चंदे की पारदर्शिता के लिये क्राउडफंडिंग

विदेशी चंदा नियमन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले बीस हजार गैर सरकारी संगठनों को विदेश से पैसा लेने के अयोग्य करार देने का फैसला यही बता रहा है कि सेवा के नाम पर हमारे देश में किस तरह का गोरखधंधा जारी था। न केवल विदेशी चंदा बल्कि देश में ही सेवा एवं जनकल्याणकारी … Read more

जेटली की जिंदगी का राजनीतिक मायाजाल

-निरंजन परिहार- अरुण जेटली का अतीत दुनियादारी के अंदाज में काफी सफल रहा है। दिल्ली युनिवर्सिटी में जब वे पढ़ते थे, तब भले ही बस के पैसे भी उनके पास नहीं हुआ करते थे, लेकिन आज सैकंड के हिसाब से वकालात की फीस की गणना करनेवाले देश के शिखर के वकीलों में जेटली नंबर वन … Read more

सुदर्शन की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

मूल: सुदर्शन 1 मनुष्य बूढ़ा हो जाता है परंतु लोभ बूढ़ा नहीं होता 2 जैसे सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज नहीं है ! ऐसे ही अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है. सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी 1 माण्हू बुढ़ो थी वेंदो आहे पर लोभु बुढ़ो न थींदो आहे। मूल: चाणक्य 2 जींअ सुगंध … Read more

ये मेरे शहर को हुआ क्या है ?

अभी अभी भारी मन से उस शहर को छोड़ा है ,जिसे मैं अपना कहता हूं . साधिकार मेरा शहर .जहां मैं पढ़ा लिखा,जहां मैने कलम थामी ,पत्रकारिता की ,कविताएं लिखी ,कवि सम्मेलन पढ़े और सुने. जहां मैने नारे लगाने सीखे ,पुलिस के डंडों का स्वाद चखा. कभी शाखा में गया और हिन्दुत्व की जय जयकार … Read more

तो अब प्रियंका गांधी के सहारे मजबूत होंगे राहुल ?

कांग्रेस अब बदलाव की तैयारी में है। अपने 131वें स्थापना दिवस से पहले कांग्रेस प्रियंका गांदी को पार्टी में पद पर लाकर राहुल गांधी को मजबूत करने की कोशिश कर सकती है। इससे पार्टी से युवा तो जुडेंगे ही, महिलाएं भी मजबूती से जुड़ेगी। जो, कि बीते दस साल में पार्टी से दूर होते गए … Read more

“हम भारत के लोग “ और नेताओं के बीच यह अंतर क्यों

लोकतंत्र में देश की प्रजा उसका शरीर होती है लोकतंत्र उसकी आत्मा जबकि लोगों के लिए , लोगों के ही द्वारा चुनी गई सरकार उस देश का मस्तिष्क होता है उसकी बुद्धि होती है । यह लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार ही देश की विश्व में दिशा और दशा तय करती है । यह एक … Read more

बाल विवाह मुक्त हो पंचायत और हर बालिका को मिले शिक्षा

– बाबूलाल नागा- एक समय था जब पंचायतें केवल निर्माण कार्यों तक ही सीमित होती थी। पंचायत का नेतृत्व करने वाला प्रतिनिधि ज्यादा से ज्यादा निर्माण कार्य करने पर जोर देता था लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों ने इस मिथ्या को तोड़ रही है। वे अब निर्माण कार्यों के साथ-साथ महिलाओं, किशोरियों से संबंधित योजनाओं के बेहतर … Read more

मेरा देश बदल रहा है, काले को गुलाबी कर रहा है

अब जबकि ४२ दिन होने आ चुके है प्रधानमन्त्री की नोटबंदी की घोषणा को.. अब समय आ चुका है कि इस विषय में कुछ तर्क वितर्क किया जाये। सबसे पहले तो बड़े बड़े विज्ञापन जो मैं हर हाईवे के पेट्रोल पंप पर देख के आया था वो झूठे प्रतीत होते है.. ३० दिसम्बर तक आपका … Read more

” जीजीविषा “

विध्वंस से कब निर्माण ड़रा हैं जीजीविषा से यह पौधा हरा हैं जन्म के पश्चात आती जरा हैं सृष्टि का राज यह गहरा हैं ।। उक्त भावों से ओतप्रोत उर्मि की कलम से….. मेरी रचना ” जीजीविषा ” दिवसावसन का समय था झंझा-झकोर गर्जन ने धरा को चहुँ ओर से घेरा प्रलय बाँध आया विनाश … Read more

कैलेण्डर ही नहीं, तकदीर भी बदले

एक और वर्ष अलविदा हो रहा है और एक नया वर्ष चैखट पर खड़ा है। उम्र का एक वर्ष खोकर नए वर्ष का क्या स्वागत करें? पर सच तो यह है कि वर्ष खोया कहां? हमने तो उसे जीया है और जीकर हर पल को अनुभव में ढाला है। अनुभव से ज्यादा अच्छा साथी और … Read more

क़लम उठ जाती है

बात-बात पर समझौतों से , जीवन लगता भारी । अंतर्मन झकझोर रहा है , क्यों ऐसी लाचारी ? भाग रहा है कर्त्तव्यों से , शायद लोग कहेंगे । मेरे मन की पीड़ा को भी , सदा अन्यथा लेंगे । मन की बात समझने वाले , मुश्किल से मिल पाते । इसीलिए लिखकर रख देता , … Read more

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