनों बीपीएल परिवार के लिए राज्य सरकार ने दो साड़ी-कम्बल खरीदने की ऐवज में पन्द्रह सौ रूपयें के चैक वितरण के दौरान आईटी सेंटर पर ग्राम सेवक ने एक परिवार को चैक दे दिया और दूसरा परिवार उसी चैक को लेने पहुंच गया। ऐसेमें ग्रामसेवक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों के अलग-अलग राशन कार्ड देखे और चैक वापस ले लिया।
किसान तकनीकी खेती की जानकारी से वंचित
ब्यावर। कृषि प्रधान देश होने के चलते सरकार किसानों की हर समस्या के समाधान के लिए अग्रणी भूमिका निभाते हुए तरह-तरह की योजनाएं लागू करती रहती है। वर्तमान में कृषि संबंधी नए-नए शोध होने से उन्नतशील बीज,खाद और दवाओं के साथ ही विभिन्न प्रकार के कृषि संबंधी यंत्र भी विकसित किए है। इससे खेती करना अब ओर भी ज्यादा आसान हो गया है। इतना ही नही अब तो कृषि यंत्रों की खरीद पर विभाग द्वारा किसानों को छूट देने का प्रावधान भी है। जबकी,यही महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी स्थानिय किसानों तक नही पहुंच पा रही है। ग्रामीण अंचलों में लोग खेती कर गुजर बसर कर रहे है। क्षेत्र में आज भी पुरानी विधि से ही धान,गेहँू,दलहन,तिलहन व सब्जी की खेती हो रही है। ब्लॉक स्तर पर होने वाली किसान गोष्ठी का आयोजन भी कागजों में ही सिमट कर कृषि संबंधी अधिकारियों तक ही सिमित रह जाता है। ऐसेमें क्षेत्र के किसान पूनमसिंह,केसाराम,बाबूसिंह,धन्नासिंह, मिठूसिंह,गोविन्दसिंह व हजारीसिंह का कहना है कि किसानों की उपेक्षा सभी करते है जिसके कारण हम सब पुरानी विधि से ही खेती करने को मजबूर है। इसलिए प्रशासन से नई विधि द्वारा खेती करने की जानकारी दिलवाने की मांग की है।