स्वास्थ्य बीमा के बढ़ते फर्जी दावों और अस्पतालों के मनमाने शुल्क से परेशान बीमा कंपनियों ने अब इसका बोझ पॉलिसीधारकों पर ही डालने का मन बनाया है। इस वजह से इनका घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्राहकों को अगले वित्त वर्ष 2013-14 की शुरुआत से स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के रूप में ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है।
स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने वाली कंपनियों ने इरडा से इसके प्रीमियम में 10-40 फीसद तक वृद्धि करने की इजाजत मांगी है। सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज साधारण बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस के चेयरमैन एनएसआर चंद्रप्रसाद ने बताया कि प्रीमियम में इजाफे की इरडा से मंजूरी महीने भर में मिलने की उम्मीद है। इसमें कितनी बढ़ोतरी होगी यह बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया।
मगर सूत्रों ने बताया कि यह बढ़ोतरी 20 से 40 फीसद तक हो सकती है। चंद्रप्रसाद यहां एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) अगर तय समय पर मंजूरी दे देता है तो अप्रैल, 2013 से बढ़ा हुआ प्रीमियम लागू हो जाएगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की पुनर्बीमा कंपनी साधारण बीमा निगम (जीआइसी) के चेयरमैन अशोक ए रॉय ने भी कहा कि स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में समीक्षा की जरूरत है। साथ ही, अस्पतालों को अपनी फीस में भी कटौती करनी चाहिए।