फ़ेयर ऐंड लवली ला सकती है कूटनीति में निखार

भारत पाकिस्तान के बीच व्यापार पर आर्थिक से ज़्यादा सामरिक सोच हावी है

फ़ेयर एंड लवली क्रीम और पैराशूट नारियल तेल गोरी त्वचा और लंबे बालों की चाहत लिए लोगों के काम सालों से आ रही हैं लेकिन इनका इस्तेमाल भारत पाकिस्तान के बीच के कूटनीतिक रिश्तों में भी निखार और मजबूती ला सकता है.

पाकिस्तान में गोरा बनने की भारतीय फ़ेयर ऐंड लवली क्रीम, डाबर वाटिका तेल और ज़र्दे और च्यवनप्राश ने सीमाओं के बंधनों को तोड़ कर आम पाकिस्तानी के दिलों और घरों में गहरी पैठ बना ली है.

कालाबाज़ारी आम

पाकिस्तान के कराची शहर में एक बड़ी किराने की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने नाम ना बताने की शर्त पर टेलीफोन से बताया कि वो अपनी दुकान में इन सभी चीज़ों को खूब बेचते हैं और इन पर छपी कीमत से दुगने से भी ज़्यादा कीमत पर बेचते हैं.

वो कीमतों का गणित समझाते हुए कहते हैं, “सबसे पहले तो जो माल भारत से लाते हैं अपना फायदा जोड़ते हैं, फिर थोक विक्रेता अपना मुनाफ़ा जोड़ता है उसके बाद रिटेलर अपना मुनाफ़ा लेता है. कुल मिला कर भाव दुगने से भी ज़्यादा हो जाते हैं.”

भारत में उद्योग व्यापार के संगठन एसोचैम का कहना है कि कागजों पर भारत पाकिस्तान के बीच का व्यापार क़रीब 14.50 हज़ार करोड़ भारतीय रुपयों का है.

भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिव सात सितंबर को इस्लामाबाद में मिल रहे हैं. वहीं एक दिन बाद भारत और पकिस्तान के विदेश मंत्री मिलेगें. भारत और पाकिस्तान के वाणिज्य सचिवों की मुलाकात भी जल्द ही संभावित है.

अलग असलियत

पाकिस्तान के उद्योगपतियों के बड़े संगठन एफ़पीसीसीआई के उपाध्यक्ष शेख़ शकील अहमद ढींगरा का कहना है, “जो भारत के बंदरगाहों से सीधे आता है वो तो इतना ही है लेकिन असलियत में यह 20 से 27 हज़ार करोड़ भारतीय रुपयों का है. जो भारतीय माल हम दुबई सिंगापुर से मंगाते हैं वो तो इससे कई गुना ज़्यादा है.”

एसोचैम के मुताबिक भी तीसरे देशों के रास्ते भारत से पाकिस्तान जाने वाला माल 25 से 30 हज़ार करोड़ रुपयों का है.

भारत काफ़ी पहले ही पाकिस्तान को व्यापार के लिए अपनी प्राथमिकता सूची में रखने के लिए घोषणा कर चुका है.

पाकिस्तान भी इस तरह की घोषणा कर चुका है लेकिन इस बारे में अभी उसके द्वारा कदम उठाए जाने का इंतज़ार है.

पाकिस्तान में कई व्यापारी और राजनेता भारत के लिए पाकिस्तान के बाजारों को खोलने का विरोध करते हैं क्योंकि उनका कहना है कि ये रिश्ता बराबर का नहीं होगा.

पाकिस्तान और भारत के बीच होने वाले ब्यापार में भारत का पाकिस्तान को निर्यात पाकिस्तान से आयात से कहीं ज़्यादा है.

संभावनाएं

शेख़ शकील अहमद ढींगरा कहते हैं, “व्यापार संतुलन की बात करना गलत है. हम महँगा सामान यूरोप से आयात करें इससे बेहतर है हम वही माल भारत से कम दामों में लें. हमें तो सामान लेना है डॉलर देना है अब यूरोप को दे या भारत को दें.”

एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार दोनों देशों की सरकारों के कर राजस्व को कई गुणा बढ़ा सकता है.

एफ़पीसीसीआई के ढींगरा कहते हैं कि मुक्त व्यापार के ज़रिए दोनों देश बड़ी आसानी से आने वाले दो तीन सालों में आपसी व्यापार को 55 हज़ार करोड़ रुपयों तक ले जा सकते हैं.

यानि माल तैयार है, लेने वाले तैयार हैं बेचने वाले तैयार हैं

अब बस भारत पाकिस्तान की सरकारों को तय करना है कि वो कब तक डाबर के च्यवनप्राश को अपने देश की सरकारी तिजोरियों की जगह काला बाजारियों की जेबों को मज़बूत करने देते हैं.

 

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