कर विवादों से बचने को नए नियम लागू

बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के साथ टैक्स से जुड़े विवादों में कमी लाने के लिए सरकार ने शुक्रवार से नए नियम लागू कर दिए हैं। इनके जरिये ये कंपनियां पहले से ही अपनी कर देनदारी का आकलन कर सकेंगी। इन्हें एडवांस कीमत निर्धारण अनुबंध (एपीए) नियमों का नाम दिया गया है। इन नियमों से संबंधित अधिसूचना वित्त मंत्रालय ने जारी कर दी है।

ट्रांसफर प्राइसिंग तंत्र से जुड़े इन नियमों के तहत वस्तुओं और सेवाओं की कीमत निर्धारण में सहूलियत होगी। एक ही समूह की कंपनियों के बीच सीमापार आवाजाही वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमत को लेकर विवादों के चलते 60,000 करोड़ रुपये का कर राजस्व मुकदमेबाजी में अटका हुआ है। ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी रिपोर्ट के अनुसार ट्रांसफर प्राइसिंग में गड़बड़ी अवैध धन के प्रवाह का एक बड़ा जरिया है। विभिन्न देशों के बीच स्थानांतरण के दौरान वस्तुओं और सेवाओं की लागत निर्धारण में अंतर को लेकर ही कर विवाद पैदा होते रहे हैं। नए नियमों के बाद करदाता और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी के बीच अंतरराष्ट्रीय लेनदेनों को लेकर यह एपीए कई वर्षो के लिए होगा। वैसे, प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक में ही एपीए के लिए प्रावधान शामिल किया गया है। मगर केंद्र सरकार ने वित्त विधेयक 2012 में शामिल कर पहले ही इन नियमों को लागू करने का रास्ता साफ कर दिया था।

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