भर्तियों में अगली 3 महीने दिखेगी सुस्ती

आर्थिक माहौल में जारी अनिश्चितता और सरकारी स्तर पर बड़े नीतिगत फैसलों में देरी से अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश की कंपनियों में कर्मचारियों की भर्ती में धीमापन आने की आशंका जताई जा रही है।

मैनपावर रोजगार परिदृश्य सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में कंपनियां जोरशोर से कर्मचारियों की भर्ती कर रही थीं, लेकिन अब मात्र 27 प्रतिशत कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है। रिपोर्ट के अनुसार इस सर्वेक्षण में अगले तीन महीने में कर्मचारियों की भर्ती के लिए सबसे अग्रणी देशों की सूची में ताईवान ने भारत को पछाड़ दिया है।

भारत, चीन और ब्राजील के नियोक्ताओं ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में चालू वर्ष में भर्ती में कमी लाने की बात कही है। मैनपावर इंडिया के प्रबंध निदेशक संजय पंडित ने बताया कि भर्तियों की रफ्तार में सुस्ती से यह पता चलता है कि भारतीय कंपनियां भी कहीं न कहीं ग्लोबल आर्थिक सुस्ती के प्रभावों की चपेट में हैं और घरेलू स्तर पर स्थानीय कारकों के प्रभावों की पूर्ति करने के प्रयास कर रही हैं। पंडित ने कहा कि नई भर्ती से परहेज करने के बीच कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी नहीं करना चाहती हैं, लेकिन जब तक स्थिति में सुधार के संकेत नहीं मिले, तब तक वे कम भर्तियां करने की नीति पर चल रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार देश के तकरीबन सभी क्षेत्रों और सभी सात सेक्टरों में अगली तिमाही में भर्ती प्रक्रया में कमी आएगी, लेकिन इसका अगामी अनुमान सभी जोन और सभी सेक्टरों में सकारात्मक है। इसमें कहा गया है कि फाइनेंस, बीमा और रीयल्टी क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार मिलेगा जो कुल रोजगार का 32 प्रतिशत है। इसके बाद थोक एवं खुदरा कारोबार में रोजगार के अवसर मिलेंगे, जो कुल रोजगार का 27 प्रतिशत होगा। कारखाना क्षेत्र का भर्ती में योगदान 22 प्रतिशत होगा, जबकि सेवा क्षेत्र इसमें 21 प्रतिशत की भागीदारी करेगा।

सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के 42 देशों में से 22 के नियोक्ता भर्ती करने में सावधानी बरत रहे हैं। हालांकि इसमें कहा गया है कि एक वर्ष पहले की तुलना में यह संख्या बढ़कर 26 हो जाएगी। मैनपावर ने कहा है कि ग्लोबल श्रम बाजार में भारी अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे नियोक्ता भर्ती करने से परहेज कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि यूनान, इटली, फिनलैंड, आयरलैंड, स्पेन, स्लोवाकिया, नीदरलैंड, चेक गणराज्य और पौंलैंड में भर्ती में सबसे अधिक कमी आएगी और ग्लोबल स्तर पर इन देशों में रोजगार में कमी देखने को मिलेगी।

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