नई नियुक्तियों से बच रहा उद्योग जगत

आर्थिक अनिश्चितता और महंगाई के दबाव का असर साफ तौर पर नई नौकरियों के सेंटीमेंट पर दिखाई दे रहा है। आर्थिक और नीतिगत मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रहा उद्योग जगत फिलहाल नई नियुक्तियों से परहेज कर रहा है। बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज को छोड़कर लगभग सभी सेक्टरों में नई नौकरियों के अवसर कम हुए हैं।

नौकरी जॉब स्पीक इंडेक्स के मुताबिक, पिछले पांच माह से रोजगार सूचकांक स्थिर बना हुआ है। इस साल अगस्त माह में जुलाई के मुकाबले नई नियुक्तियों में 4 फीसदी की गिरावट आई है। आईटी-सॉफ्टवेयर, ऑयल एंड गैस, फार्मा और ऑटो सेक्टर जैसे प्रमुख सेक्टरों में पिछले दो माह से नई नियुक्तियों का आंकड़ा लगातार कम हो रहा है।

इंफो एज इंडिया के एमडी एवं सीईओ हितेश ओबरॉय का कहना है कि अर्थव्यवस्था में नई नियुक्तियों को लेकर हालात बहुत चुनौतीपूर्ण है। नियोक्ता काफी सावधानी बरत रहे हैं और वह नई सदस्यों को रिक्रूट करने की बजाय रिप्लेसमेंट नियुक्तियों को तरजीह दे रहे हैं। टेलीकॉम, इंश्योरेंस और बीपीओ जैसे सेक्टरों में नियुक्तियों पर अच्छा खासा दबाव है।

निर्माण, इंजीनियरिंग में सर्वाधिक गिरावट
नई नियुक्तियों के मामले में कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग सेक्टर में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है। इस साल जुलाई की तुलना में अगस्त माह में इन दोनों सेक्टरों में नियुक्तियों से जुड़ी गतिविधियों में 13 फीसदी की गिरावट आई है। तेल एवं गैस, बीपीओ और ऑटो सेक्टरों में भी नई नियुक्तियों का स्तर क्रमश: 6 और 9 फीसदी दर्ज किया गया। सॉफ्टवेयर सर्विसेज और इंश्योरेंस में करीब 2 फीसदी की गिरावट रही। दूसरी ओर, बैंकिंग सेक्टर में नियुक्तियों की गतिविधियों में 12 फीसदी की वृद्धि देखी गई। बैंकिंग सेक्टर में नई नियुक्तियों का आंकड़ा बढ़ने की एक मुख्य वजह सरकारी बैंकों की ओर से शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया भी है।

दिल्ली-एनसीआर में घटे अवसर
कोलकाता को छोड़कर देश सभी बड़े शहरों में नई नियुक्तियों से जुड़ी गतिविधियों में गिरावट आई है। दिल्ली-एनसीआर में अगस्त के दौरान जॉब स्पीक इंडेक्स में 4 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि, कोलकाता में 7 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। मुंबई, पुणे और चेन्नई में नियुक्तियों की गतिविधियों में 2 फीसदी की गिरावट गाई है। जबकि, बंगलूरू में स्थिति जस की तस बनी रही।

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