-मनोज गुर्जर- केकडी! विधानसभा चुनावो मे भले ही चुनाव आयोग ने प्रत्येक प्रत्याषी के लिये चुनाव लडने की खर्च सीमा 16 लाख तय कर दी हो लेकिन यह तो नामुमकिन है की चुनाव मे प्रत्येक पत्याषी 16 खर्च करके चुनाव लड सके!सच तो यह की मंहगाई को देखते हुए प्रत्येक प्रत्याषी के लिए 16 लाख मे तो चुनाव लडना मुमकिन नही है!लिहाजा इस बार आचार संहिता से बचने के लिए यह खेल अंदर ही अंदर चलेगा!हालांकि चुनाव आयोग ने जगह जगह चुनाव पर्यवेक्षक तैनात कर दिये है जो चौकसी कर रहे है!लेकिन यह सारा सिस्टम फेल होता नजर आ रहा है!और चुनाव लडने वाले प्रत्याषी का खर्चा नामाकंन भरने से पहले ष्षुरु हो जाता है!प्रत्याषी नामाकंन भरने जाता है तब जुटाई जाने वाली भीड के लिए आने जाने के लिए वाहन सुविधा व भोजन के पैकेट दिये जाते है जिनकी कीमत लगभग 70 से 80 रुपये मानी जाती है जिसमे पुडी,नुगती,सब्जी वितरित की जाती है वही आवागमन के लिए बसो को लगाते है जिसमे ही लाखो रुपये खर्च हो जाते है लेकिन ये सिर्फ और सिर्फ कागजो मे ही सयंचालित होते है!वही अब प्रत्येक प्रत्याषी के लिये बडे नेता भी चुनावी सभा के लिए आयेगे तो उनके लिए भी वही काम दुबारा करना पडेगा लोागो को जुटाना और भीड मे भोजन के पैकेठ वितरित करना पडेगाा लिहाजा उस दिन ही 5 लाख तो खर्च होना मामुली बात है!वही अंदर ही अंदर का जो खेल चलेगा वो अलग बात है!इस तरह लोगो का भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाना वाजिब है!वही दिन भर प्रचार प्रसार के लिए अनेक गाडियॉ दौडाई जाती है!