मृदुल कीर्ति की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद
मूल: मृदुल कीर्ति कटी पतंग एक पतंग नीले आकाश में उड़ती हुई मेरे कमरे के ठीक सामने अचानक कट कर खिड़की से दिखते एक पेड़ पर अटक गयी। नीचे कितने ही लूटने वाले आ गए क्योंकि पतंग की किस्मत है कभी कट जाना कभी लुट जाना कभी उलझ जाना कभी नुच जाना कभी बच जाना … Read more