पाच साल से आर्थिक संकट की मार झेल रहे ग्लोबल वित्तीय तंत्र की हालत अब भी नाजुक है। इसकी स्थिति सुधारने के लिए नियामकों, पर्यवेक्षकों और निजी क्षेत्र को भरपूर प्रयास करने होंगे। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की ओर से जारी ग्लोबल वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट कहा गया है कि सुधार सही दिशा में हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं। इनमें और सुधार की जरूरत है।
आइएमएफ का कहना है कि अभी भी विभिन्न मसलों का हल बाकी है। नीति निर्माताओं की तरफ से आ रहे संकेत साफ और सकारात्मक हैं, लेकिन वित्तीय तंत्र से खतरा टला नहीं है। कुछ अर्थव्यवस्थाओं की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक सुधार के कड़े कदम उठाकर ग्लोबल आर्थिक तंत्र को सुरक्षित रास्ते पर लाना होगा। हालाकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बैंक इस संकट से बहुत हद तक अछूते रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र में इनकी मौजूदगी बहुत कम है।
आइएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लगार्ड ने ग्लोबल अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता पर चिंता जताई है। एक कार्यक्रम में लगार्ड ने कहा कि सुधार के बावजूद ग्लोबल वृद्धि अनुमान से भी कमजोर रहने वाली है। कई कारणों से वैश्विक अर्थव्यवस्था गिरावट की ओर जा रही है। लगार्ड ने कहा कि हमारे सामने कई चुनौतिया हैं। इनमें यूरोजोन कर्ज संकट, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमजोर सुधार, उभरते बाजारों में आर्थिक मंदी, निम्न आय वाले देशों में खाद्य कीमतों में वृद्धि और उपभोक्ता वस्तुओं की अस्थिर कीमतों को लेकर चिंताएं शामिल हैं।
आइमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति निर्धारकों को बाजार एवं वित्तीय संस्थाओं को पारदर्शी, कम जटिल एवं कम नुकसान देने वाली बनाना होगा। न केवल आर्थिक सुधार के फैसले लेने होंगे बल्कि उन्हें लागू करवाने का भी पूरा प्रयास करना होगा। डगमगाती आर्थिक ताकतों को एक-दूसरे को सहयोग देते हुए बाजार को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।