हिंसक होती महानगरीय संस्कृति की त्रासदी

हम जितने आधुनिक हो रहे है, हमारे नैतिक मूल्य उतने ही गिरते जा रहे हैं। हमारे महानगर इस गिरावट की हदें पार कर रही हंै। इसकी निष्पत्ति न केवल भयावह बल्कि चिन्ताजनक होती जा रही है। इसका खुलासा इसी बात से हो जाता है कि अकेले दिल्ली में छोटी-छोटी बातों पर हत्या जैसी घटनाओं में … Read more

रिश्तों और मानवीय संबंधों की सुगंध से ओतप्रोत बहती बयार है, मीनाक्षी सिंह का कविता-संग्रह “बस तुम्हारे लिए”

पुस्तक समीक्षा ~~~~~~~~~~ पुस्तक-परिचय “बस तुम्हारे लिए” (कविता-संग्रह) लेखक : मीनाक्षी सिंह ई-मेल:meenakshisingh1974@gmail.com प्रकाशक: अंजुमन प्रकाशन, 942 आर्य कन्या चौराहा मुट्ठी गंज,इलाहबाद – 211003 संस्करण: प्रथम 2017 मूल्य: 120/ रुपए पृष्ठ: 120 मुझे आज ही मीनाक्षी सिंह का प्रथम कविता संग्रह “बस तुम्हारे लिए” मिला l आभार l मीनाक्षी सिंह को मैं करीब 5 वर्षो … Read more

अम्बेडकरवाद का भक्तिकाल : दलित गुलामी के नए दौर का प्रारम्भ !

जयपुर में आज 13 अप्रैल 2917 को अम्बेडकर के नाम पर “भक्ति संध्या” होगी। दो केंद्रीय मंत्री इस अम्बेडकर विरोधी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। अम्बेडकर जैसा तर्कवादी और भक्तिभाव जैसी मूर्खता ! इससे ज्यादा बेहूदा क्या बात होगी ? भीलवाड़ा में बाबा साहब की जीवन भर विरोधी रही कांग्रेस पार्टी का एस.सी. डिपार्टमेंट दूसरी … Read more

सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या….?

भारत और पाकिस्तान भले ही किसी मंच पर एक दूसरे से हाथ मिलाते दिख जाते हों, लेकिन दिलों की दूरियां साफ नजर आती हैं। कशमकश ये है कि हाथ मिल जाते हैं लेकिन दिल नहीं मिल पाते। यही कारण है कि दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट कम होने का नाम ही नहीं लेती है। … Read more

वंदे मातरम्-विवाद नहीं, विकास का माध्यम बने

वंदे मातरम् को लेकर फिर बहस छिड़ गई है। मेरठ, इलाहाबाद और वाराणसी की नगर निगमों के कुछ पार्षदों ने इस राष्ट्रगान को गाने पर एतराज किया है। हाल ही में इलाहाबाद में वंदे मातरम को लेकर हंगामा हुआ था, कई सभासदों ने इस पर नाराजगी जताई और बैठक का बॉयकॉट कर दिया। इससे पहले … Read more

सुबह लाठी, शाम चपाती …!!

तारकेश कुमार ओझा न्यूज चैनलों पर चलने वाले खबरों के ज्वार – भाटे से अक्सर ऐसी – ऐसी जानकारी ज्ञान के मोती की तरह किनारे लगते रहती हैं जिससे कम समझ वालों का नॉलेज बैंक लगातार मजबूत होता जाता है। अभी हाल में एक महत्वपूर्ण सूचना से अवगत होने का अवसर मिला कि देश के … Read more

ग़ज़ल

आज मेरी ये ग़ज़ल विशेष रूप से ईमानदार, कर्मठ, मेहनतकश और कर्मण्य जुझारू लोगों को समर्पित, जिन्होंने ज़मीर से समझौता नहीं किया और रीढ़ सदा मजबूत रखी। अंजाम की परवाह नहीं की। ———— मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत झगड़ के आया हूँ मुकद्दर से भी अपने ज़बर लड़ के आया हूँ… ईमान की राह पर … Read more

मजबूत लोकतंत्र के लिए सांसदों की हाजिरी जरूरी

संसद सत्र के दौरान सांसदों के अनुपस्थित रहने का मामला इन दिनों एक बार फिर चर्चा में हैं। मंगलवार को कुछ ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो गई, जब राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले पूरक प्रश्नों के जवाब देने के लिए संबंधित विभागों के कई मंत्री उपस्थिति नहीं थे। इस पर सभापति हामिद … Read more

क्या मीडिया वाकई चौथा स्तंभ है?

जयपुर के इंद्रलोक सभागार में 31 मार्च को हुई कार्यशाला में गिरिराज सर द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही गई वर्तमान में मिडिया की भूमिका पर। आज जब भी मीडिया के बात आती है तो कहा जाता है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है मिडिया ! लेकिन क्या वाकई यह सही है ? भारत के … Read more

दूसरों के बारे में नहीं, स्वयं के बारे में सोचे

कई व्यक्ति भरपूर सुख-सुविधाओं के बावजूद अपने जीवन से असन्तुष्ट रहते हैं। ऐसा क्यों है? क्या धन, पद, सम्मान, ऐश्वर्य और सुख-सुविधाएं जीवन को आनन्द नहीं दे पा रहे हैं? जीवन में ऐसी क्या कमी रह जाती है, जिसके कारण सुख की तलाश पूरी ही नहीं होती। इसका कारण है कि सुख की तलाश की … Read more

भोजन की बर्बादी एक त्रासदी है

हर रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संवेदनशील एवं सामाजिक हो जाते हैं। देश की जनता से ‘मन की बात’ करते हुए वे सामाजिक, पारिवारिक एवं व्यक्तिगत मुद्दों को उठाते है और जन-जन को झकझोरते हैं। इसी श्ंाृखला की ताजा कड़ी में देशवासियों को भोजन की बर्बादी के प्रति आगाह किया। भारत जैसे विशाल आबादी वाले … Read more

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