सुसराल गैंदा फूल……..

(विवेक का प्रयोग) आपकी लाड़ली बिटीया आपका ही नहीं, वरन् पूरे सुसराल की भी लाड़ली हो सकती है बस आपको बचपन से ही उसे अच्छे संस्कार देने होंगें। उसे यह बात समझानी होगी कि सुसराल में भी तुझे भांति-भांति के विचारों के लोग मिलेगें, सबसे निभाकर और मिलनसार स्वभाव से हो कर चलना। यदि आपने … Read more

करीब या दूर

अख़बारों में एक समाचार था कि प्रधान श्री मंत्री नरेंद्र मोदी , एक सप्ताह के अमेरिका के सफलतम दौरे के बाद , ,,,,,,,,,,”अमेरिका को और करीब लाये , पी एम् मोदी”,,,,,,,,,,, अब यह तो ख़ुशी की बात है की सात समुन्दर पार का कोई देश , अपने लोकप्रिय प्रधान मंत्री के अथक प्रयासों और छः … Read more

दो चुटकी सिन्दुर……

फिल्मी जगत का ये फेमस डायलॉग आज भी हम सबको ध्यान है । कहीं वो रमेश बाबू आप या हम तो नहीं जिसके लिऐ यह कहा गया है । वास्तव में यह दो चुटकी सिन्दुर यह सुहाग की निशानी ही नहीं वरन् आपके साथी के अभिमान, सम्मान और उसकी मान मर्यादा है । पर क्या … Read more

2+3= ठुल्लु = (two plus three) शोमनाथ भारती

वैसे तो सोमनाथ भारती ने जो अपराध अपनी पत्नी के साथ किया है वह मानवीय संबंधो के अनुसार क्षमा योग्य नहीं है क्योंकि सोमनाथ भारती कानून के ज्ञाता भी है और विगत दिल्ली सरकार में कानून के मंत्री के रूप में कानून के पालनहार भी रहे हैं ! इस लिए उनका कृत्य क्षमा नहीं किया … Read more

काला धन !!!!! ऊँठ के मुंह में जीरा ?

एक समय था जब हमारे प्रिय योग गुरु राम सेवक यादव से बाबा राम देव के अवतार में प्रकट हए तो उन्हें युग सिखाते सिखाते इहलाम् हुआ कि बहुत से भारतियों का कला धन विदेशी बैंको में जमा है ? उन्होंने काले धन के विरुद्ध एक वयापक अभियान छेड़ा ! जिस कारण उनको सरकार का … Read more

तनाव : हसंना, मुस्कुराना भूल गये हम

आज हर व्यक्ति तनाव से ग्रस्ति है । तनाव इस कदर हावी हो गया है कि लोग हसंना-मुस्कुराना भूल गये हैं । बस एक मषीन बन कर रह गये हैं । तनाव घटने की बजाये समाज में बढता ही जा रहा है । इसके मुख्य कारण हैं – अनियत्रित महत्वकाक्षायें, अनावष्यक भय, स्वयं की गलतियां … Read more

मुंशी इतवारी लाल -जानिए उनका हाल

अहा आप तो जानते ही हैं कि हमारे मित्र मुंशी जी यानि मुंशी इतवारी लाल ! अपने नाम के अनुरूप हमेशा ही इतवार को ही हमसे मिलने आते है और यह सिलसिला यूँही नौकरी के समय से ही चला आ रहा है । जो अब भी जारी है जारी क्या है घिसट रहा है क्योंकि … Read more

मैं असली अम्बेडकरवादी नहीं हूँ !

‘‘हिंदुत्व का छद्म चमचा, सवर्णों के तलुवे चाटने वाला तथा दलित बहुजन आंदोलन का गद्दार है, दलित विरोधी है तथा शेर की खाल में भेडि़या है।’’ आजकल सोशल मीडिया पर मैं इन्हीं अनंत विभूषणों से विभूषित हूं, क्योंकि मैंने सच को सच कहने का दुःसाहस कर दिया, एक जमीन की लड़ाई को प्रोपर्टी का संघर्ष … Read more

जागो मोहन प्यारे

(अपनी सोच बदलें) हम सबके जीवन में एक समय ऐसा आता है जब हम भी कुछ करना चाहते हैं, नायक या हीरो बनना चाहते हैं, पर वास्तव में क्या हम हीरो बन पाते हैं? समाज में, आस-पास में कोई भी गलत काम देख कर, भ्रष्टाचार को देखकर, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को देखकर हम … Read more

स्वास्थ्य – प्रथम प्राथमिकता

(जैविक खेती को बढ़ावा दें ) -बलराम हरलानी- ”हर पीली वस्तु सोना नहीं होती“ वैसे ही बाजार में बिकने वाली सब्जियाँ व फल जो दिखने मंे तो बहुत आकर्षक होती हैं वे पोष्टिक व स्वास्थवर्धक हों यह जरुरी नहीं। पैदावार बढ़ाने के लिए कई प्रकार के हानिकारक कैमिकल्स व पदार्थांे का प्रयोग से आमजन के … Read more

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