ऑटोमोबाइल सेक्टर में हायरिंग से ज्यादा होगी फायरिंग

firedअग्रणी जॉब पोर्टल नौकरी डॉट कॉम का कहना है कि इस वर्ष महज 51 फीसदी ऑटोमोबाइल कंपनियां नई भर्तियों के संकेत दे रही हैं

सूरतेहाल
बहुत सी कंपनियों ने नई नियुक्तियों की बजाय छंटनी के संकेत दिए हैं
50 फीसदी कंपनियां वेतन में 10-15 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं करेंगी
33 फीसदी कंपनियों ने 10 फीसदी से भी कम वेतन बढ़ोतरी की बात कही है
जॉब की जरूरत के हिसाब से उचित कर्मचारी खोज पाना कंपनियों की बड़ी चुनौती

घरेलू ऑटो सेक्टर में नौकरियों के लिहाज से चालू वर्ष कुछ खास नहीं रहने वाला है। पिछले कुछ समय में ऑटोमोबाइल्स कंपनियों की बिक्री पर कई वजहों से खासा नकारात्मक असर पड़ा है। अग्रणी जॉब पोर्टल नौकरी डॉट कॉम का कहना है कि घटती बिक्री को देखते हुए इस वर्ष सिर्फ 51 फीसदी कंपनियां नई नियुक्तियों को लेकर सकारात्मक रुख दिखा रही हैं।

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर पर नवीनतम सर्वे के हवाले से नौकरी डॉट कॉम ने कहा है कि कई कंपनियां नई भर्ती करने की तो दूर, उल्टे अपने कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बारे में सोच रही हैं।

कंपनियां अपना परिचालन खर्च घटाने के लिए छंटनी की योजना बना रही हैं। अपनी रिपोर्ट में पोर्टल ने कहा है कि भारतीय ऑटो सेक्टर सेल्स के मोर्चे पर कठिन दौर से गुजर रहा है। कार बिक्री की विकास दर पिछले एक दशक के सबसे निचले स्तर पर रहने की आशंका है।

हमारे सर्वे के दौरान सिर्फ51 फीसदी कंपनियों ने नई नियुक्तियों के संकेत दिए हैं।
नौकरी डॉट कॉम का कहना है कि इससे पहले जुलाई, 2012 के दौरान हुए सर्वे में 65 फीसदी कंपनियों ने नई नियुक्तियों के संकेत दिए थे। हालांकि नौकरी डॉट कॉम ने यह भी कहा है कि खाली हुए पदों भर्ती के मोर्चे पर स्थिति थोड़ी बेहतर है।

करीब 60 फीसदी कंपनियों ने कहा है कि अगर उनके यहां कोई जगह खाली होती है, तो वे उस जगह के लिए नियुक्ति के बारे में सोच सकती हैं। खर्च घटाने के लिए कर्मचारियों की छंटनी के बारे में कंपनियों ने कहा है कि ज्यादातर छंटनी 8-15 वर्षों का अनुभव हासिल कर्मचारियों के वर्ग में होगी। वहीं, कंपनियां 4-8 वर्ष अनुभव वाली कैटेगरी में ज्यादा नियुक्तियां करेंगी।

जहां तक चालू वित्त वर्ष में कंपनियों के बिक्री प्रदर्शन का सवाल है, तो पिछले एक दशक में पहली बार बिक्री के मोर्चे पर कार कंपनियों की ग्रोथ नकारात्मक क्षेत्र में जाती दिख रही है। ऑटो इंडस्ट्री की संस्था सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईएएम/सियाम) का मानना है कि कंपनियों द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए घोषित 0-1 फीसदी की विकास दर हासिल करना मुश्किल लग रहा है।

संस्था के मुताबिक वृहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर दुश्वारियां जारी हैं और मांग में लगातार कमी आती दिख रही है। सियाम का यह वक्तव्य तब आया है, जब जनवरी,2013 में कार कंपनियों की बिक्री में 12.45 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।जनवरी,13 को मिलाकर पिछले लगातार तीन महीनों से कार कंपनियों की बिक्री गिर रही है।

सर्वे के मुताबिक योग्य कर्मचारियों की कमी भी कंपनियों के सामने एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरी है। करीब 78 फीसदी कंपनियां मानती हैं कि जॉब की जरूरत के हिसाब से उचित कर्मचारी खोज पाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सालाना वेतन बढ़ोतरी के मोर्चे पर भी हालात बहुत ज्यादा सकारात्मक नहीं हैं।

कंपनियां इस वर्ष अपने कर्मचारियों को कितनी सालाना वेतन बढ़ोतरी देने के बारे में सोच रही हैं, इसके जवाब में 50 फीसदी कंपनियों का कहना था कि वे सिर्फ 10-15 फीसदी तक वेतन बढ़ोतरी कर सकती हैं।वहीं, 33 फीसदी से ज्यादा कंपनियों ने तो यह कहा कि वे 10 फीसदी से भी कम बढ़ोतरी के बारे में सोच रही हैं।

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए उम्मीद की एकमात्र किरण आयातित कारों और स्पोट्र्स यूटिलिटी व्हीकल्स (एसयूवी) की तरफ से आ रही थी।वर्तमान में यही अकेला सेक्टर है, जिसकी बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी। लेकिन आम बजट 2013-14 में इस सेक्टर पर भी कुठाराघात हुआ है।

पिछले दिनों संसद में पेश आम बजट,2013-14 में आयातित कारों और एसयूवी पर टैक्स बढ़ाने का प्रावधान रखा गया है।इसे देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में घरेलू ऑटो सेक्टर के उबरने की उम्मीद कम दिख रही है।

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