परवाह किसे है, इस देश की ?

हालात देखकर कभी कभी दिल मे ख्याल आता हैकि ,इस देश को दीमक चाट रही — है।आजादी के लंबेअरसके बाद यहाँ जातिवाद का बंटवारा ,मजहबी अलगाववाद।बरसों से न्यायालयों में पड़े मुक़दमे राजनीती में गुंडा तत्वों की घुसपैठ ।भरस्टाचार की बरगद सी गहरी और फलती फूलती जड़ें । अपहरण,चोरी,लूट,नन्ही बच्चियों से बलात्कार जैसे अपराधों का दिनों … Read more

रेल बजट आने वाला है, जरा ध्यान दीजिए इन सुझावों पर

आदरणीय बन्धुओ, संस्थाओं, मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारों के पदाधिकारियों, आप सभी को विदित है कि फरवरी 2016 में रेल बजट आने वाला है। सभी संस्थाएं व जागरूक बन्धु जनता की सहूलियत हेतु अपने-अपने सुझाव रेल मंत्रालय को भेजते हैं। अजयमेरु नागरिक अधिकार एवं जन चेतना समिति, नाका मदार, अजमेर ने जनता के हितार्थ समय-समय पर विभिन्न बिन्दुओं पर … Read more

न्यूज चैनल्स को पाबंद करना चाहिये

पिछले लगभग 6 माह से लगातार देख रहा हूं देश के लगभग सभी न्यूज चैनल आतंकी संगठन आईएस पर घण्टों की स्टोरीज चला रहे हैं ऐसा नहीं कि सिर्फ एक दिन रोजाना ये स्टोरीज चला रहे हैं और इस संगठन को ऐसा दिखाने की कोशीश कर रहे हैं कि बस अब दुनिया पर इसी संगठन … Read more

असहिष्णुता के मुद्दे पर राष्ट्रपति हमें हमारी ही तरह चिंतित जान पड़े

कल रात हम लोग राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले – साहित्यकार अशोक वाजपेयी, कलाकार विवान सुंदरम और मैं नाचीज। पहली नवम्बर को हमने कांस्टीट्यूशन क्लब में मावलंकर सभागार में जो लेखकों, कलाकारों, इतिहासकारों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों आदि का “प्रतिरोध” आयोजित किया था, उसमें पारित प्रस्ताव राष्ट्रपति को हमने ज्ञापन के रूप में पहुँचाने का जिम्मा लिया … Read more

वे कलम का कागज से, दंगा करवाने वाले हैं

वे कलम का कागज से, ैदंगा करवाने वाले हैं, लेकिन हम दंगाइयों को अब नंगा करने वाले हैं। सोशल मीडिया की आड़ में, वे छद्म राष्ट्रीयता ग़ढ़ते हैं, मोदी हैं विकास पुरुष, इसका दम्भ वे भरते हैं। सत्ता उनके लिये भाई, वेश्या सा किरदार है, साम्प्रदायिकता का दावानल, हर गली-बाजार है। दाल में काला होता … Read more

गिरमिटिया मजदूर बनाम हाईटेक श्रमिक

उन्नीसवीं शताब्दी में विश्व तेज़ी से आर्थिक उन्नति की और बढ़ा पर इसका एक बड़ा शिकार उस समय उपनिवेशों के गिरमिटिया मजदूर हुए जिन्हें अनुबंध के तहत दूर देशों में बागानों ,खदानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए ले जाया जाता था . जैसा की उस समय उपनिवेशों में गावों … Read more

कब सहिष्णु थे आप ?

कौन से युग ,किस सदी , किस कालखंड में ,सहिष्णु थे आप ? देवासुर संग्राम के समय ? जब अमृत खुद चखा और विष छोड़ दिया उनके लिए , जो ना थे तुमसे सहमत. दैत्य ,दानव ,असुर ,किन्नर यक्ष ,राक्षस क्या क्या ना कहा उनको. वध ,मर्दन ,संहार क्या क्या ना किया उनका . ………………….. … Read more

योनिज तो हम सभी है..!

योनि के जाये तो हम सभी है, पवित्रता ,अपवित्रता .. यह तो हम पुरूषों की अप्राकृतिक बकवास है | सच तो यही है कि हम सभी पिता के लिंग और माहवारी से निवृत मां की योनि के सुखद मिलन की सौगात है | मां के रक्त ,मांस ,मज्जा में नवमासी विश्रांति के बाद उसी योनि … Read more

दस्तक

मेरे घर के बन्द द्वार पर प्रायः दस्तक होती है। मुझे लगता है कि कोई मेहमान आया है!! दस्तक-दर-दस्तक पर मैं दिवास्वप्न देखता हूं कि आए हुए मेहमान ने मेरे पूरे परिवार के लिए उपहारों का टोकरा घर के बरामदे में उतरवाकर रखा हुआ है। वह मेहमान मेरी पत्नी को शिफान की साड़ी बच्चों को … Read more

स्वच्छता कितनी ज़रूरी है

स्वच्छता अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मतलब रखती है। उदाहरण के लिए, जब एक माँ अपने छोटे बच्चे को हाथ-मुँह धोने को कहती है तो वह सोच सकता है कि बहते पानी में अपनी उँगलियाँ भिगो लेना और होंठ चिपड़ लेना ही काफी है। लेकिन माँ उससे बेहतर जानती है कि उसके हाथ-मुँह कैसे धोने … Read more

खुश्बू

-खेमचन्द्र रैकवार- अपने पसीने की बूंदों से उठने वाली दुर्गन्ध को ही खुष्बू बना लिया था।सारा सारा दिन मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरणपोसण करता रहा वह। न उसने दिन देखा न रात देखी। बच्चों की परवरिष में कभी भी कोई कमी न रह जाये…….इसलिये उसने पसीने को अपना मित्र बना लिया था। पसीनें की … Read more

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