न्यूयॉर्क। प्रमुख इंटरनेट कंपनी गूगल पर गुप्त तरीके से डाटा जुटाने के आरोप में अमेरिका में 70 लाख डॉलर (3,780 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया गया है। गूगल ने अपनी ऑनलाइन मैप्स सेवा में स्ट्रीट व्यू इमेजेस उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न देशों में निजी वाइ-फाइ हॉटस्पॉट कनेक्शनों के जरिये यह डाटा जुटाया है। अमेरिका के 38 राज्यों में डाटा चोरी के इन मामलों में कंपनी यह जुर्माना भरने पर राजी हुई है।
गूगल अपनी इस सेवा के तहत विभिन्न देशों में रास्तों की स्पष्ट तस्वीरें उपलब्ध कराती है। यह सेवा उपलब्ध कराने के लिए कंपनी ने अपने ऑनलाइन मैप्स सॉफ्टवेयर के जरिये लोगों के असुरक्षित हॉटस्पॉट कनेक्शनों से डाटा जुटाए थे। डाटा संग्रह करने के इस तरीकेको लेकर कई देशों में कंपनी के खिलाफ जांच शुरू हुई है। अमेरिका के इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेसी इंर्फोमेशन सेंटर ने कहा कि गूगल ने कम से कम नौ देशों में स्थानीय कानूनों का उल्लंघन किया है।
मंगलवार को हुए समझौते के बाद गूगल ने वादा किया कि वह अमेरिका में वर्ष 2008 से 2010 के बीच स्ट्रीट व्यू विकल्प के जरिये जुटाए गए सभी ईमेल, पासवर्ड, वेब हिस्ट्री और अन्य सभी डाटा को नष्ट करेगी। उपभोक्ताओं को अपनी निजी और वित्तीय सूचनाओं की गूगल जैसी कंपनी से सुरक्षित रखने का अधिकार है। गूगल ने इस तरह से डाटा जुटाना बंद कर दिया है और बिना सहमति के ऐसा नहीं करने का वादा किया है। गूगल ने एक बयान में कहा कि कंपनी लोगों की निजता बनाए रखने का प्रयास करती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसलिए कंपनी अपने तंत्र को ठीक करकेइस मसले का समाधान करेगी। कंपनी के प्रोजेक्ट लीडर यह डाटा हासिल करना नहीं चाहते थे। उन्होंने इसका न तो कभी उपयोग किया है और न ही इसे देखा है। इसके बावजूद हम अपनी गलती स्वीकारते हुए भरोसा दिलाते हैं कि इसे मिटा दिया जाएगा।