अजमेर। बिहार के पटना में नरेन्द्र मोदी की रेली के दौरान हुए बम विस्फोटो के आरोपी तीन आतंकवादीयो की तलाश एटीएस राजस्थान में कर रही है। लेकिन विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक और पर्यटन नगरी अजमेर में सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही तीसरी आंख पुरी तरह काम नही कर पा रही। यही वजह है कि पुलिस अधिकारियो कि लापरवाही के चलते पिछले दो साल से बंद पडे़ है अजमेर शहर में लगे सोलह सीसीटीवी केमरे। पुलिस अधिकारियो ने कंपनी का जिम्मा बताकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया है। इन केमरो को ऑपरेट करने वाला कंट्रोल रूम भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। खास बात यह है कि पुलिस अधिकारी बंद पडे़ केमरे के मुद्दे पर सुरक्षा में खामी कि बात तो स्वीकार कर रहे है लेकिन इसके लिए वह उस कंपनी को जिम्मेवार ठहरा रहे है जिसे इनके रख रखाव का ठेका दिया गया था। शहर के अलग अलग ईलाको मे खम्बो पर नजर आ रहे ये सीसीटीवी केमरे। दिख तो रहे है लेकिन काम नही कर रहे। दीपावली के त्यौहार पर बाजारो में खरीददारी करने के लिए भीड़ उमड रही है। वहीं कुछ पुलिस जवानो के हवाले है शहर की सुरक्षा।
राजस्थान सरकार ने पांच साल पहले लाखो रुपयो का बजट देकर अजमेर शहर के व्यस्ततम बाजारो कि सुरक्षा करने के उद्देश्य से हाई फ्रीक्वेंसी के सोलह सीसीटीवी केमरे लगवाये थे। यह केमरे अजमेर के नया बाजार, मदार गेट, क्लॉक टॉवर, स्टेशन रोड, आगरा गेट, गंज चैराहे सहित कई प्रमुख जगह पर लगाए गए थे। खास बात यह है कि इनको लगाने के बाद यह कुछ समय तक चालू हालत में रहे जिसका फायदा कई बार पुलिस को मिला। लेकिन अब पुलिस अधिकारियो कि लापरवाही और कंपनी के अधिकारियो कि निष्क्रियता के चलते बीते दो सालो से यह सभी सीसीटीवी केमरे खराब पडे है। यहाँ तक कि इन सभी केमरो पर नजर रखने के लिए अजमेर के ट्रेफिक डीएसपी कार्यालय में बाकायदा एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया था। लेकिन आज वह भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
फिलहाल सभी सोलह केमरे बंद पडे है और पुलिस विभाग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर ठेकेदार कम्पनियो को जिम्मेदार ठहरा रहे है। लेकिन इतना तो तय है कि लापरवाही दोनों ही विभागो कि है और इनकी लापरवाही की वजह से हजारो लाखो लोगो कि सुरक्षा आज खतरे में है। यदि ऐसे समय में कोई हादसा या दुर्घटना हो जाती है तो नुकसान केवल आम जनता का ही होना तय है।
